गोद लिया बच्चा भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी का हकदार
अनुकंपा के आधार पर गोद लिए हुए बच्चे को भी नौकरी मिल सकती है। हाई कोर्ट ने मामले में दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2016 01:47 PM (IST)
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले का निपटारा करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि गोद लिया हुआ बच्चा भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी का अधिकारी है, बशर्ते बच्चे के सभी दस्तावेजों पर गोद लेने वाले माता-पिता का ही नाम हो।
मामले में तरनतारन निवासी सुखविंदर कौर की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका में सुखविंदर कौर ने कहा था कि उनके पति गुरचरण सिंह जोकि बीएसएफ से रिटायर हुए थे और उनके नाबालिग बेटे करनवीर सिंह को 16 फरवरी, 1991 को सीआरपीएफ के जवानों ने गलती से आतंकी समझकर मार डाला था। इस मामले में तरनतारन के सरहाली पुलिस थाने में एफआइआर भी दर्ज की गई थी। पंजाब सरकार ने विधवा सुखविंदर कौर के गुजारे के लिए 5000 रुपये मासिक राहत भी शुरू कर दी। याचिका में आरोप लगाया गया कि पिता-पुत्र के अंतिम संस्कार के समय जिला प्रशासन और पंजाब के गर्वनर ने आश्वासन दिया था कि याचिकाकर्ता के परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी। लेकिन पिता-पुत्र की मौत के बाद परिवार में केवल याचिकाकर्ता विधवा ही बची थी, इसलिए उन्होंने अपने भाई जसकरण सिंह के बेटे को गोद ले लिया, जिसका जन्म 15 जुलाई, 1991 को हुआ था। बच्चा गोद लेने की सारी प्रक्रिया 29 जनवरी, 1993 तक पूरी कर ली गई। बच्चे के सभी दस्तावेजों पर माता का नाम सुखविंदर कौर और पिता का नाम गुरचरण सिंह लिखा गया है। याचिका के अनुसार, अब यह बच्चा बी. कॉम कर चुका है। याचिकाकर्ता ने 15 जनवरी, 2013 को तरनतारन के डीसी को पत्र लिखकर अनुकंपा के आधार पर बेटे को नौकरी दिए जाने की मांग की, जिसे डीसी ने 7 फरवरी, 2013 को रिजेक्ट कर दिया।पढ़ें : 25 दुश्मनों को ढेर कर मुंह से निकला जय हिंद और शहीद हो गए अजायब
याचिकाकर्ता इसके बाद संगत दर्शन में उपमुख्यमंत्री से मिलीं, जिन्होंने याचिकाकर्ता की अपील विशेष मुख्य सचिव (आर) को और वहां से सचिव राजस्व एवं पुनर्वास एवं आपदा प्रबंधन को भेजी गई। वहां से तरनतारन के डीसी को सूचना मिली कि चूंकि जसकरण सिंह मृतक गुरचरण सिंह द्वारा गोद लिया पुत्र नहीं है, इसलिए उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती। इसके बाद याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। जस्टिस राकेश कुमार जैन ने पंजाब सरकार के निर्णय को खारिज करते हुए सरकार को निर्देश जारी किए कि वह याचिकाकर्ता के पुत्र को दो माह के भीतर अनुकंपा के आधार पर नौकरी दे।पढ़ें : झज्जर के रणबांकुरों ने छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के
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