झील को बचाने के लिए पुडा से छेड़ी जंग
By Edited By: Updated: Wed, 18 Apr 2012 06:34 PM (IST)
अमृत सचदेवा, फाजिल्का
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल, लोग जुड़ते गए, काफिला बनता गया। यह कहावत चरितार्थ होती है पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जुटे सिविल इंजीनियर नवदीप असीजा पर, जिन्होंने फाजिल्का क्षेत्र के एकमात्र प्राकृतिक स्त्रोत बाधा झील को बचाने के लिए पंजाब अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी से जंग छेड़ दी।असीजा द्वारा झील किनारे कालोनी काटने के विरोध में दायर याचिका का असर यह हुआ है कि हाईकोर्ट ने स्टेट्स को जारी कर दिया है वहीं हाईकोर्ट की ओर से ही झील क्षेत्र से संबंधित रिकार्ड मंगवाने पर वन विभाग ने कालोनी में लगे दरख्तों की निशानदेही शुरू कर दी है।उल्लेखनीय है कि बाधा झील की जमीन, गांव बाधा की पंचायत की ओर से खेतीबाड़ी के लिए देने के विरोध में ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन ने पिछले करीब चार साल से झील को सजीव करने का अभियान छेड़ रखा है। इसके तहत सांकेतिक कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों ने झील पर जा अपनी वाटर बाटल्स का पानी खुद पीने की बजाय उसे झील में डाल प्रशासन से झील को सजीव करने की अपील की। जैन संतों ने झील में झील में जल प्रदान कर झील सजीव करने की कामना की। इसके बावजूद नगर परिषद ने मिनी सचिवालय निर्माण की एवज में एसडीएम आवास के निकट झील के किनारे स्थित करीब पांच एकड़ जगह पुडा को सौंप दी और पुडा ने कालोनी काटने के लिए ड्रा के लिए आवेदन मांगे थे। पुडा ने प्लाटों के ड्रा निकाल दिए तो खरीदारों की ओर से झील किनारे लगे दरख्त काटने की आशंका में ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन ने चिपको आंदोलन छेड़ दिया। इस आंदोलन के तहत शहर के पर्यावरण प्रेमी वृक्ष कटाई के विरोध में उनसे लिपटकर खड़े हो गए थे। इसके बावजूद पुडा की ओर से प्लाटों का कब्जा ड्रा विजेताओं को देने की आशंका के चलते एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा ने अपने स्तर पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व वन विभाग को जंगलात महकमे की जगह बिना आब्जेक्शन सर्टिफिकेट के पुडा को सौंपने के बारे में जवाबतलबी की है। साथ ही स्टेट्स को आदेश दिए हैं, जिसके चलते पुडा ड्रा में निकाले प्लाटों का कब्जा देने से वंचित हो गई।
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