हवा में गुम चंडीगढ़ ओलंपिक भवन परियोजना
By Edited By: Updated: Sun, 15 Sep 2013 08:48 PM (IST)
खेल संवाददाता, चंडीगढ़
शहर की खेल एसोसिएशनों के पास खेलों के संचालन के लिए स्थायी तौर पर अपना कोई कार्यालय ही नहीं है। अब यह शहर की खेल एसोसिएशनों और खिलाड़ियों के लिए त्रासदी ही कही जा सकती है कि उनके पास खुद की पहचान के नाम पर ओलंपिक भवन के रूप से अपना कोई स्थायी आशियाना ही नहीं है। शहर की सबसे प्रभावशाली खेल एसोसिएशन चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन (सीओए) की बरसों पुरानी महत्वाकाक्षी परियोजना ठंडे बस्ते में है। प्रशासन की उदासीनता के कारण सीओए की यह योजना जमीन नहीं मिलने के कारण पिछले एक दशक से लंबित पड़ी है। वर्ष 2003 की इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए सीओए की तमाम कोशिश के बाद भी उसके हाथ कोई सफलता नहीं लग सकी है। दूसरी ओर, प्रशासन का स्पोर्ट्स प्रमोशन के नाम पर हाल यह है कि एस्टेट आफिस ने सीओए को भेजे पत्र में खुली बोली (ऑक्शन) के तहत विज्ञापन निकाले जाने के बाद ही जमीन के लिए आवेदन किए जाने की सलाह देकर टका सा जवाब दिया गया है। इस मसले पर सीओए बेबस है। ओलंपिक भवन नहीं होने से सीओए से मान्यता प्राप्त शहर के खेल संघों का अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए स्वतंत्र रूप से कोई ऑफिस भी नहीं है। भवन योजना के एक से दो एकड़ भूमि तक सीओए का स्पोर्ट्स ट्रेनिंग संस्थान, टेनिस, बैडमिंटन, जिमनास्टिक कोर्ट और आल वेदर स्विमिंग पूल के निर्माण का प्रस्ताव था। भवन निर्माण की फाइल बाबुओं की फाइलों में कहीं गुम है। खास बात तो यह है कि सीओए की पड़ोसी पंजाब ओलंपिक एसोसिएशन का मोहाली में ओलंपिक भवन का निर्माण कार्य पूरा होने की कगार पर है तो वहीं, हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन का पहले से ही पंचकूला में अपना एक ओलंपिक भवन है, लेकिन दो राज्यों की राजधानी की खेल एसोसिएशन भवन के लिए तरसी हुई हैं।
आश्वासन से ज्यादा कुछ नहीं सीओए के पदाधिकारी भवन की जमीन के लिए पूर्व प्रशासक जनरल(रिटा.) एसएफ रोड्रिग्स से लेकर वर्तमान नगर प्रशासक शिवराज पाटिल के समक्ष फरियाद लगा चुके हैं।
लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा है। आश्वासन से ज्यादा बात आगे नहीं बढ़ सकी है। रोड्रिग्स के कार्यकाल के दौरान सीओए ने पूर्व वित्त सचिव एसके संधू को पत्र लिखा, उन्होंने मामले को एस्टेट ऑफिस को रेफर कर दिया था। एस्टेट ऑफिस के कहने पर भवन के ब्लू प्रिंट तक बनाए गए थे। इसमें अपनी उपलब्धता के हिसाब से नक्शे तैयार कर वर्ष 2003 को एस्टेट ऑफिस को भेजा गया था। सीओए ने भवन की जमीन के लिए लेक क्लब के आसपास खाली जगह का भी सुझाव दिया था। जमीन अलाटमेंट का पत्र मिलने की सूरत में सीओए तय समय अवधि में पैसा भरने के बारे में सोच सकती थी। कोट्स 'अगर हमारे पास भवन होगा तो हम अन्य खेल एसोसिएशनों को ऑफिस भी मुहैया करा सकते हैं, बल्कि उस परिसर में खेल भी शुरू कर सकते हैं, हमें जमीन अलाट हो जाए तो हम किश्तों के हिसाब से पैसों का भी भुगतान कर सकते हैं, सब जगह ओलंपिक भवन है लेकिन यहां पर नहीं हैं, इस मसले को नगर प्रशासक के समक्ष फिर उठाया जाएगा' -रविंदर तलवार महासचिव चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन
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