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नाबालिग के साथ live-in relationship को नहीं दी जा सकती मान्यता, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने युवक को लगाई फटकार

नाबालिग लड़की के साथ लिव इन में रहते हुए सुरक्षा की मांग की याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने युवक को फटकार भी लगाई। कहा कि ऐसे रिश्ते को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 09 Mar 2021 04:34 PM (IST)
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।
जेएनएन, चंडीगढ़। 16 वर्ष की लड़की के साथ लिव इन रिलेशन (live-in relationship) में रहते हुए सुरक्षा मांगने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस 25 वर्ष के युवक को कड़ी फटकार लगाई है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा की जिस लड़की के साथ यह युवक लिव इन रिलेशन में रह रहा है, वह मात्र 16 वर्ष की है। इस तरह के रिश्ते को न तो नैतिक तौर पर और न ही सामाजिक तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।

जस्टिस एचएस मदान ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि अगर दोनों को सुरक्षा चाहिए तो वह अपने जींद जिले के पुलिस अधिकारी को अर्जी देकर सुरक्षा की मांग कर सकते हैं। जस्टिस मदान ने कहा कि हाई कोर्ट में इस तरह की मांग को लेकर याचिका दायर करने के पीछे दोनों की यही मंशा नजर आती है कि हाई कोर्ट किसी तरीके से उनकी इस लिव इन रिलेशन को मान्यता दे दे, लेकिन हाई कोर्ट नाबालिग के साथ किसी किस्म के लिव इन रिलेशन को मान्यता नहीं दे सकता है।

इसी आधार पर हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि एक प्रेमी जोड़े ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की थी और कहा था कि वह दोनों लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं, जिससे उनके परिवारवाले खुश नहीं हैं। ऐसे में उन्हें अपने परिवार वालों से खतरा है इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए।

बता दें, गत दिवस ऐसा ही एक और मामला हाई कोर्ट में पहुंचा था। एक महिला अपने पुरुष मित्र के साथ लिव इन में रह रही थी। पुरुष की पत्नी को भी इस पर आपत्ति नहीं थी। महिला ने यह कहते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसे परिवार से खतरा है उसे सुरक्षा दी जाए। इस पर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी अनैतिक रिश्ते को जायज साबित करने के लिए दायर याचिका पर हाई कोर्ट से राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हाई कोर्ट की जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने जींद निवासी प्रेमी जोड़े की मांग को खारिज करते हुए कहा कि केवल अनैतिक व अवैध रिश्ते पर हाई कोर्ट के अनुमोदन की मुहर लगाने के लिए दायर ऐसी याचिका पर हाई कोर्ट कोई आदेश जारी नहीं करेगा।

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