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पंजाब में लोगों की नजर में खाकी बन रही खलनायक

पंजाब पुलिस मानवाधिकारों की रक्षा करने के मामले में खलनायक साबित हो रही है। आयोग के पास पुलिस के खिलाफ कई शिकायतें आ रही हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 28 Jun 2016 01:07 PM (IST)
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चंडीगढ़ [ मनोज त्रिपाठी] । लोगों की रक्षा करने वाली पंजाब पुलिस मानवाधिकारों की रक्षा करने के मामले में खलनायक साबित हो रही है। आयोग के पास 18 वर्षों से पुलिस, डिफेंस फोर्स व पैरामिलिट्री फोर्स के खिलाफ मानवाधिकार हनन की शिकायतें आ रही हैं। इनमें पुलिस के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें हैं।

आयोग ने इस बारे में पंजाब पुलिस को लिखित में सूचित किया है। आयोग ने लिखा कि पुलिस को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाया जाए, जिससे मानवाधिकार उत्पीडऩ के मामलों में कमी आ सके। फिलहाल आयोग की सिफारिश पर पुलिस ने कोई खास तवज्जो नहीं दी है।

55.07 फीसद शिकायतें पुलिस के खिलाफ

पंजाब मानवाधिकार आयोग गठन 1997 में किया गया था। अभी तक कुल 239281 शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1,31,776 शिकायतें पंजाब पुलिस के खिलाफ हैं। अगर शिकायतों के अनुपात में बात की जाए, तो 55.07 फीसद शिकायतें पुलिस से संबंधित हैं, जिनमें मानवाधिकारों को लेकर उत्पीडऩ के मामले सामने आए हैं। कारवाई के नाम पर आयोग ने पुलिस अधिकारियों को नोटिस व जांच के बाद लगभग मामलों में क्लीन चिट भी दे दी है। अनुशासन के लिए मानी जाने वाली पैरामिलिट्री फोर्स व डिफेंस फोर्स भी मानवाधिकारों के अनदेखी का शिकार हैं। इनके खिलाफ लोगों ने शिकायतें दर्ज करवाई हैं। हालांकि इनकी संख्या काफी कम है।

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जेलों में भी परवाह नहीं

पंजाब की 26 जेलों में भी मानवाधिकारों के उलंघन की शिकायतें आयोग के पास पहुंची हैं। मई 2016 तक इनकी संख्या 4794 तक पहुंच चुकी है। सैकड़ों शिकायतों पर अभी तक सुनवाई की नौबत भी नहीं आई हैं। जेलों में मानवाधिकारों के हनन के मामले भी साल में 200 से 300 के बीच आ रहे हैं। यही आलम पुलिस के खिलाफ आई शिकायतों का भी है।

जवानों को जागरूक कर रहे: आइजी

आइजी मानवाधिकार एसके सिंह का कहना है कि फील्ड में काम करने वाली पुलिस फोर्स के खिलाफ ज्यादा मामले हैं। हकीकत में फील्ड में काम करना बेहद कठिन होता है। पुलिस की तरफ से सभी जिलों के एसएसपी को इस बारे में लिखा जा चुका है कि जवानों को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाएं। सेमिनार से जवानों को जागरूक किया जा रहा है। काफी सुधार हुआ है। पुलिस के खिलाफ आई ज्यादातर शिकायतों की पड़ताल के बाद मामले झूठे निकलते हैं।

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