Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

गृह जिलों में लौट सकेंगे शिक्षक

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : लंबे समय से दूसरे जिलों में तैनात शिक्षकों को जल्द ही गृह जिले में वापसी का

By JagranEdited By: Updated: Sat, 24 Jun 2017 09:48 PM (IST)
Hero Image
गृह जिलों में लौट सकेंगे शिक्षक

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : लंबे समय से दूसरे जिलों में तैनात शिक्षकों को जल्द ही गृह जिले में वापसी का मौका मिलेगा। शिक्षा विभाग अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी लाने की तैयारी में है। भाजपा सरकार में वर्ष 2015 के बाद ये दूसरा मौका होगा जब दूसरे जिलों में तबादला चाहने वाले अध्यापकों को इच्छित जिले में जाने की मुराद पूरी होगी। सरकार की मंजूरी मिलते ही इस पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा।

शिक्षा विभाग द्वारा पिछले साल शुरू की गई ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी का अभी उन अध्यापकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो दूसरे जिले में जाना चाहते है। इसके लिए अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी ही एकमात्र विकल्प है।

गौरतलब है कि पिछली कांग्रेस सरकार वर्ष 2006 में अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी लाई थी, जिसके जरिये लंबे अरसे के बाद अध्यापक अपने जिलों में वापस लौट सके थे। उसके बाद मौजूदा भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में पॉलिसी के तहत सैकड़ों अध्यापकों को वांछित जिलों में पहुंचाया।

हालांकि वर्ष 2015 की पॉलिसी में म्यूचुअल ट्रांसफर केवल उसी वर्ग-श्रेणी के लिए रखा गया था, जिसमे मसलन सामान्य वर्ग के शिक्षक यदि म्यूचुअल ट्रांसफर चाहते हों तो सामान्य वर्ग के अध्यापक के साथ ही संभव था। यही नियम अन्य श्रेणियों पर भी इसी रूप में लागू रहा। अब आने वाली अंतर-जिला स्थानांतरण पॉलिसी की क्या रूप रेखा तय होगी, इसको लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

बैठकों का एक दौर पूरा हो चुका है। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केवल उन्हीं अध्यापकों के आवेदन पर विचार होगा, जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल एक जगह पूरा कर लिया हो। गंभीर बीमारी से पीड़ित, दिव्यांग श्रेणी के साथ केवल सेना, अ‌र्द्धसैनिक बलों में कार्यरत सैनिक और अधिकारियों की पत्नियों को ही कपल केस के तौर पर तरजीह दी जाएगी। राज्य सरकार, निगम, बोर्ड या किसी अन्य प्रकोष्ठ में कार्यरत सरकारी कर्मचारी दंपती को कपल केस के तौर पर नहीं शामिल किया जाएगा।

शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी पर विचार विमर्श जारी है। मसौदे को अंतिम रूप देने के बाद सरकार की मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।