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World Blood Donor Day 2020: ये हैै रक्तदानियों की नगरी, कई लगा चुके दान का शतक, महिलाएं भी पीछे नहीं

World Blood Donor Day 2020 विश्वस्तर पर रक्तदानियों की नगरी के रूप में अपनी विशेष पहचान बठिंडा के की रक्तदान दान का शतक लगा चुके हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 14 Jun 2020 04:35 PM (IST)
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World Blood Donor Day 2020: ये हैै रक्तदानियों की नगरी, कई लगा चुके दान का शतक, महिलाएं भी पीछे नहीं
बठिंडा/रामपुरा फूल [मनीश जिंदल/जीवन जिंदल]। World Blood Donor Day 2020: यूं तो आज रक्तदान लहर विश्वव्यापी लहर बनकर लाखों जिंदगियों को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, किंतु इस लहर को शुरू करने में बठिंडा और रामपुरा की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। शायद यही कारण है कि बठिंडा और रामपुरा ने विश्वस्तर पर रक्तदानियों की नगरी के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाई है। वर्तमान समय में बठिंडा जिले के पास रक्तदानियों की एक फौज है।

जिले के रक्तदानियों के इस जज्बे को देखते हुए रक्तदान के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे जिले के कई रक्तदानियों को स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। रक्तदान के क्षेत्र में अकेले पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त सरोज शाही 70 से ज्यादा बार और संगीता सोढ़ी 47 से अधिक बार रक्तदान कर महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।

वहीं अब तक 127 बार रक्तदान कर चुके स्टेट अवार्डी सुरेंद्र गर्ग, 126 बार रक्तदान करने चुके बिजली विभाग से सेवानिवृत्त पवन मेहता, 118 बार रक्तदान कर चुके राज कुमार जोशी, 116 बार रक्तदान कर चुके हरदीप सिंह, 114 बार रक्तदान कर चुके विनोद बांसल, 113 बार रक्तदान कर चुके प्रिंसिपल प्रेम कुमार मित्तल, हर तीन महीने बाद रक्तदान करना नहीं भूलते। रक्तदानी नरेश पठानिया, विजय भट्ट, बीरबल बांसल, रमेश मेहता व मनोहर सिंह लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं।

उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान के इतिहास में 14 जून का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है। दूसरे लोगों का जीवन बचाने के मकसद के साथ रक्तदान करने वाले लोगों को धन्यवाद देने और स्वस्थ लोगों को स्वैैच्छिक रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने के मकसद के साथ आज का दिन विश्वभर में रक्तदाता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

रक्तदानी विजय भट्ट ने बताया कि वह पंजाब के अलावा उत्तराखंड के ऋषिकेश, हरिद्वार और हिमाचल प्रदेश में शिमला, रेणुका जी में कई बार रक्तदान कैंप लगा चुके हैं। इसके अलावा लेह, लद्दाख, कारगिल, मनाली, श्रीनगर आदि में जागरूकता कैंप लगा चुके हैं। बठिंडा और आसपास के जिलों के गांव-गांव तक रक्तदान की लोक लहर चलाई जा चुकी है। इसमें विवाह, शादियों, बच्चों के जन्म और किसी जन्म दिन, दुकानों और मकानों के उद्घाटन और बरसियों, श्रद्धांजलि समारोहों के मौके पर भी खूनदान करने की नई परंपरा शुरू की है। विवाह के कार्डों पर रक्तदान का समय भी लिखा जाता है।

बठिंडा जिले के रक्तदानियों को सलाम

127 बार रक्तदान कर चुके हैं सुरेन्द्र गर्ग शहर निवासी सुरेन्द्र गर्ग अब तक 127 वार रक्तदान कर चुके हैं। वर्ष 1 अक्टूबर 1978 में रक्तदान लहर के संस्थापक स्वर्गीय हजारी लाल बांसल तथा प्रीतम सिंह आर्टिस्ट की प्रेरणा से रक्तदान करने वाले सुरेन्द्र गर्ग हर तीन महीने बाद रक्तदान करते हैं। रक्तदान के क्षेत्र में उनके योगदान के चलते 15 अगस्त 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे तीन वर्ष तक बीडीसी रामपुरा फूल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पावरकॉम से सेवानिवृत्त पवन मेहता 126 बार कर चुके हैं रक्तदान

बिजली विभाग से सेवानिवृत्त रामपुरा फूल निवासी पवन मेहता 126 वार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने 1988 में रक्तदान के क्षेत्र में कदम रखा तथा उसके बार प्रत्येक तीन महीने बाद रक्तदान करते चले आ रहे हैं। 15 अगस्त 2006 को पटियाला में आयोजित राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरद्र सिंह द्वारा उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे जुलाई 2000 से बीडीसी रामपुरा फूल के महासचिव चले आ रहे हैं।

पावरकॉम से सेवानिवृत्त राजकुमार जोशी 118 बार कर चुके रक्तदान

बिजली विभाग मंडल रामपुरा फूल से सेवानिवृत्त राजकुमार जोशी अब तक 118 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1979 में रक्तदान किया। किंतु इसके दस वर्ष बाद दोस्त की पत्नी के आपरेशन मौके उनके लिए रक्तदान कर वे इस अभियान का हिस्सा बन गए तथा प्रत्येक तीन महीने बाद रक्तदान करने लगे। रक्तदान के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के बदले 1 नवंबर 2019 को बरनाला में आयोजित समारोह में सेहत मंत्री बलवीर सिंह सिद्धू द्वारा तथा इसके बाद 3 मार्च 2020 को चंडीगढ़ में आयोजित समारोह में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर द्वारा उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

116 बार रक्तदान कर चुके हैं दिव्यांग हरदीप सिंह

मानवता की सेवा भावना के साथ भरे यह महान रक्तदानी समय-समय पर रक्तदान करके कई अनमोल जिंदगियां बचाने में सहायक हुए हैं और जरूरतमंदों के लिए हमेशा अपनी बाजू आगे करते हैं। उनमें से एक हैं युनाईटेड वेलफेयर सोसायटी के मेंबर हरदीप सिंह। बठिंडा जिले के गांव नरूआना का निवासी रक्तदानी हरदीप सिंह शारीरिक तौर बेशक 60 प्रतिशत विकलांग है परंतु रक्तदान की दौड़ में उन्होंने सेहतमंदों को भी पीछे छोड़ गया है। 45 बर्षीय बी पॉजिटिव ग्रुप का यह रक्तदानी रक्तदान करने में शतक मारकर इलाके का प्रसिद्ध रक्तदानी बन चुका है और अब तक 116 बार रक्तदान कर चुका हैं।

113 बार रक्तदान कर अभियान को सफल बना रहे विनोद बांसल

बठिंडा निवासी विनोद बांसल बी नेगेटिव ग्रुप होने के बावजूद अबतक 113 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे वर्ष 1982 से शहर की समाजसेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसायटी से जुड़े हुए हैं तथा रक्तदान को अपनी जिंदगी का अभिन्न अंग मानते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी तथा बेटा भी 9-9 बार रक्तदान कर चुके हैं। विनोद बांसल को भी स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका हैं।

प्रिंसिपल प्रेम कुमार मित्तल ने 113 बार रक्तदान कर बनाया शतक

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल झूंबा के प्रिंसिपल प्रेम कुमार मित्तल 113 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे गत अढाई दशक से यूनाइटेड वेलफेयर सोसायटी से जुड़े हुए हैं तथा वर्ष 1989 से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को रक्तदान से शारीरिक कमजोरी होने की बात कहकर इससे कतराने की बजाय रक्तदान कर अपना भ्रम दूर करना चाहिए।

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