जम्मू कश्मीर पर सरकार के मास्टरस्ट्रोक के साथ पीएम मोदी का कद हुआ और विराट, विपक्ष हुआ बौना
जम्मू कश्मीर पर लिए गए केंद्र के फैसले से पीएम मोदी का कद पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। इस फैसले साथ ही उनके सामने आने वाले वर्षों में कोई प्रतिद्वंदी नहीं रह गया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 05 Aug 2019 08:14 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू कश्मीर पर लिए गए केंद्र के एतिहासिक फैसले के बाद भाजपा ने विपक्ष से सबसे बड़ा मुद्दा हमेशा के लिए छीन लिया है। केंद्र ने जो फैसला लिया है उसके मुताबिक जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अब केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए बयान के मुताबिक जम्मू कश्मीर में अब केवल अनुच्छेद 370 का खंड 1 ही लागू होगा। आपको बता दें जम्मू कश्मीर का मुद्दा शुरुआत से ही भाजपा के केंद्र में रहा है। 2014 में जब पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी तब भी अपने घोषणा पत्र में पार्टी ने इसका जिक्र किया था। आज सरकार के रूप में जो फैसला सामने आया है वह उसी घोषणा पत्र की दूसरी कड़ी है। जम्मू कश्मीर का लीगल स्टेटस बदले जाने का असर काफी व्यापक होगा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यह पार्टी के लिहाज से भी काफी बड़ा है।
अनुच्छेद 370 और 35ए की आड़ में
इस मुद्दे पर राजनीतिक जानकार शिवाजी सरकार का मानना है कि 35ए की आड़ में जम्मू कश्मीर में पूर्व की फारुख अब्दुल्ला और मुफ्ती सरकार ने जबरदस्त धांधली मचाई थी। इसका फायदा हुर्रियत ने भी खूब उठाया है। अब ताजा फैसले के बाद उनसे ये अधिकार छिन गया है। उनके मुताबिक यह एक ऐसा मुद्दा था जिस पर आज तक सभी पार्टियां रोटियां सेकती आ रही थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब ये अधिकार उनसे छीन लिया गया है। उनका ये भी कहना है कि मोदी सरकार ये फैसला 2014 में भी ले सकती थी। उस वक्त जम्मू कश्मीर की जनता भी सरकार के साथ थी। यहां तक की वहां के राज्य का व्यापारी वर्ग चाहता था कि सरकार इस तरह का कोई बड़ा फैसला ले। केंद्र के फैसले से अब इन नेताओं और पार्टियों की दुकानदारी पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
इस मुद्दे पर राजनीतिक जानकार शिवाजी सरकार का मानना है कि 35ए की आड़ में जम्मू कश्मीर में पूर्व की फारुख अब्दुल्ला और मुफ्ती सरकार ने जबरदस्त धांधली मचाई थी। इसका फायदा हुर्रियत ने भी खूब उठाया है। अब ताजा फैसले के बाद उनसे ये अधिकार छिन गया है। उनके मुताबिक यह एक ऐसा मुद्दा था जिस पर आज तक सभी पार्टियां रोटियां सेकती आ रही थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब ये अधिकार उनसे छीन लिया गया है। उनका ये भी कहना है कि मोदी सरकार ये फैसला 2014 में भी ले सकती थी। उस वक्त जम्मू कश्मीर की जनता भी सरकार के साथ थी। यहां तक की वहां के राज्य का व्यापारी वर्ग चाहता था कि सरकार इस तरह का कोई बड़ा फैसला ले। केंद्र के फैसले से अब इन नेताओं और पार्टियों की दुकानदारी पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों की राजनीतिक जमीन खत्म
केंद्र ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा फैसला लेकर कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों से बड़ा मुद्दा हमेशा के लिए छीन लिया है। यह फैसला ऐसा है जिससे पीएम मोदी ने खुद को आगे वर्षों तक के लिए स्थापित कर लिया है। कांग्रेस की बात करें तो उसका राजनीतिक वजूद अब खात्मे की तरफ है। पहले ही वह राज्य और यहां से बाहर अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है। कांग्रेस न तो वक्त के साथ खुद को बदल सकी और न ही कड़े फैसले ले सकी। उसने हमेशा से ही इसको एक वोटबैंक का हिस्सा बनाकर रखा।
केंद्र ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा फैसला लेकर कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों से बड़ा मुद्दा हमेशा के लिए छीन लिया है। यह फैसला ऐसा है जिससे पीएम मोदी ने खुद को आगे वर्षों तक के लिए स्थापित कर लिया है। कांग्रेस की बात करें तो उसका राजनीतिक वजूद अब खात्मे की तरफ है। पहले ही वह राज्य और यहां से बाहर अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है। कांग्रेस न तो वक्त के साथ खुद को बदल सकी और न ही कड़े फैसले ले सकी। उसने हमेशा से ही इसको एक वोटबैंक का हिस्सा बनाकर रखा।
क्या अब होगी गुलाम कश्मीर की बात
केंद्र के फैसले के बाद अब लोगों की निगाह गुलाम कश्मीर पर लगी है। आपको यहां पर बता दें कि भाजपा की तरफ से कई बार ये बात कही जा चुकी है कि पाकिस्तान से केवल गुलाम कश्मीर को लेकर ही बात होगी। इस सवाल के जवाब में शिवाजी का कहना था कि गुलाम कश्मीर का मसला इतना आसान नहीं है जितना हम समझते हैं। दरअसल, यहां पर एक या दो नहीं बल्कि चार अलग-अलग पार्टियां शामिल हैं। इनमें भारत-पाकिस्तान के अलावा, चीन, रूस और अमेरिका शामिल है। उनके मुताबिक अमेरिका भी कश्मीर पर आसानी से तीसरा पक्ष बनना स्वीकार नहीं करेगा। उसके लिए अफगानिस्तान कश्मीर से बड़ा मुद्दा है। इसके लिए भले ही उसको पाकिस्तान का साथ चाहिए, लेकिन इसके बाद भी वह सीधेतौर पर इस मसले से नहीं जुड़ेगा। कश्मीर पर तीसरा पक्ष
जो कश्मीर पर तीसरे पक्ष की बात कर रहे हैं उनको ये समझने की जरूरत है कि इस मास्टरस्ट्रोक के चलते न सिर्फ क्षेत्रीय राजनीति बल्कि कहीं न कहीं वैश्किव राजनीति में भी बदलाव आएगा। उनके मुताबिक इस फैसले के बाद पाकिस्तान पर भी दबाव बढ़ेगा। उनके मुताबिक इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन इस पर किस तरह से प्रतिक्रिया देता है। गुलाम कश्मीर है विवादित क्षेत्र
शिवाजी का ये भी कहना है कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर को लेकर किसी भी देश को कोई न आपत्ति है और न ही इस पर कोई विवाद है। वहीं दूसरी तरफ गुलाम कश्मीर की बात करें तो कोई देश उसको पाकिस्तान के हिस्से वाला कश्मीर, तो कोई पाक प्रशासित कश्मीर बताता आया है। इसका अर्थ है कि अंतरराष्ट्रीय जगत में यह हिस्सा विवादित क्षेत्र है। शिवाजी मानते हैं कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को इस फैसले के चलते आर्थिक चपत भी लगेगी। शिवाजी की मानें तो आने वाले वर्षों में पीओके या गुलाम कश्मीर का मामला और उछलेगा। इसके साथ ही चीन और पाकिस्तान में दूरियां बढ़ेंगी और जो निवेश अब वहां पर किया जा रहा है उसमें कमी आएगी।पाकिस्तान की मीडिया भारत सरकार को बता रही हिंदू राष्ट्रवादी, जानें और क्या कुछ कहा
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शिवाजी का ये भी कहना है कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर को लेकर किसी भी देश को कोई न आपत्ति है और न ही इस पर कोई विवाद है। वहीं दूसरी तरफ गुलाम कश्मीर की बात करें तो कोई देश उसको पाकिस्तान के हिस्से वाला कश्मीर, तो कोई पाक प्रशासित कश्मीर बताता आया है। इसका अर्थ है कि अंतरराष्ट्रीय जगत में यह हिस्सा विवादित क्षेत्र है। शिवाजी मानते हैं कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को इस फैसले के चलते आर्थिक चपत भी लगेगी। शिवाजी की मानें तो आने वाले वर्षों में पीओके या गुलाम कश्मीर का मामला और उछलेगा। इसके साथ ही चीन और पाकिस्तान में दूरियां बढ़ेंगी और जो निवेश अब वहां पर किया जा रहा है उसमें कमी आएगी।पाकिस्तान की मीडिया भारत सरकार को बता रही हिंदू राष्ट्रवादी, जानें और क्या कुछ कहा
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