51 साल पहले गायब हुए विमान AN-12 की मिस्ट्री सुलझी, जानें कहां व किस हालत में मिला
करीब 51 साल पहले 7 फरवरी 1968 को रोहतांग दर्रे से लापता हुए विमान की मिस्ट्री सुलझ गई है। सेना के वेस्टर्न कमांड की अगुवाई में डोगरा स्कॉउट्स ने इसका मलबा खोजा है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 21 Aug 2019 12:54 PM (IST)
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। 51 साल पहले गायब हुए विमान की मिस्ट्री सुलझ गई है। यह विमान 1968 में रोहतांग दर्रे से अचानक गायब हो गया था। इसका मलबा सेना के वेस्टर्न कमांड के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के डोगरा स्काउट्स ने खोजा है। एन-12 बीएल -534 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का मलबा ढाका ग्लेशियर पर मिला है।
वेस्टर्न कमांड की अगुवाई में डोगरा स्कॉउट्स ने विमान का मलबा ढाका ग्लेशियर पर खोजायह एयरक्राफ्ट 7 फरवरी,1968 को रोहतांग दर्रे से लापता हो गया था। वेस्टर्न कमांड की अगुवाई में डोगरा स्कॉउट्स ने 26 जुलाई को अपना सर्च अभियान शुरू किया था। 13 दिन बाद इस दल को ढाका ग्लेशियर में 5240 ऊंचाई पर कामयाबी मिली। दल को एयरक्राफ्ट के पार्ट्स मिले। इन पार्ट्स में ऐरो ईंजन, एयरक्राफ्ट का ढांचा, इलेक्ट्रिक सर्कट, प्रोपेलर, फ्यूल टैंक यूनिट, एयर ब्रेक असेंबली और एक कॉकपिट शामिल है।
वेस्टर्न कमांड द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस मलबे में विमान में सवार लोगों का कुछ सामान मौके पर इस दल को मिला है। भविष्य में अध्ययन के लिए इस सामान और घटनास्थल की बकायदा फोटोग्राफी भी की गई। इस अभियान में गए सदस्यों ने बताया कि ढाका ग्लेशियल की चढ़ाई बेहद मुश्किल थी। ग्लेशियर का ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका हुआ था और मौसम भी लगातार खराब रह रहा था। वावजूद इसके हमने सर्च अभियान जारी रखा।
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साल 2003 में लगी थी हादसा होने की खबर
पहली बार साल 2003 में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट के एक पर्वतारोही दल ने चंद्र-भागा-13 के नजदीक विमान का मलवा पड़ा होने की बात कही थी। इस दौरान इस दल को एक सैनिक का शव मिला था। उसकी शिनाख्त बेली राम के तौर पर हुई थी। साल 2007 में सेना के पर्वतारोही दल को तीन और शव मिले। यह भी पढ़ें: ASI बेटी को फोन करके बोला- DSP ने मुझे कुत्ता कहा मरने जा रहा हूं, फिर बेटी ने ऐसे बचाया इसके बाद सेना ने तीन और सर्च अभियान चलाए जिसमें चार और सैनिकों के शव मिले थे। इसी साल 11 जुलाई को एक सैनिक का शव मिला था। अब एएन -12 का मलवा मिलने की पुष्टि होने के बाद उन परिवारों को उम्मीद जगी है जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खो दिया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हादसे के समय एएन -12 थे 106 सैनिक सवार
7 फरवरी,1968 को जिस समय हादसा हुआ उस समय इस फ्लाइट में 102 सैनिक और चार क्रू मैंबर्स बैठे हुए थे। ये सभी जवान लेह से चंडीगढ़ के लिए आ रहे थे, लेकिन लेह में मौसम खराब होने की वजह से यह फ्लाइट लेह में लैंड नहीं हो सकी। इसके बाद विमान चंडीगढ़ वापस आ रहा था। तभी रोहतांग दर्रे में यह गायब हो गया। कई सालों तक यही कयास लगाए गए मौसम खराब होने से विमान चीन की सीमा में चला गया और चीन ने भारतीय सैनिकों को बंधक बना लिया है।साल 2003 में लगी थी हादसा होने की खबर
पहली बार साल 2003 में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट के एक पर्वतारोही दल ने चंद्र-भागा-13 के नजदीक विमान का मलवा पड़ा होने की बात कही थी। इस दौरान इस दल को एक सैनिक का शव मिला था। उसकी शिनाख्त बेली राम के तौर पर हुई थी। साल 2007 में सेना के पर्वतारोही दल को तीन और शव मिले। यह भी पढ़ें: ASI बेटी को फोन करके बोला- DSP ने मुझे कुत्ता कहा मरने जा रहा हूं, फिर बेटी ने ऐसे बचाया इसके बाद सेना ने तीन और सर्च अभियान चलाए जिसमें चार और सैनिकों के शव मिले थे। इसी साल 11 जुलाई को एक सैनिक का शव मिला था। अब एएन -12 का मलवा मिलने की पुष्टि होने के बाद उन परिवारों को उम्मीद जगी है जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खो दिया था।
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