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पंजाब सरकार पालेगी घडि़याल, हरिके पत्‍तन में होगा ठिेकाना

पंजाब के हरिके पत्‍तन वेटलैंड में घडि़याल पाले जाएंगे। खत्‍म हो रही घडि़यालाें की प्रजाति को बचाने के लिए यह प्रोजेक्‍ट शुरू किया गया है। यहां 41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में घडिय़ालों का बसेरा होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 05 Feb 2016 07:27 PM (IST)

मनोज त्रिपाठी, हरिके पत्तन (फिरोजपुर)। पंजाब सरकार राज्य में घडि़याल पालेगी। राज्य के हरिके पत्तन क्षेत्र के 41 वर्ग किलोमीटर एरिया में उत्तर भारत के पहले घडिय़ाल पालने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। देश में लुप्त हो रहे घडिय़ालों को इस प्रोजेक्ट से नई जिंदगी देने की काेशिश की जा रही है। प्रोजेक्ट के लिए वन एवं वाइल्ड लाइफ विभाग ने प्रयास तेज कर दिए हैं।

हरिके पत्तन वेट लैंड व बर्ड सेंक्चुरी का दृश्य।

हरिके पत्तन वेट लैंड व बर्ड सेंक्चुरी के 41 वर्ग किलोमीटर एरिया में होगा इनका आवास

पंजाब सरकार के वन विभाग के चीफ कंजरवेटर धर्मेंद्र शर्मा ने घडिय़ाल पालने के प्रोजेक्ट के विशेषज्ञों के साथ दरिया का दौरा किया। हरिके पत्तन में 86 वर्ग किलोमीटर दायरे में वेटलैंड व बर्ड सेंक्चुरी है। इसमें 41 वर्ग किलोमीटर दायरे में घडिय़ाल के प्रोजेक्ट पर काम होगा।

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इसी दायरे में संरक्षित मछलियों की प्रजातियों के बीच ही घडिय़ाल को भी पालने की योजना को अमलीजामा पहनाया जा चुका है। पहले चरण में घडिय़ाल की मूल प्राजाति (ओरिजिनल स्पीसीज) को ही पाला जाएगा। उसके बाद मुगर व साल्ट वाटर प्रजाति को लाया जाएगा और उनका संरक्षण किया जाएगा।

हरिके पत्तन वेट लैंड व बर्ड सेंक्चुरी का दृश्य।

घडिय़ालों को संरक्षित करने की 1972 में बनी थी योजना

देशभर में लुप्त हो रहे घडिय़ालों को संरक्षित करने के लिए 1972 में तैयार वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट बनाया गया था। इसके बाद किए गए सर्वे में देशभर में 436 घडि़यल ही पाए गए। इसके बाद, यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट फंड के तहत 1975 में चंबल नेशनल सेंक्चुरी में इन्हें संरक्षित करने का काम शुरू किया गया। इससे इनकी संख्या 5000 तक तक पहुंच गई।

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इसके बाद 1991 में फंड बंद हो गया। इसके बाद , प्रोजेक्ट पर राष्ट्रीय स्तर पर दोबारा 2006 में सर्वे हुआ तो घडि़यालों की संख्या घटकर 182 रह गई। 2010 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री जयराम रमेश ने इसे गंभीरता से लेकर मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश की संयुक्त कमेटी बनाकर घडिय़ाल प्रोजेक्ट पर दोबारा काम शुरू करवाया। इसक लिए नेपाल के चितवन से घडिय़ाल लाए गए। अब पंजाब भी जल्द ही घडिय़ाल पालने के प्रोजेक्ट को पूरा कर इस कड़ी से जुडऩे की तैयारी में है।

हरिके पत्तन विश्व के मानचित्र पर उभरेगा

डीएफओ चरनजीत कहते हैं कि यह राज्य सरकार की बड़ी कोशिश है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पंजाब खासकर हरिके पत्तन का नाम विश्व के मानचित्र पर वाइल्ड लाइफ व पर्यटन के लिए उभरेगा। अभी पानी की टेस्टिंग व उसमें मौजूद तत्वों के बाद तय होगा कि यहां कितने बड़े घडिय़ाल छोड़े जाएं। आमतौर पर घडिय़ाल की लंबाई 11 से 15 फिट होती है। कुछ घडिय़ाल 20 फिट के भी होते हैं। 110 दांतों वाले घडिय़ालों के लिए कैसा खाना और दरिया में कितना पानी चाहिए, इसकी जानकारी विशेषज्ञ जुटा रहे हैं।

घडिय़ाल की खास बातें

-घडिय़ाल 10 मिनट पानी के अंदर रहकर सांस ले सकता है
-विषम परिस्थितियों में 30 मिनट से दो घंटे तक भी पानी में रह सकता है
-घडिय़ाल पानी के अंदर रहने के दाैरान उग्र हो जाता है
-घडिय़ाल की सोते समय हमेशा एक आंख खुली रहती है

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