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पंजाब में अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने वाले डॉक्टरों को देना होगा कांपीटेंसी टेस्ट

अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग मशीन पर काम करने वाले डॉक्टरों का अब कंपीटेंसी टेस्ट होगा। इसका कुछ डॉक्टरों ने विरोध भी शुरू कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 07 Jul 2016 07:41 PM (IST)
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जालंधर [जगदीश कुमार ]। केंद्र व राज्य सरकार ने अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग मशीन पर काम करने वाले डॉक्टरों की पहले स्कैनिंग करने की नीति को अमलीजामा पहना दिया है। डॉक्टरों को कांपीटेंसी बोर्ड एग्जाम पास करना अनिवार्य कर दिया है। इससे सरकार को अवैध अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग केंद्रों, लिंग जांच व कन्या भ्रूण हत्या आदि पर लगाम लगाने में मदद मिलने की उम्मीद है। पंजाब वैसे भी कुड़ी मार राज्य का कलंक झेल रहा है।
दूसरी ओर 33 साल से अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग मशीन चलाने के गुरु बन चुके डॉक्टर केंद्र सरकार के फैसले को अपनी तौहीन मानते हैं। उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली है। वहीं बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ने कांपीटेंसी एग्जाम की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

25 डॉक्टरों को सिखाया और 30 हजार मरीज देखे

पंजाब मेडिकल कौंसिल के प्रधान व लुधियाना के प्रसिद्ध डॉ. जीएस ग्रेवाल का कहना है कि इंग्लैैंड से ट्रेनिंग लेने के बाद 1985 में पंजाब में अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग मशीन से मरीजों की जांच शुरू की थी। अब तक 25 डॉक्टरों को ट्रेंड कर चुके हैं और 30 हजार से अधिक मरीज देख चुके हैं। इतने बड़े तजुर्बे के बाद कांपीटेंसी एग्जाम वाजिब नहीं है। नीति नए अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग केंद्रों पर लागू होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने दस हजार रुपये फीस भर कांपीटेंसी एग्जाम के लिए पंजीकरण करवा लिया है।

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दिल्ली व हिमाचल हाईकोर्ट डॉक्टरों के पक्ष में

एसोसिएशन ऑफ सोनोलॉजिस्ट पंजाब के प्रधान डॉ. जीएस गिल का कहना है कि दिल्ली व हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांपीटेंसी एग्जाम पर रोक लगाने का फैसला दिया है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्टे जारी किया है। असम, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा में कांपीटेंसी एग्जाम हो चुका है। पंजाब व हरियाणा का हाईकोर्ट में केस चल रहा है और 11 जुलाई को फैसला आने की उम्मीद है। हालांकि इससे पहले मेडिकल कॉलेजों ने सोनोलॉजी के शार्ट कोर्स करवाए थे, परंतु एमसीआइ ने उसे मान्यता नहीं दी थी।

गायनोकोलॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट के टेस्ट नहीं

सेहत विभाग की प्रमुख सचिव विनी महाजन कहती हैं कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट, रूल्स 2014 के तहत रेडियोलॉजिस्ट और गायनीकोलॉजिस्ट को टेस्ट से बाहर रखा गया है। अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट को 31 दिसंबर से पहले टेस्ट पास करना जरूरी है। जो डॉक्टर टेस्ट में फेल होंगे, उन्हें छह माह पंजाब के पांच मेडिकल कॉलेजों में ट्रेनिंग करवाई जाएगी। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिस फरीदकोट सितंबर से पहले टेस्ट करवाएगा। एग्जाम के लिए पंजीकरण 12 जुलाई तक होंगे।

परीक्षा देंगे 842 उम्मीदवार

राज्य में कांपीटेंसी एग्जाम देने वाले 842 उम्मीदवार हैं। इनमें सबसे ज्यादा 119 जालंधर तथा 98 लुधियाना के हैं। राज्य में 1463 रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं, जिनमें 1372 प्राइवेट, 91 सरकारी, 77 आइवीएफ और 26 वेटरनरी सेंटर हैं।

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