धर्मेद्र जोशी, नूरमहल (जालंधर)। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को क्लीनिकल डेड घोषित किए हुए दो वर्ष पूरे हो गए, लेकिन अनुयायी यह मानने को तैयार नहीं हैं। अनुयायियों का मानना है कि महाराज गहन समाधि में लीन हैं और एक दिन उठेंगे। सरकार की ओर से अदालत में क्लीनिकल डेड होने की रिपोर्ट भी दाखिल की जा चुकी है। खुद को महाराज का पुत्र बताने वाले दिलीप झा उनको मृत मानकर पार्थिव शरीर की मांग कर रहे हैं। लेकिन, मामला आस्था से जुड़ा होने की वजह से अदालत चाहती है कि आपसी सहमति से हल निकले।
दो साल पहले किया जा चुका है क्लीनिकल डेड घोषित, लेकिन अनुयायी मानने को तैयार नहीं
जिला मुख्यालय से करीब तीस किमी दूर नूरमहल आश्रम के एक कक्ष में डीप फ्रीजर में महाराज का शरीर पड़ा है। 29 जनवरी 2014 को क्लीनिकल डेड घोषित होने के दो वर्ष पूरे होने पर जागरण की टीम आश्रम पहुंची। वहां की स्थिति का जायजा लिया। आश्रम में सबकुछ आम दिन की तरह सामान्य था।
नूरमहल आश्रम के बाहर तैनात पुलिसकर्मी। टीम ने जब महाराज के दर्शन की इच्छा व्यक्त की तो मौजूद सेवादारों ने साफ इनकार कर दिया। बताया गया कि अनुयायी उनकी सेवा कर रहे हैं। संस्थान के अंदर अनुयायी आते-जाते देखे गए। पेशे से टैक्सी चालक अनुयायी बाल कृष्ण ने उम्मीद जताई कि महाराज जल्द ही समाधि से जागृत अवस्था में आ जाएंगे। आश्रम की बाहरी सुरक्षा के लिए सभी प्रवेश द्वारों पर पंजाब पुलिस के जवान तैनात थे।
पढ़ें : अनारक्षित टिकट खरीदने के तीन घंटे के अंदर यात्रा करनी होगी शुरू संस्थान के अंदर की सुरक्षा व अन्य कार्यो में अनुयायी व्यस्त दिखे। कैमरामैन का कैमरा मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर ही रखवा लिया गया। अंदर पहुंचने पर सेवादार स्वामी गिरधर आनंद ने संस्थान में सत्संग समेत अन्य गतिविधियों के बारे में खुलकर बात की, लेकिन महाराज से जुड़े सवालों का जबाव देने से बचे। साफ कहा कि महाराज से जुड़े सवालों के जबाव दिल्ली स्थित संस्थान के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद ही दे सकते हैं।
समाधि से उठेंगे, लेकिन कब पता नहीं : स्वामी विशालानंद संस्थान के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद का कहना है कि महाराज आशुतोष समाधि में हैं। वह जागृत अवस्था में अवश्य आएंगे, लेकिन कब, इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। इनका दावा है कि समाधि में जाने से पहले महाराज ने बताया था कि वह लंबी समाधि में जाकर फिर जागृत अवस्था में आएंगे। उनके अनुसार, इस तरह की समाधि नई बात नहीं है। राम कृष्ण परमहंस तीन महीने और आदि गुरु शंकराचार्य सवा साल तक इस तरीके की समाधि में रह चुके हैं। विज्ञान जानकारी के आधार पर बदलता रहता है, प्रकृति वही रहती है।
संस्थान के देश व विदेश में 500 केंद्र दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के देश-विदेश में करीब 500 केंद्र हैं। 350 भारत में और बाकी अन्य देशों में हैं। दिल्ली में इसका मुख्यालय है। नूरमहल में क्षेत्रीय केंद्र है। इस संस्थान के पास खासी संपत्ति है। स्वामी विशालानंद के मुताबिक, सारी संपत्ति किसी व्यक्ति के नाम नहीं, बल्कि संस्थान के नाम पर ही है। इसकी देखरेख 14 सदस्यीय गवर्निग बॉडी करती है।
पढ़ें : यू ट्यूब व डिजिटल मीडिया पर नहीं दिखाए जा सकेंगे अश्लील प्रोमो, बनेगी नीति स्वामी विशालानंद कहते हैं कि जब आशुतोष महाराज समाधि में नहीं गए थे तब भी सारी देखरेख गवर्निग बॉडी ही किया करती थी। संस्थान का मुख्य उद्देश्य अध्यात्म के जरिये विश्व में शांति लाना है। इसके लिए कुल 10 हजार प्रचारक सत्संग व ध्यान करवा रहे हैं। इसके अलावा स्लम क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने और नशे के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम भी संस्थान कर रहा है।
यदि क्लीनिकल डेड हैं, तो समाधि में कैसे मुख्य रूप से मामले को अदालत में तीन पक्ष है। राज्य सरकार, संस्थान व महाराज का पुत्र होने का दावा करनेवाले दिलीप झा। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे खंडपीठ ने मौखिक तौर पर मामले जुड़े सभी पक्षों से कह चुका है कि एक साथ बैठक कर कोई सर्वमान्य समाधान निकालें। हाईकोर्ट ने कहा था की यह मामला अनुयायियों की आस्था और मान्यताओं से जुड़ा है। हाईकोर्ट ऐसे मामलों में दखल नहीं देना चाहती, लिहाजा अब दिव्य ज्योति जागृति संस्थान व अन्य पक्ष ही महाराज के अंतिम संस्कार पर कोई निर्णय ले। यह तय करे की महाराज का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया जाय। खंडपीठ ने कहा था कि मेडिकल रिपोर्ट में यह साबित हो चुका है की महाराज क्लीनिकल डेड हैं, तो अब क्यों समाधि में होने की बात कही जा रही है? सबसे बड़ा सवाल महाराज के सम्मान का है। लिहाजा यह उचित होगा की अब संस्थान आगे आए और कहे की महाराज का अंतिम संस्कार समुचित ढंग से करवाया जाए। फिर वहां महाराज की स्मृति में एक भव्य मंदिर बनाया जा सकता है।
अंतिम संस्कार का दिया था आदेश इससे पूर्व 1 दिसंबर 2014 को हाईकोर्ट की एकल पीठ के जस्टिस एम एम एस बेदी ने 15 दिनों के भीतर आशुतोष महाराज के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किए जाने के आदेश दे दिए थे। अंतिम संस्कार के लिए बाकायदा पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। अदालत के इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार, संस्थान व दलीप झा ने खंडपीठ में अपील दायर कर दी। 16 दिसंबर 2014 को खंडपीठ ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी, जो अब तक जारी है।
मामले में तीन पक्ष, दायर कर रखी हैं अलग-अलग याचिकाएं - पंजाब सरकार ने अपील की है कि अंतिम संस्कार के आदेश में परिवर्तन कर यह जिम्मेवारी संस्थान को सौंपा जाए। - संस्थान ने आशुतोष महाराज को मृत मानने से इनकार करते हुए अंतिम संस्कार के आदेश को चुनौती दी है। - दलीप झा की याचिका पोस्टमार्टम करवाने के इर्द गिर्द है। उन्होंने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि शव का अंतिम संस्कार करने का हक बेटा होने के नाते केवल उनको है। हालांकि, संस्थान ने दिलीप झा को आशुतोष महाराज का पुत्र होने से इनकार करता रहा है।
प्रमुख घटनाक्रम29 जनवरी 2014 : आशुतोष महाराज के निधन की चर्चा।30 जनवरी : दिव्य ज्योति जागृति संस्था की घोषणा, महाराज समाधि में।3 फरवरी : महाराज के अनुयायी ने शरीर को डीप फ्रीजर में रखवाया। महाराज के पूर्व ड्राइवर पूर्ण की याचिका खारिज।5 फरवरी : पंजाब पुलिस में अदालत में रिपोर्ट दायर कर महाराज को क्लीनिकल डेड बताया।7 फरवरी : महाराज का पुत्र होने का दावा करने वाले दिलीप झा सामने आए। महाराज को पिता बताते हुए शरीर की मांग की।10 फरवरी : पूर्व ड्राइवर पूर्ण सिंह हाईकोर्ट याचिका दाखिल कर पीजीआई के डॉक्टरों की टीम से महाराज के शरीर की जांच कराने की मांग की।18 मई : दिलीप झा ने कुछ अनुयायी पर महाराज की हत्या का आरोप लगाया।11 दिसंबर : हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 15 दिनों के भीतर अंतिम संस्कार का आदेश दिया।16 दिसंबर : हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाई।30 सितंबर, 2015 : हाईकोर्ट ने मौखिक तौर कहा, सभी पक्षों को मिलकर अंतिम संस्कार करना चाहिए, क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट ने क्लीनिकल डेड बताया है।