Move to Jagran APP

फर्जी औस्ती सर्टिफिकेट बना हासिल की नौकरी, दस पर केस

By Edited By: Updated: Sun, 22 Sep 2013 01:14 AM (IST)
Hero Image

जागरण प्रतिनिधि, पठानकोट : मामून थाना के एएसआई राज कुमार तथा सिविल अस्पताल में 38 लाख रुपये के दवा घोटाला के बाद विजिलेंस विभाग की टीम ने एक और बड़े घोटाला का खुलासा किया है। विभाग की टीम ने आरएसडी बांध पर माल विभाग से मिलीभगत कर फर्जी औस्ती सर्टिफिकेट तैयार करने के आरोप में दस लोगों पर मामला दर्ज किया है। इन सभी आरोपियों की नौकरी साल 1994 से लेकर 1998 के बीच लगी है।

विजिलेंस विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस घोटाला में बांध परियोजना के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है। फर्जीवाड़े सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने का खुलासा उस समय हुआ जब गांव गुलियाल के गांव फंगोता, धारकलां के के सुदेश कुमार नामक एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई कि डैम की ओर से उनकी भूमि एक्वायर की गई थी पर बावजूद इसके उन्हें नौकरी नहीं दी गई। सुदेश ने आरोप पत्र में विजिलेंस टीम को सूचित किया था कि बहुत से लोग ऐसे हैं जिनकी भूमि डैम के अधीन नहीं आई, पर बावजूद इसके वह नौकरी कर रही है। इसी शिकायत के आधार पर विजिलेंस विभाग की टीम ने जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पता चला कि सुदेश कुमार की ओर से जिस नौकरी का हक मांगा जा रहा था, वह नौकरी उसके भाई संजय को मिल गई थी। बाद में संजय की मौत होने के बाद उक्त नौकरी संजय की पत्नी को दे दी गई, जोकि इन दिनों बांध पर कार्यरत है। यही वह क्लू था जिसके आधा पर विजिलेंस विभाग की टीम के हाथ एक के बाद एक सबूत लगते चले गए।

इसकी पुष्टि करते हुए विजिलेंस विभाग के डीएसपी नरेश ठाकुर ने बताया कि सुदेश कुमार की ओर से दायर किए गए आरोप के आधार पर जब रिकार्ड लेकर चेक किया गया तो पता चला कि 1.5.1986 को जिन लोगों की जमीन डैम प्रशासन की ओर से एक्वायर की गई थी, उनके प्रत्येक परिवार के फैमली मेंबर को बांध प्रशासन की ओर से बनाई गई आरआर पालिसी के आधार पर एक-एक सदस्य को नौकरी दी जानी थी। डीएसपी ने बताया कि इस पालिसी के आधार पर जिन लोगों का सारा घर डैम द्वारा एक्वायर कर लिया गया, जिन लोगों की जमीन तथा मकान डैम की ओर से एक्वायर किया गया तथा वे लोग जिनकी जमीन 75 प्रतिशत से अधिक डैम प्रशासन की ओर से एक्वायर की गई, केवल इन्हीं परिवारों को नौकरी दी जानी थी। इनमें 1573 परिवार ऐसे पाए गए, जिनमें से 769 पूरी तरह से आरआर पालिसी के योग्य थे। अधिकारी ने बताया कि बाद में जब नौकरी करने वाले लेागों की जांच की गई तो पता चला कि इनमें से दर्जनों ऐसे व्यक्ति हैं जोकि आरआर पालिसी के अधीन नहीं आते थे। जिनकी कम मात्रा में भी जमीन बांध प्रशासन द्वारा एक्वायर की गई थी, उन्होंने भी माल विभाग तथा बांध प्रशासन के अधिकारियों से मिलीभगत कर नौकरी ले ली। उन्होंने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर ली गई नौकरियों की जांच के लिए विजिलेंस विभाग बांध प्रशासन से रिकार्ड मांग रहा है पर अभी तक उन्हें पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण जांच करने में बांधा आ रही है। डीएसपी ने कहा कि जांच के बाद इस फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने के घोटाले में बड़े मगरमच्छ भी हाथ लग सकते हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।