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सर्वे में बोली 75 फीसद महिलाएं अभी भी माहवारी में करती हैैं कपड़ा प्रयोग

भारत में अभी भी 75 फीसद महिलाएं माहवारी के दिनों में नैपकीन के बजाय कपड़े का प्रयोग कर रही हैं। सर्वे में और भी कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2016 07:22 PM (IST)
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चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। भारत में माहवारी के दौरान अभी भी 75.2 प्रतिशत महिलाएं कपड़ा प्रयोग करती हैं। 16.5 प्रतिशत लोकल स्तर पर बनाया गया नैपकीन प्रयोग करती हैं। 30 प्रतिशत ने बताया कि वह सेनीटरी नैपकीन भी प्रयोग करती हैं।

यह बात वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, पंजाब इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (डीम्ड यूनिवर्सिटी) द्वारा किए सर्वे में सामने आई है। सर्वे के दौरान और भी कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैैं।

माहवारी के दौरान महिलाओं में आई दिक्कतें

इससे मिलते जुलते अन्य सर्वे, जिसमें पंजाब में सैंपल साइज 7031 था में कुंवारी लड़कियों से सवाल जबाव किए गए। उनसे बीते तीन माह में कुंवारी लड़कियों की माहवारी को लेकर आ रही दिक्कतों, गर्भ निरोधकों, सेक्सुअल ट्रांसमीटिड इनफेक्शंस पर भी जवाब सवाल किए गए। हर पांच में से एक महिला या आंकड़ों में कहें तो 22 प्रतिशत महिलाओं को माहवारी में कोई न कोई समस्या थी।

दस में से नौ महिलाओं या यूं कहें कि 91.4 प्रतिशत महिलाओं को माहवारी के दौरान काफी दर्द होता था। सात प्रतिशत महिलाओं को असामान्य माहवारी थी। कई महिलाओं को बहुत कम अवधि तक ही माहवारी की समस्या सामने आई। सर्वे में ऐसी कम ही महिलाएं सामने आई जिन्होंने बताया कि उन्हें माहवारी के दौरान काफी ज्यादा रक्तस्राव हुआ।

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गर्भाशय की समस्याओं से बढ़ रहा बांझपन

दुनिया भर में 80 मिलियन जोड़े बांझता का शिकार हैं, उनमें से 15 फीसद जोड़े पंजाब के हैं। 20 से 49 साल की महिलाओं व पुरुषों पर यह सर्वे किया गया, जिसमें पाया गया कि इनफर्टिलिटी (बांझता) के लिए इनमें ड्रग्स व जेनेटिक कारण (वंशानुगत समस्याएं) प्रमुख हैं। महिलाओं में गर्भाशय से संबंधित समस्याएं भी बांझता को बढ़ा रही हैं। इसके अलावा टीबी, स्ट्रेस, मोटापा भी गर्भ धारण न होने की वजह है।

परिवारों को इसके चलते मानसिक व सामाजिक समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। ऑस्ट्रेलिया से आइवीएफ पाटर्नर की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. टिकी ओसिनलीस ने क्षेत्र के विभिन्न आइवीएफ सेंटरों के डॉक्टरों की सीएमइ के दौरान यह खुलासा किया। उन्होंने बताया कि सर्वे अमृतसर, जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर, फिरोजपुर, फरीदकोट, बरनाला में किया गया, जहां से आंकड़े जुटाए गए।

पहली बार गर्भाधान में आई दिक्कतें

सर्वे में 5143 पुरुषों व महिलाओं का सर्वे साइज रखा गया। इसमें पाया गया कि करीब 80 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं ऐसी थी, जिन्हें पहली बार में गर्भाधान करने में दिक्कतें पेश आई। कपूरथला, जालंधर व होशियारपुर की 20 प्रतिशत महिलाओं की माहवारी में दिक्कतें सामने आई। अमृतसर, कपूरथला, होशियारपुर, फिरोजपुर, फरीदकोट और बरनाला इलाके में 15 प्रतिशत आबादी को इनफर्टिलिटी की समस्या सामने आई। 20 से 49 साल की 2 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थी जिनकी शादी को पांच साल से ऊपर का वक्त हो चुका था, लेकिन उनके बच्चा नहीं था। 1.6 प्रतिशत महिलाओं को गर्भाधान में दिक्कतें पेश आ रही थी। 40 से 49 साल की महिलाओं में 1.4 प्रतिशत के बच्चा नहीं था, जबकि 1.3 प्रतिशत के गर्भाधान नहीं हो रहा था। इनमें से 90 प्रतिशत से ऊपर महिलाएं कोई न कोई ट्रीटमेंट ले रही हैं। किसी भी तबके की महिलाओं में यह समस्या थी तो उन्होंने इसे दूर करने के लिए ट्रीटमेंट लिया। खासतौर से मोगा, फिरोजपुर, फरीदकोट में उन्होंने अपना इलाज कराया।

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