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बाहर से आए 112 मजदूर बिना जांच भागे, पुलिस का छूटा पसीना, घरों में दबिश के बाद अस्थायी जेल पहुंचाया

जैसलमेर से पंजाब लाए गए मजदूरों ने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए। वह बिना जांच के भाग गए। पुलिस ने बामुश्किल उन्हें घरों से पकड़ा।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Fri, 01 May 2020 02:15 PM (IST)
बाहर से आए 112 मजदूर बिना जांच भागे, पुलिस का छूटा पसीना, घरों में दबिश के बाद अस्थायी जेल पहुंचाया
जेएनएन, फाजिल्का। पंजाब सरकार राजस्थान के जैसलमेर में फंसे 1100 से अधिक मजदूरों को सरकारी बसों में बुधवार को फाजिल्का जिले के अबोहर में लेकर आई थी। इनमें से तीन बसों में 112 मजदूर बुधवार रात फाजिल्का पहुंच गए। बस ड्राइवर मजदूरों की सेहत जांच के लिए प्रशासन का इंतजार कर रहे थे कि कामरेड सुबेग सिंह ने मजदूरों को भड़का दिया। इसके बाद मजदूर घर भाग गए। इससे पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया और वीरवार सुबह तक सभी को हिरासत में लेकर अस्थायी जेल पहुंचाया। पुलिस ने कामरेड व एक अज्ञात के खिलाफ पर्चा दर्ज कर लिया है।

गांव झुमियां वाली निवासी बस ड्राइवर गगनदीप सिंह ने पुलिस को बताया कि वह मजदूरों को जैसलमेर से लेकर आए थे। तीन बसों में 112 मजदूरों को लेकर फाजिल्का बस स्टैंड के बाहर रुके और मजदूरों की स्क्रीनिंग के लिए प्रशासन का इंतजार करने लगे। इस दौरान कामरेड सुबेग सिंह आया और कहने लगा कि यहां कोई नहीं आएगा। मजदूर इंतजार न करें और घर जाएं। इसके बाद मजदूर अपना सामान लेकर भाग गए। इसकी जानकारी पुलिस को दी। इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर मजदूरों की तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने वीरवार सुबह 10 बजे तक सभी 112 मजदूरों को हिरासत में लेकर अस्थायी जेल पहुंचा दिया।

डीएसपी जगदीश कुमार ने कहा कि मजदूरों को भड़काने वाले कामरेड सुबेग सिंह व एक अन्य पर केस दर्ज कर लिया है। सभी मजदूरों को पकड़कर अस्थायी जेल भेज दिया है। सेहत की जांच के बाद उन्हें क्वारंटाइन किया जाएगा।

केस दर्ज होने पर कामरेडों ने दिया धरना

कामरेड सुबेग सिंह पर केस दर्ज होने के बाद सीपीआइ के जिला सचिव कामरेड हंसराज गोल्डन ने साथियों सहित शारीरिक दूरी बनाकर थाना सिटी के बाहर धरना दिया। गोल्डन ने कहा कि राजनीतिक रंजिश में झूठा मामला दर्ज किया गया है।

मजदूरों ने प्रशासन पर सुध न लेने का आरोप लगाया

इससे पहले मजदूरों ने प्रशासन के सुध न लेने पर कुछ देर धरना भी दिया था। मजदूरों ने कहा कि वह कई दिनों से भूखे हैं और किसी को कोई फिक्र नहीं है। मजदूरों के बिना जांच घर पहुंचने से इस बात की आशंका बढ़ गई है कि अगर कोई भी कोरोना संक्रमित हुआ तो संक्रमण फैल सकता है।

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