अजय चौटाला के निष्कासन पत्र में दिखा ओपी चौटाला का गुस्सा, अब नई पार्टी का विकल्प
अोमप्रकाश चौटाला द्वारा इनेलो से निकाले जाने के बाद अजय चौटाला के पास नई पार्टी बनाने का विकल्प है। दूसरी ओर, अजय के निष्कासन पत्र में बड़े चौटाला का गुस्सा साफ दिखता है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:25 AM (IST)
जेएनएन, चंडीगढ़। अाखिरकार चाैटाला परिवार में टूट हो गई और हरियाणा की राजनीति में अहम रोल अदा करने वाले चौटाला भाइयों की राजनीतिक राहें जुदा हो गईं। अजय सिंह चौटाला के पास इनेलो से निष्कासन के बाद अब नई पार्टी बनाने का विकल्प है। अपने बेटों दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला को सियासी रूप से खड़ा करने के लिए उनके पास अलग पार्टी बनाने के अलावा दूसरा कोई चारा नजर नहीं दिख रहा। दूसरी ओर, अजय चौटाला के निष्कासन पत्र में इनेलो सुप्रीमो अोमप्रकाश चौटाला का गुस्सा साफ दिखता है। अजय पर अपनी सीमाओं को लांधने और इनेलो को कमजोर करने के आरोप लगाए गए हैं।
देवीलाल की तरह ओमप्रकाश चौटाला ने लिया कड़ा फैसला, अब पार्टी चिन्ह को लेकर हो सकता है बवालदुष्यंत और दिग्विजय पहले ही किसी भी दूसरे राजनीतिक दल के साथ जाने से साफ मना कर चुके हैैं। पूरे विवाद में अब यह तय है कि अब इनेलो के चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। यदि अजय सिंह चौटाला असली इनेलो होने का दावा करते हैं तो पूरा विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है। वैसे, बुधवार के घटनाक्रम के बाद इनेलो पर अब पूरी तरह से अभय सिंह चौटाला का अधिकार नजर आ रहा है।
अभय चौटाला के समर्थकों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अभय चौटाला को एक तरह से अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। समर्थकों का कहना है कि अभय चौटाला को ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला के जेल जाने के बाद पार्टी संगठन को मजबूत करने का इनाम मिला है।पिछले पांच सालों में अभय चौटाला ने पार्टी की मजबूती के लिए काम किया तथा सभी कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखा, मगर राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने चौटाला परिवार को तीन दशक पुराने मोड़ पर वापस पहुंचा दिया है। 1989 में देवीलाल के सामने अपना राजनीतिक वारिस बनाने का संकट खड़ा हुआ था। उस समय चौधरी देवीलाल के सामने अपने बेटों रणजीत सिंह, प्रताप सिंह, जगदीश सिंह और ओमप्रकाश चौटाला में से किसी एक को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी चुनने की चुनौती थी।
देवीलाल ने उस समय काफी सोच-विचार कर ओमप्रकाश चौटाला के नाम पर उंगली रख उन्हें सत्ता के शीर्ष पर बैठा दिया था। अब 31 साल बाद ओमप्रकाश चौटाला के सामने भी वही मोड़ आ रहा, जिसमें उन्होंने अजय सिंह चौटाला, दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय सिंह चौटाला की बजाय अभय सिंह चौटाला पर अधिक भरोसा दिलाया है।क्या है अजय सिंह चौटाला का निष्कासन पत्र
अाज पत्रकार सम्मेलन में डॉ. अशोक अरोड़ा ने अजय चौटला के निष्कासन का पत्र पढ़कर सुनाया। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों को निष्कासन पत्र की कॉपी नहीं दी और मांगने पर कहा कि बाद में मेल से भेज देंगे। अलबत्ता उन्हाेंने इस महीने के शुरू में दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला के निष्कासन का पत्र जरूर एक बार फिर जारी किया। डॉ. अशोक अरोड़ा द्वारा पढ़कर सुनाए गए निष्कासन पत्र में इनेलो सुप्रीमो आेमप्रकाश चौटाला हवाले से यह कहा गया है-
' मैं इनेलो सुप्रीमो के रूप में पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है। पार्टी सर्वोपरि है। अनुशासनहीनता करने वाला परिवार से ही क्यों न हो, उसे भी माफ नहीं किया जा सकता। इनेलो की नींव ही इस बात पर टिकी है। कुछ समय से इनेलो के प्रधान महासचिव अजय सिंह चौटाला पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। उनके बयानों से मुझे आघात पहुंचा है। 12 नवंबर को अजय सिंह ने अपनी सभी सीमाओं को लांघते हुए अनाधिकार चेष्ठा कर 17 नवंबर को जींद में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। यह पूरी तरह से असंवैधानिक बैठक है। अजय चौटाला इनेलो के समानांतर संगठन चला रहे हैं, ताकि वे पार्टी को कमजोर कर सकें। मैं उन्हें पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव और प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने का फैसला सुनाता हूं। इसे तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।'
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