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17 अधिकारियों के बयान दर्ज, 19 तलब

जागरण संवाददाता, जालंधर : तीन जनवरी सुबह पौने नौ बजे खोजेवाल स्टेशन के रेल फाटक पर ट्रैक्टर ट्राली त

By Edited By: Updated: Mon, 12 Jan 2015 10:16 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, जालंधर : तीन जनवरी सुबह पौने नौ बजे खोजेवाल स्टेशन के रेल फाटक पर ट्रैक्टर ट्राली तथा डीएमयू की हुई टक्कर की जांच सोमवार को रेल संरक्षा आयुक्त सतीश कुमार मित्तल ने की। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने दुर्घटना स्थल का जायजा लिया तथा दुर्घटनाग्रस्त डीएमयू का निरीक्षण किया। सिटी स्टेशन के अधिकारी विश्राम गृह में उन्होंने रेलवे के विभिन्न विभागों के कई अधिकारियों सहित 19 कर्मचारियों को तलब किए तथा 17 के बयान दर्ज किए।

दक्षिण रेलवे के संरक्षा आयुक्त सतीश कुमार मित्तल मद्रास मेल से सुबह साढ़े आठ बजे जालंधर कैंट स्टेशन पहुंचे। वहां से जालंधर सिटी स्टेशन आकर वह रेलवे निरीक्षण यान से खोजेवाल स्टेशन को रवाना हुए। दुर्घटनास्थल रेल फाटक सी-6 का उन्होंने मौका मुयायना किया तथा गेटमैन हट में जाकर सभी दस्तावेजों की पड़ताल की। उन्होंने डीआरएम एनसी गोयल और अन्य संबंधित अधिकारियों से दुर्घटना के बारे में जानकारी की। वहां से वह सिटी स्टेशन के अधिकारी विश्रामालय पहुंचे और रेलवे अधिनियम के तहत अपनी कोर्ट लगाई।

सुबह 10 बजे से उन्होंने घटना से संबंधित रेल कर्मचारियों के बयान दर्ज करने शुरू किए, जोकि शाम साढ़े सात बजे तक चली। उन्होंने 19 लोगों की सूची से 17 लोगों के बयान दर्ज किए, आरपीएफ और जीआरपी के बयान दर्ज नहीं हुए। मित्तल ने डीएमयू शेड में जाकर दुर्घटनाग्रस्त डीएमयू का भी निरीक्षण किया। उनके साथ उत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी, फिरोजपुर के डीआरएम और डिवीजन स्तर के सभी विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे। रेलवे सूत्रों के अनुसार इस जांच की रिपोर्ट संसद पटल समेत पांच स्तरों पर रखी जाएगी।

जांच में उठे मुख्य बिंदु

-एक राय सामने आई कि गेटमैन बृजेश सिंह ने गेट बंद नहीं किया और अचानक गाड़ी आ जाने से गेट पार कर रही टै्रक्टर ट्राली डीएमयू से भिड़ गई।

-गेटमैन के गेट बंद करने के लिए पिछले स्टेशन से नंबर बदलने और डायरी मेंटेन करने की बात सामने आ रही है। इसमें हो सकता है कि गेट बंद करने के दौरान ट्रैक्टर ड्राइवर जबरन गेट में घुस गया हो

-डीएमयू की रफ्तार 93 किलोमीटर प्रति घंटा थी जबकि धुंध में इस रूट पर अधिकतम 60 रफ्तार के निर्देश थे

-तेज रफ्तार पर क्या सेक्शन कंट्रोलर, डीएमयू के गार्ड और सहायक लोको पॉयलट ने ड्राइवर को रोका

-सहायक लोको पॉयलट अभय कांत दिवाकर का कहना है कि लोको पॉयलट ने उसके विरोध के बाद भी तीन बाहरी लोगों को पॉयलट केबिन में बिठा लिया। इसकी सूचना उसने कंट्रोल को नहीं दी

-डीएमयू के गार्ड दर्शन सिंह का कहना है कि डीएमयू तेज रफ्तार चलाने पर उसने ड्राइवर को टोका था, लेकिन उसका कहना था कि सिग्नल दिख रहा है, इसलिए दिक्कत नहीं है

इस जांच को हैं सिविल कोर्ट की शक्तियां

नगर विमानन मंत्रालय के अधीन रेल संरक्षा आयुक्त की इस जांच को सिविल प्रोसीजर 1908(5) के तहत सिविल कोर्ट की शक्तियां हासिल हैं। इस जांच में रेल सुरक्षा आयुक्त न्यायालय की तरह कार्य करते हैं। वह किसी को भी समन कर सकते हैं।

डीआरएम द्वारा गठित जांच हुई बेमतलब

दुर्घटना के दिन फिरोजपुर के डीआरएम ने तीन मंडल स्तरीय अधिकारियों की जांच कमेटी गठित कर उन्हें 13 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। रेलवे एक्ट की धारा 119 के तहत रेल सुरक्षा आयुक्त की जांच गठित होने के बाद उस जांच का अस्तित्व अपने आप समाप्त हो गया।

जांच में ये लोग हुए तलब

-अभय कांत दिवाकर, दुर्घटना में बचा डीएमयू का सहायक लोको पॉयलट।

-दर्शन सिंह, दुर्घटना के दिन डीएमयू का गार्ड।

-बृजेश सिंह, दुर्घटना वाले गेट का निलंबित गेटमैन जो उपस्थित नहीं हुआ।

-बलविंदर सिंह, खोजेवाल स्टेशन का सहायक स्टेशन मास्टर।

-विवेक कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर।

-एसके गर्ग, सहायक मंडल अभियंता।

-आरके कालरा, वरिष्ठ मंडल अभियंता।

-राम अवतार मीना, ट्रैफिक इंस्पेक्टर।

-हिंद कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर, लोको।

- अनिल कुमार, सीनियर डीएमओ।

-विकास कुमार, लोको पॉयलट फिरोजपुर।

-मुंशी राम, इंचार्ज आरपीएफ।

-दविंदर सिंह, इंचार्ज जीआरपी।

-सुनील कुमार, सेक्शन कंट्रोलर।

-अशोक कुमार, चीफ लोको इंस्पेक्टर।

-इनके अलावा सीनियर सेक्शन इंजीनियर डीएमयू, चीफ लोको इंस्पेक्टर फिरोजपुर, गेट सी-7 के गेटमैन और जीआरपी के सब इंस्पेक्टर मुझैल राम को भी तलब किया गया था।

छोटेलाल के परिवार ने संरक्षा आयुक्त से की मुलाकात

डीएमयू हादसे में मारे गए ट्रैक्टर ड्राइवर छोटेलाल की पत्नी फूलन अपने बच्चों के साथ सोमवार को रेल संरक्षा आयुक्त तथा जालंधर के डीसी कमल किशोर यादव से मुलाकात की। उन्होंने परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग की। बिहार के पूर्णिया जिले का यह परिवार छोटेलाल की मौत के बाद बेसहारा हो गया है।

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