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'फेसबुक से खोई गर्लफ्रेंड मिल जाती है तो टैंक क्यों नहीं?'

लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह रिटायरमेंट के बाद अपनी पहली रेजीमेंट 63 केलेवरी पहुंचे। यहां उन्होंने अपनेे पुराने दिनों की याद को ताजा किया औऱ क्या किया। जानने के लिए पढ़ें ख़बर।

By Test1 Test1Edited By: Updated: Tue, 02 Aug 2016 08:52 AM (IST)
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अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। फेसबुक से अगर खोई गर्लफ्रेंड मिल सकती है तो मेरा टैंक क्यों नहीं? कशिश हो तो पुराना साथी मिल ही जाता है। मेरा भी सेना की सेवा में पहला हमसफर टैंक मिल गया है और मैं इससे बहुत खुश हूं। आज थोड़ा समय उसके साथ बिताऊंगा और पुराने दिनों की याद ताजा करूंगा। यह कहना था वेस्टर्न कमांंड के सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह का। वह रिटायरमेंट के बाद यहां खासा सैन्य छावनी में अपनी सबसे पहली रेजीमेंट 63 केलेवरी पहुंचे। उन्हें सैन्य सेवाकाल का पहला टैंक मिला तो वह बेहद खुश नजर आए।

खासा छावनी में केजे सिंह को अपने बीच पाकर 63 केलेवरी के जवान और अधिकारी भी गदगद थे। 1977 में अंबाला में 63 केलेवरी ज्वाइन करने पर उन्हें ये टैंक मिला था और इसमें उनके पहले गुरु रिटायर्ड कर्नल मनबीर सिंह हुंदल ने उन्हें बिठाया था। आज भी हुंदल विशेष रूप से आर्मी हेडक्वार्टर पहुंचे और दोनों ने टैंक पर खड़े होकर पुरानी यादों को साझा किया।

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ज्वाइनिंग के बाद मिला था टैंक

केजे सिंह ने बताया कि ज्वाइनिंग के बाद उन्हें टी-55 क्लासिक टैंक जेडएक्स 1685 मिला था। वर्तमान में ये टैंक जंडियाला गुरु में तैनात है और इसे उनकी रेजीमेंट यहां लेकर आई। आज रेजीमेंट में ऐसे टैंक नहीं हैं, पर ये अभी भी चालू हालत में है।

जैसे ही केजे सिंह टैंक पर सवार हुए तो जवानों ने 'केजे सिंह जिंदाबाद', '63 केलेवरी जिंदाबाद' के नारों से माहौल गरमा दिया। केजे सिंह ने भी जवानों के साथ '63 केलेवरी जिंदाबाद' के जयघोष लगाए। जवान टैंक में सवार केजे सिंह को गेट तक लेकर लाए। पुष्पमालाओं और पुष्पवर्षा से केजे सिंह खुद गदगद हुए पड़े थे।

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मैं राजनीति के लिए नहीं बना

लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह की पत्नी अनीता सिंह भी उनके साथ आर्मी हेडक्वार्टर खासा पहुंचीं थी। जब पत्रकारों ने केजे सिंह की राजनीति में रुचि के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे राजनीति के लिए बने ही नहीं हैं। शुरू से ही वह सिपाही की तरह जीना पसंद करते हैं। रेजीमेंट व देश के लिए कुछ करने का जज्बा हमेशा ही उनके मन में रहा है।

मैं भी बनूंगा फौजी : रिजकदीप

कार्यक्रम में दादा कैप्टन इंद्रजीत सिंह के साथ पहुंचे साढ़े पांच साल के रिजक दीप सिंह ने भी केजे सिंह पर पुष्पवर्षा की। केजे सिंह ने भी उसे सेल्यूट कर दुलार दिया। रिजकदीप बोला कि वह भी बड़ा होकर फौजी बनेगा।

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कैप्टन इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने 28 साल तक 63 केलेवरी में नौकरी की है और रेजीमेंट से उनका दिल का रिश्ता है। वे हरीके पत्तन के पास गांव के रहने वाले हैं। जब भी राजस्थान के लिए वहां से रेजीमेंट निकलती है तो वे रोककर चाय-पानी जरूर पिलाते हैं। रेजीमेंट वाले भी उन्हें हर कार्यक्रम में आमंत्रित करते हैं।

मैं जीरो जेनरेशन फौजी : केजे

लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने कहा, मैं जीरो जेनरेशन फौजी हूं। अपनी मेहनत से इस पद पर पहुंचा हूं। ये बात आर्मी की साफ-सुथरी प्रक्रिया की ओर इशारा करती है। पूरी सेना में कोई भी आदमी मेहनत कर कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। मैं साढ़े नौ साल का था, जब मैंने सोच लिया था कि मैं फौजी बनूंगा।

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