पाकिस्तानी एजेंट के धाेखे से मुसीबत में पड़ा गुरदीप, हेरोइन देकर पकड़वाया
इंडोनेशिया में हेरोइन तस्करी में फंसा गुरदीप सिंह पाकिस्तानी एजेंट के धोखे से फंसा है। उसे इंडोनेशिया के रास्ते न्यूजीलैंड जाना था, लेकिन पाक एजेंट ने उसे आगे नहीं भेजा।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 30 Jul 2016 05:32 PM (IST)
जालंधर, [धर्मेंद्र जोशी/लेखराज शर्मा]। इंडोनेशिया में हेरोइन तस्करी के मामले में पकड़ा गया गुरदीप सिंह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की नुक्कड़ तहसील के अपने गांव सीतलपुर में खेती करता था। उसने ज्यादा पैसे कमाने के लिए विदेश जाने की सोची। एक एजेंट के जरिये वह इंडोनेशिया के रास्ते न्यूजीलैंड के लिए निकला। लेकिन इसी बीच वह इंडोनेशिया में एक पाकिसतानी एजेंट मे पड़ गया अौर उसने उसे हेराेइन तस्करी में फंसा दिया। एजेंट ने उसका पासपोर्ट भी ले लिया और वह इंडोनेशिया में कैद होकर रह गया।
गुरदीप का परिवार बड़ा था और आय कम। इस पर उसने विदेश जाकर खूब पैसा कमाने की सोची। परिवार में छह भाई-बहनों में सबसे बड़ा गुरदीप 2002 में एजेंट के जरिये इंडोनेशिया के रास्ते न्यूजीलैंड के लिए निकल पड़ा। इंडोनेशिया में भारतीय ट्रेवल एजेंट ने उसे पाक के एजेंट जुल्फिकार अली के सुपुर्द कर दिया।पढ़ें : गुरदीप की मौत की सजा टली, मातम का माहौल बदला खुशी में
पाक एजेंट ने आठवीं पास गुरदीप को न्यूजीलैंड नहीं भेजा और उसे दो साल बाद हेरोइन तस्करी के केस में फंसा दिया। अपने दामाद गुरदीप के जीवन की कहानी बताते हुए नकोदर के खैहरा मोहल्ले के बलराज सिंह का गला भर सा आया। उन्होंने बताया कि गुरदीप से अली ने पासपोर्ट ले लिया था। जब भी वह पासपोर्ट मांगता या न्यूजीलैंड भेजने की बात करता तो वह बहुत गुस्सा होता।पढ़ें : भर्ती में आवेदक की जाति पूछ रहा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग
पाक एजेंट ने आठवीं पास गुरदीप को न्यूजीलैंड नहीं भेजा और उसे दो साल बाद हेरोइन तस्करी के केस में फंसा दिया। अपने दामाद गुरदीप के जीवन की कहानी बताते हुए नकोदर के खैहरा मोहल्ले के बलराज सिंह का गला भर सा आया। उन्होंने बताया कि गुरदीप से अली ने पासपोर्ट ले लिया था। जब भी वह पासपोर्ट मांगता या न्यूजीलैंड भेजने की बात करता तो वह बहुत गुस्सा होता।पढ़ें : भर्ती में आवेदक की जाति पूछ रहा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग
भारत के किस एजेंट के जरिये वह गया था, इसकी जानकारी बलराज को नहीं है। खैर जैसे-तैसे उसने वहां दो साल बिताए। वहां वह क्या करता था, इस बारे में बलराज को कुछ मालूम नहीं। वहां जाने के बाद वह एक भी पैसा नहीं भेज पाया। कई-कई महीनों बाद फोन आता था।पढ़ें : सिद्धू के कद को छोटा कर केजरी बनना चाहते हैं पंजाब के सीएम : अमरिंदर
बलराज बताते हैं कि जब साल 2004 में गुरदीप ने अली से पासपोर्ट मांगा तो उसने उसे तीन सौ ग्राम हेरोइन पहुंचाने को कहा और खुद ही उसे पकड़वा दिया। इसका पता उन्हें तब चला जब भारतीय दूतावास के जरिये उसने फोन किया। 2005 में उसे सजा हो गई। अब शुक्रवार रात भारतीय समयानुसार 12.05 बजे उसे 14 अन्य लोगों समेत गोली मारी जानी थी।पढ़ें : गुरदीप की इंडोनेशिया जेल में हुई थी दूसरी शादी, पहली पत्नी बोली- पता नहीं इस बारे में वीरवार आधी रात को इंडोनेशिया से किसी अधिकारी ने फोन पर जब बताया कि कुछ ही मिनट बाद उसे गोली मार दी जाएगी तो पैरों तले जमीन निकल गई और घर में मातम का माहौल छा गया। लेकिन सुबह पौने आठ बजे भारतीय दूतावास के जरिये गुरदीप का फोन आया कि वह जिंदा है और फिलहाल मौत की सजा पर रोक लग गई है। इस पर घर में सभी खुश हो गए। शुक्रवार को गुरदीप के तीन फोन आए। उसने बताया कि अभी वह उसी जगह है जहां उसके सामने चार लोगों को गोली मारी गई, थोड़ी देर में उसे फिर जेल ले जाया जाएगा। दूतावास के किसी कर्मचारी ने उन्हें बताया कि गुरदीप की रिहाई के लिए वहां की कोर्ट में अर्जी डाली गई है।सुषमा स्वराज का आभार जताया विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का गुरदीप के परिवार ने आभार जताया है। बलराज ने कहा कि उन्हीं के प्रयासों व रब की कृपा से गुरदीप मौत के मुंह से निकल सका है। अब उन्हें उसकी जल्द रिहाई की भी आस है। इसके लिए उन्होंने सुषमा स्वराज से प्रयास करते रहने की गुजारिश की।बेटे का मुंह तक नहीं देख पाया गुरदीप गुरदीप का बेटा सुखबीर (13) उसके विदेश जाने के कुछ महीने बाद पैदा हुआ था। अब तक गुरदीप अपने बेटे का मुंह तक नहीं देख पाया। गुरदीप के विदेश जाने के सात साल तक उसकी पत्नी कुलविंदर कौर बेटी मंजीत व बेटे सुखबीर के साथ अपने ससुराल ही रहती रही। फिर 2009 में कुलविंदर का पिता बलराज उन्हें अपने पास नकोदर ले आए। उनकी हर तरह से देखभाल बलराज ही तब से कर रहे हैं। बीच-बीच में वह सहारनपुर गुरदीप के बुजुर्ग मां-बाप गुरदेव सिंह, हरजिंदर कौर से मिल आती है। गुरदीप की तीनों बहनें रानी (मेहतपुर के पास बालोकी गांव), हरविंदर व मनजिंदर (बिलगा के पास माउ साहब गांव) पंजाब में ही ब्याही हैं। सभी गुरदीप की मौत की सजा टल जाने से खुश हैं।
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