मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर अब 65 पर होंगे रिटायर, SC वकीलों की नियुक्ति के बदले नियम; मान कैबिनेट का बड़ा फैसला
पंजाब सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए प्रोफेसरों की रिटायरमेंट आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को 65 वर्ष तक पुनर्नियुक्ति का अवसर मिलेगा। इसके अतिरिक्त राज्य के ब्लॉकों का पुनर्गठन किया जाएगा। सरकार ने एडवोकेट जनरल के कार्यालय में अनुसूचित जाति के वकीलों के लिए आय सीमा भी कम कर दी है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राज्य के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए पंजाब मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 कर दी है।
इसी तरह मेडिकल अफसर स्पेशलिस्ट की आयु 58 ही रखी गई है, लेकिन उन्हें 65 वर्ष की आयु तक फिर से रखा जा सकेगा। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण फैसले में केबिनेट ने एडवोकेट जनरल (एजी) कार्यालय में अनुसूचित जाति के वकीलों को रखने के लिए नियमों में भी बदलाव कर दिया है।
इसी तरह प्रशानिक परेशानियों को देखते हुए राज्य के ब्लॉकों का भी पुनर्गठन करने का फैसला किया गया है। कैबिनेट की बैठक के बाद वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि कैबिनेट के फैसले के बाद मेडिकल कालेजों में प्रोफेसर अब तीन साल और काम कर सकेंगे। इससे उनकी कमी दूर होगी।
इसी तरह मेडिकल अफसर स्पेशलिस्ट 58 वर्ष की सेवानिवृत्ति के बाद पुन: 65 वर्ष तक प्रतिनियुक्ति के तहत काम कर सकेंगे। इनकी भर्ती अनुबंध के आधार पर होगी। इन डाक्टरों को वेतन भी उनकी सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले वेतन के अनुसार होगा। बता दें कि मेडिकल कालेजों में 41 प्रोफेसर सेवानिवृत्त होने वाले थे, जिन्हें इसका लाभ मिलेगा।
नियुक्ति के लिए आमदनी की सीमा आधी
उल्लेखनीय है कि हर विधानसभा सत्र में सबसे ज्यादा सवाल डॉक्टरों की कमी के ही लगते रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह सभी से कहते हैं कि अगले कुछ महीनों में ही नई भर्ती पूरी होने पर उन्हें डाक्टर उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
हालांकि हालात ऐसे हैं कि सरकार जितने भी डाक्टरों को भर्ती करती है, उनमें से कई या तो प्राइवेट सेक्टर में चले जाते हैं या फिर विदेश।
एजी कार्यालय में एससी वकीलों की नियुक्ति के लिए आय की सीमा आधी की एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि एडवोकेट जनरल के कार्यालय में लगाए जाने वाले वकीलों में अनुसूचित जाति से संबंध रखने वालों को भी जगह मिले इसके लिए सरकार ने विभिन्न केटेगरी में उनकी नियुक्ति के लिए आमदनी की सीमा आधी कर दी है।
हाईकोर्ट में आया था मामला
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सीनियर एडवोकेट जनरल के पद के लिए आय सीमा 20 लाख थी जिसे अब अनुसूचित जाति के लिए 10 लाख कर दिया है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के लिए एजी टीम में 58 पद आरक्षित हैं लेकिन आय की सीमा के कारण अनुसूचित जाति से संबंधित वकील नहीं आ पाते थे।
इस समय 15 के करीब पद अनुसूचित जाति वर्ग की खाली हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने एजी कार्यालय में वकीलों की टीम में एससी वकीलों के लिए 24 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रविधान करवाया था।
उस समय की विपक्षी पार्टी आप ने इसका विरोध किया था। हाई कोर्ट में भी यह मामला आया था और हाई कोर्ट ने इस पर निर्देश दिए थे। किसी ब्लाक में 25 गांव तो किसी में 100 से ज्यादा वित्तमंत्री ने बताया कि सरकार ने सभी ब्लाकों का पुनर्गठन का फैसला लिया है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए तीन मुख्य कारण थे। पहला कारण यह था कि मौजूदा समय में ब्लाक एक जैसे नहीं हैं। किसी का विधानसभा हलका किसी और में पड़ता है और जिला कोई और होता है। इसी तरह ब्लाक में गांव की गिनती भी तर्कसंगत नहीं है।
नगर सुधार ट्रस्ट में ओटीएस योजना को मंजूरी
कहीं मात्र 25 गांव हैं तो कहीं सौ से ज्यादा। इसके अलावा आबादी में भी काफी विसंगति है। उन्होंने बताया कि छह जिलों फिरोजपुर, फाजिल्का, लुधियाना, मालेरकोटला, मोहाली और पटियाला में इस तरह की विसंगतियां देखने में आ रही हैं।
हालात ऐसे हैं कि ब्लाक का प्रशासनिक कामकाज किसी और जिले में हैं जबकि ब्लाक किसी दूसरे जिले में है। ऐसे में कामकाज भी प्रभावित हो रहा था। कैबिनेट के अन्य फैसले इको सिस्टम जोन का घेरा सौ मीटर किया जाएगा। नगर सुधार ट्रस्ट में ओटीएस योजना को मंजूरी।
इसके तहत बकाया राशि न देने के कारण लगाया गया ब्याज माफ कर दिया गया है। इसी तरह कंस्ट्रक्शन फीस सहित दंडात्मक ब्याज में भी 50 प्रतिशत की छूट दी गई है।
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