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यहां पूरा शहर ही है अजीब अंधविश्‍वास का शिकार, जानें बठिंडा का यह खास राज

पंजाब के बठिंडा शहर में लोग अजीब अंधविश्‍वास के शिकार हैं। यहां लोगों को अपना मकान नंबर 13 और 420 रखने से परहेज करते हैं। यह हाल होटलों व सरकारी कार्यालयों में भी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 16 Oct 2019 08:41 AM (IST)
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यहां पूरा शहर ही है अजीब अंधविश्‍वास का शिकार, जानें बठिंडा का यह खास राज
बठिंडा, [साहिल गर्ग]। काफी संख्‍या में लोग अंधविश्‍वास के शिकार होते हैं। अनजान भय के कारण लोग विभिन्‍न तरह के अंधविश्‍वासों से ग्रस्‍त रहते हैं, लेकिन पूरा शहर ही इसकी 'चपेट' में हो यह यकीन करना मुश्किल होता है। कई जगहों पर13 नंबर को अशुभ माना जाता है। अंधविश्वासी लोग इस नंबर के मकानों, दफ्तरों और होटल कक्षों से बचते हैं। लेकिन, पंजाब के बठिंडा शहर इस मामले में एक कदम आगे है। यहां 13 के साथ-साथ नंबर 420 को भी अशुभ माना जाता है।

यहां के सरकारी अफसरों में भी नंबर 420 का खौफ इस कदर है कि उन्होंने अपने कमरे का नंबर 420 से बदल कर 419-A कर लिया है। अफसर मानते हैं कि यह नंबर अशुभ होने के साथ-साथ धोखेबाजी जुड़ा है। बात यहीं खत्म नहीं होती है। शहर स्थित कोर्ट कांप्लेक्स और होटलों में भी कमरा नंबर 420 नहीं हैं।

बठिंडा के मिनी सचिवालय के तीसरी मंजिल पर लोक निर्माण विभाग का दफ्तर है। यहां कमरा नंबर 419 और 421 के बीच 420 नहीं है। उसकी जगह कमरा नं. 419-ए है। निर्माण के समय कमरे का नंबर 420 ही लिखा गया था, लेकिन अब 420 नंबर के ऊपर कंप्यूटर से प्रिंट निकालकर 419-A चिपका दिया। इसके अलावा बठिंडा के अधिकतर होटलों में 420 व 13 नंबर के कमरे नहीं हैं।

जालसाजी के मामलों में लगती है भादसं धारा 420

भारतीय दंड संहिता के अनुसार, बेईमानी या धोखाधड़ी के मामले में  धारा-420 लगाई जाती है। इस धारा के अंतर्गत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को सात साल तक सजा हो सकती है।

होटलों में भी नहीं है कमरा नं. 420

होटल एसोसिएशन के सतीश अरोड़ा भी मानते हैं नंबर 13 और 420 को लेकर होटल मालिकों में भ्रम या वहम है। इसी कारण होटल संचालक 420 के साथ-साथ 13 नंबर कमरा नहीं रखते है। बठिंडा में सैकड़ों होटल हैं लेकिन अधकितर में कमरा नं. 420 व 13 नहीं हैं।

अधिवक्ता ने एप्लीकेशन देकर नंबर बदलवाया

बठिंडा कोर्ट कांप्लेक्स में वकीलों के चेंबर की सीरीज तीसरी मंजिल पर 401 से शुरू होती है। इनकी 2012 में अलॉटमेंट के दौरान 420 नंबर चैंबर वकील जगदीश सिंह मौड़ को अलॉट हुआ था। उन्होंने 420 नंबर को घपले से जुड़ा होने के आधार पर इसका नंबर 419-A करवा लिया है।

लोग करते थे कमेंट इसलिए कार्यालय कक्ष का नंबर 420 से 419-A कराया

बठिंडा के मिनी सचिवालय के लोक निर्माण विभाग के कमरा नंबर 420 को अब 419-A के नाम से जाना जाता है। जिसमें इस समय ड्राफ्टमैन पवन कुमार बैठते हैं। इसका नंबर उस समय बदला गया था जब यहां पर ड्राफ्टमैन राम सिंह बैठते थे। उनका मानना था कि 420 नंबर कमरा होने के कारण हर कोई कमेंट करता था। हालांकि इसी विभाग में एक ओर कमरा नंबर 420-E है, जिसे बदला नहीं गया है।

वाहन के नंबर पर करते हैं ज्यादा खर्च

एक तरफ सरकारी अफसर अपने कमरों का नंबर बदलवा रहे हैं तो दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने वाहन पर 420 नंबर लगाने के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करते हैं। वे 420 नंबर लेने के लिए डीटीओ दफ्तर में पता करते रहते हैं। जब भी नई सीरिज आती है, वे 420 नंबर लेने की जुगाड़ में जुट जाते हैं

लोकनिर्माण विभाग ने कहा- हम सिर्फ इमारतें बनाते हैं, नंबरिंग नहीं करते

'' लोक निर्माण विभाग सिर्फ इमारतें बनाता है। कमरों की नंबरिंग बाद में संबंधित दफ्तर अपनी सुविधा अनुसार करते हैं। अगर हमें कोई कह देता है कि इनके नंबर भी लगाने हैं तो हम रूटीन की तरह नंबर लगाते हैं।

                                                                                                - अशोक कुमार, एसडीओ, लोक निर्माण विभाग।

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'लोगों की गलत धारणा का नतीजा'

''सारे नंबर एक समान होते हैं। 420 नंबर भी शुभ या अशुभ नहीं होता है। यह लोगों की गलत धारणा है कि जिसकी वजह से नंबर बदला जा रहा है। बेशक 420 भारतीय आइपीसी की धारा का नंबर है लेकिन कमरों के नंबर इसका कोई संबंध नहीं है।

                                                                                                                           - बलदेव सिंह, तर्कशील संस्‍था।

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