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नहीं छंटे एडेड स्कूलों पर छाए संकट के बादल

अमृत सचदेवा, फाजिल्का पंजाब सरकार की एडेड स्कूलों के प्रति नीति के चलते इन स्कूलों पर बंद होने के

By Edited By: Updated: Mon, 21 Mar 2016 12:58 AM (IST)
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अमृत सचदेवा, फाजिल्का

पंजाब सरकार की एडेड स्कूलों के प्रति नीति के चलते इन स्कूलों पर बंद होने के बादल मंडरा रहे हैं। कई स्कूल बंद हो चुके है व कई बंद होने की कगार पर हैं। सरकार ने एडेड स्कूलों के सामने 70:30 अनुपात से रिक्त पद भरने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इन स्कूलों की अध्यापक यूनियनों व मैनेजमेंट कमेटियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। अब आलम यह है कि कई स्कूल बिना अध्यापकों के चल रहे हैं।

24 स्कूल हो चुके हैं बंद

पंजाब गर्वमेंट एडेड स्कूल अध्यापक व कर्मचारी यूनियन के जिला प्रवक्ता अजय ठकराल ने बताया कि दिसंबर 1967 में 508 स्कूलों के लिए 9468 रिक्त पदों को भरने की सरकार ने मंजूरी दी थी। उनमें 9215 रेगुलर व 253 पार्ट टाइम रिक्तियां थी। नई भर्ती न होने से 508 में से 24 स्कूल बंद हो गए हैं। 9468 पोस्टों में से केवल 4300 के करीब पद ही भर पाए हैं। अन्य स्कूलों की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि उनकी कमेटियों के लिए उनका संचालन मुश्किल हो गया है।

सरकारी ऑफर से ये है दिक्कत

सरकार ने 70:30 अनुपात का फार्मूला कमेटियों को बनाकर भेजा है। यानी सरकार कर्मचारियों के लिए बेसिक पे की सिर्फ 70 प्रतिशत ही अनुदान राशि जारी करेगी, बाकि 30 प्रतिशत प्रबंधक कमेटियों को अदा करना होगा, लेकिन ये कार्य कमेटियों के लिए बहुत कठिन है। उनके लिए तो वर्तमान व्यवस्था 95:05 अनुपात के अनुसार पांच प्रतिशत निकालना भी मुश्किल हो चुका है।

पड़ोसी राज्यों से सबक ले सरकार

पड़ोसी राज्यों में एडेड स्कूलों की हालत इतनी अच्छी है कि वहां ये स्कूल शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में मददगार साबित हो रहे हैं। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान की सरकारों ने वहां के एडिड स्कूल कर्मचारियों को टेकओवर कर लिया है, जिससे उनकी समस्याएं खत्म हो गई हैं। वर्तमान में एडेड स्कूलों के लिए सरकार 95 प्रतिशत अनुदान राशि जारी कर रही है व पांच प्रतिशत स्कूल की प्रबंधक कमेटियों को अदा करना होता है।

मर्जर से मुफ्त मिलेंगे 4300 अध्यापक

इन स्कूलों के कर्मचारियों ने सुझाव दिया है कि पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर सरकार इन कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों में मर्ज कर दें। जिससे इन कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड, जोकि लगभग 200 करोड़ रुपये बनता है, सीधा सरकारी खजाने में जमा हो जाएगा। संचालन के लिए तैनात करीब एक अधिकारी व कर्मचारी जिनमें डीईओ, सीईओ, डीपीआइ व सचिवालय आदि में काम कर रहे हैं, वह भी कार्यमुक्त हो जाएंगे और सरकार उन्हें विभाग के अन्य कार्यो में लगा सकती है। वहीं, एडिड स्कूलों में तैनात 4300 अध्यापकों को सरकारी स्कूलों में भेजने से सरकारी स्कूलों के रिक्त पद भी भर जाएंगे।

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