पंजाब की 4150 राइस मिलों पर बंदी का संकट, बारदाना खत्म, सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र को लिखा पत्र
पंजाब की राइस मिल्स बारदाने की कमी से जूझ रही हैं। इससे राज्य की 4150 राइस मिलों पर बंदी का संकट पैदा हो गया है। केंद्र की टेंडर से सी ग्रेड बारदाना खरीदने की शर्त मिलर्स को स्वीकार नहीं हैैै। अब मामले में कैप्टन सरकार ने हस्तक्षेप किया है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 23 Feb 2021 10:33 AM (IST)
मोगा [सत्येन ओझा]। बारदाना खत्म होने से पंजाब की 4150 राइस मिलें बंदी के कगार पर हैं। पश्चिम बंगाल से बारदाने की सप्लाई बंद होने के कारण राइस मिलिंग का काम लगभग ठप होने की स्थिति में है। राइस मिलर्स को केंद्र से 30 प्रतिशत जो पुराना बारदाना मिला था, उसमें अब तक हुई 50 प्रतिशत मिलिंग से बना चावल स्टोर कर दिया गया है। अब ज्यादातर मिलर्स के पास वारदाना खत्म हो चुका है।
दरअसल, एफसीआइ बारदाना पश्चिम बंगाल से खरीदती है, इस बार कोरोना काल में फैक्ट्रियां चल नहीं सकीं, जिस कारण बारदाने की सप्लाई नहीं हो सकी। केन्द्र सरकार के पास उपलब्ध करीब 30 प्रतिशत बारदाना सूबे के करीब 4150 राइस मिलर्स को सप्लाई कर दिया गया था, जिसमें अब तक मिलिंग का करीब 50 प्रतिशत चावल स्टोर कर दिया गया है, लेकिन अब ज्यादातर राइस मिलर्स के पास बारदाना नहीं है।
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हालातों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने 22 रुपये किलो के हिसाब से सी ग्रेड बारदाना खरीदने की मंजूरी तो दे दी, लेकिन इसे टेंडर के माध्यम से खरीदने की बात कर रही है जो राइस मिलर्स को मंजूर नहीं है। प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी का कहना है कि मिलिंग का सीजन 31 मार्च तक होता है, टेंडर प्रक्रिया से बारदाना खरीदा तो काफी समय लग जाएगा, तब तक मिलें बंद रहेंगी, जो लेबर काम कर रही है वह भी काम न मिलने के कारण वापस चली जाएगी, ऐसे में मिलिंग करना काफी मुश्किल हो जाएगा। तरसेम सैनी ने बताया कि कि पंजाब सरकार ने गंभीर संकट को देखते हुए हस्तक्षेप किया है। पंजाब सरकार ने केन्द्र को पत्र लिखा है कि बारदाना वे सरकारी स्तर पर खरीद लेते हैं, ताकि समस्या का जल्द से हल हो सके।यह भी पढ़ें: आर्थिक तंगी आई तो दो माह की बेटी को 40 हजार मेंं बेचने को तैयार हो गया लुधियाना का दंपती, ऐसे आया पकड़ में
वर्तमान हालात से सरकार व मिलर्स दोनों को नुकसान
वर्तमान में सूबे में जो समस्या पैदा हुई है, उसका नुकसान पंजाब सरकार को भी है, क्योंकि चावल एफसीआइ के गोदाम में स्टोर होने के बाद ही पंजाब सरकार को मिलिंग आदि की धनराशि जारी होगी। उधर, मिलिंग के बाद चावल ज्यादा समय खुले में रहा तो इसका सीधा नुकसान चावल की क्वालिटी पर पड़ेगा। एफसीआइ के स्टैंडर्ड से चावल नीचे चला गया तो इसकी भरपाई मिलर्स को करनी पड़ेगी। इस तरह जितना पूरे सीजन में मिलिंग की राशि नहीं मिलेगी, उससे कई गुणा ज्यादा नुकसान हो जाएगा।
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मंत्री आशु बोले, जल्द होगा समस्या का हलसरकार ने तीस प्रतिशत बारदाना दिया है, एक बोरी में 37 किलो 700 ग्राम धान आता है, जबकि मिलिंग के बाद चावल 25 किलो भरे जाते हैं। इसके चलते धान वाले बारदाने में लगभग दो गुनी मात्रा में चावल भर जाता है। सूबे के खाद्या एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु का कहना है कि मामला सरकार के ध्यान में है, इस समस्या को हल करने के लिए प्रयास किया जा रहा है, जल्द समस्या हल हो जाएगी।
आंकड़ों पर नजर
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- 170 लाख टन धान की पैदावार 2020 में हुई थी
- 50 प्रतिशत धान की मिलिंग अब तक हो चुकी है