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यौन शोषण के 'दलदल' में पीयू, छात्राओं का आरोप-शिक्षक करते हैं ऐसी बातें...

पंजाब विश्‍वविद्यालय यौन शोषण के मामले एक के बाद एक सामने आने से उसकी साख पर बट्टा लग रहा है। हालात यह हो गए हैं कुलपति भी ऐसे आरोप के घेरे में आ गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 23 Oct 2016 09:51 AM (IST)

चंडीगढ़, [साजन शर्मा]। पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) में यौन उत्पीड़न आैर यौन शोषण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे पीयू के दामन पर दाग लगने के साथ उसकी साख को बट्टा लग रहा है। सबसे बड़ी बात है कि एक के बाद एक मामले सामने आने के बाद भी अधिकतर में कार्रवाई नहीं हुई। हालात किस हद तक पहुंच गए हैं कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि कुलपति (वीसी) पर भी एक महिला प्रोफेसर से यौन शोषण का आरोप लग चुका है। इस पर खूब हंगामा हुआ था। इतना ही नहीं छात्राओं का कहना है कि शिक्षक क्लास में सरेआम द्विअर्थी संवादों का इस्तेमाल करते हैं।

ऐसे मामले किसी के दामन पर दाग लगाने की मंशा से दर्ज कराए गए या फिर इनमें सचमुच महिलाएं पीडि़त बनी यह आज तक साबित नहीं हो पाया लेकिन पीयू प्रशासन पर इससे सवालिया निशान जरूर लगा है। इस तरह की शिकायतों एंटी सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी के पास पहुंचनी के बावजूद शायद ही किसी मामले में यूनिवर्सिटी की ने कार्रवाई की है। ऐसे मामलों में वैसे तो सीधे पुलिस तक शिकायत का भी है प्रावधान लेकिन पुलिस तक नहीं प्रभाकवत छात्राएं और कर्मी नहीं पहुंचे।

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पहले तो यूनिवर्सिटी में एंटी सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी तक नहीं थी। जब कमेटी बनी तो इसके नाम पर सवाल उठने लगे। इसे सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी नाम दिया गया जिसे कानून के दॉव पेंच जानने वालों ने निहायत ही गलत बताया। इसके बाद इसका नाम बदल दिया गया लेकिन बावजूद इसके बहुत से मामलों को तो एंटी सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी ने शिकायत करने वाली छात्रा या महिला पर दबाव बनाकर ही निपटा दिया।

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अब इवनिंग स्टडीज के प्रोफेसर पर लगे आरोप

हाल ही में इवनिंग स्टडीज विभाग के एक प्रोफेसर पर सेक्सुअल हैरासमेंट के आरोप लगे हैं। लॉ की पढ़ाई कर चुकी आरोप लगाने वाली छात्रा की दलील है कि टीचर पढ़ाते हुए द्विअर्थी बातें कक्षा में करते हैं। उधर प्रोफेसर की दलील है कि कक्षा में कुछ शब्द बोलने भी मुश्किल हो गए हैं। लिट्रेचर में बहुत सी चीजों की व्याख्या करनी पड़ती है। इस लिहाज से तो हर चीज सेक्सुअल हैरासमेंट के दायरे में आ जाएगी। यह शिकायत पीयू कैश कमेटी (पीयू एंटी सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी) के पास पहुंची है।

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केमिस्ट्री के प्रोफेसर पर भी लगे थे आरोप

केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के एक प्रोफेसर पर भी उनके मातहत पीएचडी कर रही एक छात्रा ने सेक्सुअल हैरासमेंट का आरोप लगाया था। कमेटी के समक्ष जब मामला पहुंचा तो प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी गई।

जियोलॉजी के प्रोफेसरों भी रहे जांच के दायरे में

जियोलॉजी विभाग में भी सेक्सुअल हैरासमेंट के दो मामले सामने आ चुके हैं। मणिपुर की एक छात्रा से यौन शोषण का केस सामने आया जिसे कमेटी ने जांचा। कमेटी ने छात्रा पर ही दबाव बनाया कि अगर वह मामले को तूल देती है तो उसकी खुद की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी और शादी तक नहीं हो पाएगी। लोग उसे अलग ही नजरों से देखेंगे।

यूबीएस में भी हो चुका मामला

यूबीएस विभाग के एक प्रोफेसर भी छात्राओं ने यौन शोषण के आरोप जड़े। यह केस अभी भी पीयूकैश कमेटी के दायरे से बाहर कोर्ट में चल रहा है। प्रोफेसर को तारीखें भुगतनी पड़ रही हैं।

वीसी पर महिला प्रोफेसर ने लगाए यौन शोषण के आरोप तो हुआ हंगामा

बीते कुछ समय पहले वीसी प्रो. एके ग्रोवर पर भी सेक्सुअल हैरासमेंट के आरोप लगे जिसको लेकर बीती सीनेट में भी बवाल हुआ। ये सवाल भी उठा कि शिकायतकर्ता महिला प्रोफेसर का नाम क्यों और किन परिस्थितियों में जाहिर किया गया। पूर्व सांसद व सीनेट के वरिष्ठ सदस्य सतपाल जैन ने इस मामले में अपनी राय रखी और कहा कि वह सब कुछ मान सकते हैं लेकिन वीसी पर जो यौन शोषण के आरोप लगाए हैं उन पर विश्वास नहीं कर सकते।

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उनके इस बयान पर सीनेट में हंगामा भी हुआ। चांसलर आफिस तक इस मामले की शिकायत पहुंची और वहां से जांच के आदेश दिए गए। पीयू कैश कमेटी इस मामले में भी जांच कर रही है। इस मामले को आपसी सहमति से निपटाने के प्रयास भी चल रहे हैं। सीनेट में वरिष्ठ सीनेटरों की कमेटी गठित की गई है जो इस ओर प्रयास कर रही है।
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नॉन टीचिंग महिला कर्मियों ने भी दी यौन शोषण की शिकायत

इसके अलावा नॉन टीचिंग व एक्सईएन आफिस में भी महिला कर्मियों ने यौन शोषण मामले की शिकायत कर रखी है जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।

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