ब्रिटेन ने कहा, नहीं देंगे शहीद ऊधम सिंह की रिवॉल्वर और डायरी
ब्रिटिश सरकार शहीद ऊधम सिंह की रिवॉल्वर, कॉबलर चाकू, डायरी और अन्य सामान भारत को नहीं लौटाएगी। ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि ये चीजें सबूत हैं इसीलिए नहीं देे सकते।
By Test1 Test1Edited By: Updated: Sat, 18 Jun 2016 02:44 PM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ब्रिटिश सरकार शहीद ऊधम सिंह की रिवॉल्वर, कॉबलर चाकू, डायरी और अन्य सामान भारत को नहीं लौटाएगी। ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि ये चीजें सबूत हैं इसीलिए नहीं दी जा सकती। इस बात का खुलासा आरटीआई के तहत मांगी गई एक सूचना में हुआ है। करणवीर शंटी थम्मन ने यह जानकारी मांगी थी।
अदालत में सबूत के तौर पर पेश वस्तुएं नहीं लौटा सकतेब्रिटिश सरकार ने कहा कि वह पंजाब सरकार को यह सामान वापस नहीं कर सकती क्योंकि ऊधम सिंह के खिलाफ चलाए गए केस में यह रिवॉल्वर, कॉबलर चाकू, डायरी और गोली केस प्रॉपर्टी के तौर पर बतौर सुबूत अदालत में पेश किए गए थे। यूके सरकार का नियम है कि जो भी वस्तु केस प्रॉपर्टी होती है, उसे वापस नहीं किया जा सकता। लिहाजा यह वस्तुएं पंजाब सरकार को नहीं दी जा सकतीं।पढ़ें : 220 एलईडी पर दिखेगा मोदी के योग शिविर का भव्य कार्यक्रम
अब हाईकोर्ट जाने की तैयारी आरटीआइ के तहत मिली इस जानकारी के बाद एडवोकेट एचसी अरोड़ा और करणवीर शंटी थम्मन अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे। उनका कहना है कि शहीद ऊधम सिंह से संबंधित यह सभी वस्तुएं देशवासियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह हथियार शहीद ऊधम सिंह ने अमृतसर के जलियांवाला हत्याकांड के दोषी जनरल डायर से इस हत्याकांड का बदला लेने के लिए इस्तेमाल किए थे। अब हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस मामले में हाईकोर्ट से यह मांग की जाएगी कि वह केंद्र सरकार को इन वस्तुओं को भारत लाने के लिए प्रयास करे।
जलियांवाला हत्या कांड से दुःःखी हो गए थे उधम सिंह सरदार ऊधम सिंह आजादी की लड़ाई के महान क्रांतिकारी थे। वे 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे। उन्होंने इस घटना के दोषी माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ली। डायर जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय पंजाब का गवर्नर जनरल था।पढ़ें : पंजाबियों को भायी फिल्म ' उड़ता पंजाब' , पटियाला व लुधियाना में विरोध 21 साल बाद लंदन जाकर लिया नरसंहार का बदला सन् 1934 में ऊधम सिंह लंदन पहुंचे। अपना मिशन पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवॉल्वर खरीदी। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च, 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के कॉक्सटन हॉल में बैठक थी, जहां डायर भी आया था।ऊधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुंच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। भरी सभा में ऊधम सिंह ने डायर पर गोलियां दाग दीं। उसकी तत्काल मौत हो गई। ऊधम सिंह ने अपनी गिरफ्तारी दी। उन पर मुकदमा चला। 31 जुलाई, 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।
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