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अमृतसर किडनी कांड : पांच डाक्‍टरों का रजिस्‍ट्रेशन सस्‍पेंड

अमृतसर में 2002 में हुए बगीचा सिंह किडनी कांड में सजायाफ्ता पांच डॉक्टरों का पंजाब मेडिकल कौंसिल (पीएमसी) ने रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया है। दूसरी ओर, इन डॉक्टरों ने पीएमसी के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 13 Sep 2015 01:54 PM (IST)

जागरण संवाददाता, जालंधर। अमृतसर में 2002 में हुए बगीचा सिंह किडनी कांड में सजायाफ्ता पांच डॉक्टरों का पंजाब मेडिकल कौंसिल (पीएमसी) ने रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया है। दूसरी ओर, इन डॉक्टरों ने पीएमसी के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

पीएमसी के प्रधान डॉ. जीएस ग्रेवाल ने बताया कि मामले में सजायाफ्ता जालंधर के न्यू रूबी अस्पताल के डॉ. एसपीएस ग्रोवर, घई अस्पताल के डॉ. एचएस भुटानी, जालंधर के डॉ. अरजिंदर सिंह (अब मोहाली में), मेडिकल कालेज अमृतसर से सेवानिवृत्त डॉ. ओपी महाजन तथा डॉ. जगदीश गार्गी के पीएमसी के रजिस्ट्रेशन निलंबित करने के आदेश किए हैं।

आदेश चिकित्सा चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की निदेशक एवं पीएमसी की रजिस्ट्रार डॉ. मनजीत कौर मोही के कार्यालय से जारी हुए हैं। कौंसिल ने 7 अगस्त की बैठक में इन डॉक्टरों को 21 दिन का नोटिस देने व इस दौरान नोटिस का जवाब न मिलने पर रजिस्ट्रेशन निलंबित करने का फैसला किया था। निर्धारित समय में पीएमसी को नोटिस का जवाब नहीं मिला था। अब ये डाक्टर प्रेक्टिस नहीं कर सकेंगे।

तेरह वर्ष लगे कार्रवाई में

करीब 13 वर्ष बाद लुधियाना के बगीचा सिंह की रूह को थोड़ी राहत मिली होगी। आरोप है कि पांच डॉक्टरों ने वर्ष 2002 में 15 साल के बगीचा की किडनी निकाल ली थी। इसके दो वर्ष बाद बगीचा की जालंधर के नकोदर से संदिग्ध हालात में लाश बरामद हुई थी। बगीचा के पिता ने हत्या की आशंका जताई थी।

नवंबर 2002 में अमृतसर के तत्कालीन एसपी सिटी-1 कुंवर विजय प्रताप सिंह ने मामले को उजागर किया था। इसके बाद थाना कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था। आरोपी डॉक्टरों ने मामले को दबाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। राजनीति, अफसरशाही का सहारा लिया आखिरकार शनिवार को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।

जिला न्यायालय ने सुनाई है सजा
लंबी लड़ाई के बाद अमृतसर के जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जीएस बख्शी की अदालत ने 8 नवंबर 2013 को इन पांच डॉक्टरों और सुरेश कुमार को पांच-पांच साल की सजा व 72-72 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए थे। जहां से जमानत मिल गई थी। तब से प्रैक्टिस कर रहे हैं।

यह था मामला
मामले का शिकायतकर्ता पीडि़त बगीचा सिंह ही था। बगीचा ने पुलिस को बताया था वह गांव मुरादपुर सिधवा बेट जगरांव (लुधियाना) का रहने वाला है। फरवरी 2002 श्री हरिमंदिर साहिब सेवा के लिए जा रहा था। उसकी मुलाकात विक्की नामक युवक से हुई। विक्की ने कार सिखाने का प्रलोभन दिया। धीरे-धीरे उसके और विक्की के दोस्ताना संबंध बन गए।

उसने बताण थ कि विक्की उसे एक दिन चंडीगढ़ स्थित सुरेश शर्मा के घर ले गया। विक्की ने सुरेश को अपना चाचा बताते हुए बताया कि उनकी किडनी खराब है। सुरेश हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर था। विक्की ने बगीचा से कहा कि अगर वह अपनी एक किडनी उन्हें दे देगा तो उसे चालीस हजार रुपये मिलेंगे। अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसे जान से मार दिया जाएगा।

इसके बाद चंडीगढ़़ में बगीचा सिंह के मेडिकल टेस्ट करवाए गए। उसे सरकारी मेडिकल कालेज ले आए। कॉलेज के कमरे में पांचों आरोपी डॉक्टरों ने काउंसलिंग की। अगले ही दिन बगीचा को न्यू रूबी किडनी अस्पताल जालंधर लाया गया। जहां ऑपरेशन कर उसकी किडनी सुरेश कुमार को प्रत्यारोपित कर दी गई।

दूसरे राज्यों के मजदूर होते थे निशाने पर

आम तौर पर इस मामले में दूसरे राज्यों के मजदूर निशाने पर रहते थे। बगीचा सिंह के मामले के बाद कई अन्य मामलों का भी खुलासा हुआ था। ये मामले अमृतसर के थाना डी डिवीजन और थाना सिविल लाइन पुलिस में दर्ज हुए। बाद में दर्ज हुए मामलों में कुछ वकील व न्यूरो सर्जन के नाम भी सामने आए। इनके खिलाफ अदालतों में मामले विचाराधीन हैं।
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क्या कहते हैं सस्पेंड डॉक्टर
अभी तक सूचना नहीं : डॉ अरजिंदर
डॉक्टर अरजिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें लाइसेंस कैंसिल होने की कोई सूचना नहीं मिली। जब भी कोई जानकारी इस बारे मिलेगी तब उस पर विचार करेंगे।
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अगली कार्रवाई के लिए विचार करेंगे: डाॅ. भूटानी
जालंधर स्थित घई अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. एचएस भूटानी का कहना है कि उन्होंने चार सप्ताह का समय मांगा है। वह पीएमसी के आदेश मिलने के बाद अगली कार्रवाई पर विचार करेंगे।
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कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे: डाॅ. ग्रोवर
न्यू रूबी अस्पताल के डॉ एसपीएस ग्रोवर का कहना है कि उन्होंने पीएमसी को पत्र लिखकर नोटिस का जवाब देने के लिए और समय मांगा था। अचानक हुई इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

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