अफ्रीकी नागरिकों को 'नीग्रो' कहना देश के लिए शर्मिंदगी की बात, हाई कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अफ्रीकी नागरिकों को नीग्रो कहने पर पुुुुुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि पुलिस रिकॉर्ड में नस्लभेदी शब्द प्रयोग न करें।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 15 Jun 2020 11:46 AM (IST)
चंडीगढ़ [कमल जोशी]। हाल ही में अमेरिका में हुए नस्लभेदी दंगों के बाद पंजाब पुलिस को नस्लभेदी भेदभाव के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से कड़ी फटकार झेलनी पड़ी है। अफ्रीका के निवासियों को पंजाब पुलिस के रिकॉर्ड में 'नीग्रो' कहकर संबोधित किए जाने पर हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस का यह रवैया देश के लिए शर्मिंदगी का सबब है। यह देश में घृणा फैलाता है।
पंजाब के डीजीपी को इस मामले में हस्तक्षेप करने के आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि वे ऐसे निर्देश जारी करें, जिनसे पुलिस रिकॉर्ड में ऐसे नस्लभेदी शब्दों का प्रयोग न किया जाए। हाई कोर्ट ने किसी की शारीरिक विशेषताओं के कारण उसके चरित्र हनन का प्रयास करने वाले पुलिस वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा है।पूरे विश्व में बड़ा आपत्तिजनक शब्द
अमरजीत सिंह नाम के एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव नारायण रैना ने कहा कि हमारा देश सदियों तक गुलामी का दंश झेल चुका है। अब स्वतंत्रता मिलने के बाद हमारे देशवासियों को दूसरे देशों के निवासियों को 'काला' जैसे शब्द कहकर पुकारने का अधिकार नहीं है। यह पूरे विश्व में बड़ा आपत्तिजनक शब्द है और किसी को इसे प्रयोग नहीं करना चाहिए, विशेषकर पुलिस को। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस यह मानने लगी है कि हर अश्वेत व्यक्ति ड्रग पैडलर है।
पूरा आदर और सम्मान मिलना चाहिए
हाई कोर्ट ने कहा कि भारत आने वाला हर अश्वेत व्यक्ति, चाहे वह एक छात्र के तौर पर आए या एक यात्री के तौर पर, उसे यहां पूरा आदर और सम्मान मिलना चाहिए। सभी अश्वेत लोगों को देश का मूल्यवान मेहमान बताते हुए जस्टिस रैना ने कहा कि भारतीयों को यह भूलना नहीं चाहिए कि मेहमाननवाजी और अतिथि सत्कार हमारी परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है। रैना ने कहा कि महात्मा गांधी भी दो दशक तक दक्षिण अफ्रीका में रहे थे और इसी दौरान उन्होंने रंगभेद के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था।
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