बिहार से पंजाब में मजदूरी करने आया था मालोराम, फरीदकोट में बन गया नंबरदार
बिहार के मालोराम कभी पंजाब के फरीदकोट में मजदूरी का काम करने के लिए आए थे लेकिन आज वह इसी शहर में नंबरदार हैं। फरीदकोट जिले का यह पहला मामला जब बिहार के मूल निवासी को यहांं नंबरदार बनाया गया है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sun, 07 Mar 2021 02:17 PM (IST)
फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह]। बिहार के लक्खीसराय जिला निवासी मालोराम 25 साल पहले दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए फरीदकोट आए थेेे। अब वह फरीदकोट शहर का नंबरदार बन गए हैैंं। नंबरदार बनने पर मालो राम की खुशी का ठिकाना नहीं है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली नंबरदारी मिलने से उनका पूरा परिवार खुश है।
मालो राम ने बताया कि वह बिहार के लक्खीसराय जिले के गांव कल्याणपुर लक्ष्मीपुर का रहने वाले हैं। जब 12वीं कक्षा पास की तो परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने पर भाई फरीदकोट दिहाड़ी-मजदूरी करने के लिए आ गया, उसके दो साल बाद जब मालोराम ने बीए टू की परीक्षा पास की तो वह भी यहां मजदूरी करने के लिए आ गए। मालोराम ने फरीदकोट में दिहाड़ी मजदूरी से शुुरूआत की, उसके कुछ साल बाद दुकान शुरू कर दी है और अब वह दुकान चलाने के साथ प्रापर्टी का काम करने लगा गया है। मालोराम ने ज्योति राम कालोनी में अपना घर बना रखा है और उनका भाई भी उसी में अब दुकान चला रहा है।
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मालोराम ने बताया कि उसने लगातार राजनीतिक व प्रशासनिक प्रयास कर फरीदकोट शहर के बाहरी हिस्सों में एक पंचायत को बांटकर आठ पंचायतों में बंटवाया, ताकि क्षेत्र व लोगों का विकास हो सके। वह पिछली बार ज्योतिराम कालोनी से सरपंच के दावेदार थे, परंतु किन्हीं कारणों से वह चुनाव नहीं लड़े। वह कांग्रेस पार्टी से जुड़ेे हैंं।यह भी पढ़ें: Night Curfew: पंजाब के चार जिलों में नाइट कर्फ्यू लागू, एक दिन में कोरोना के 1179 केस, 12 मौतें
मालोराम ने बताया कि फरीदकोट शहर से चार नंबरदार होते हैंं, जिसमें से दो साल पहले एक नंबरदार की मौत होने पर उसके बेटे द्वारा नंबरदारी की दावेदारी नहीं की गई। इसके बाद मालोराम ने और आठ अन्य स्थानीय लोगों द्वारा नंबरदारी के लिए आवेदन किया गया, लंबी प्राक्रिया के बाद उन्हें जिला प्रशाासन द्वारा नंबरदार नियुक्त किया गया है। यह नंबरदारी उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी की है, उनके बाद उनका बेटा नंबरदार बनेगा। उनके तीन बच्चे हैंं, जिसमें दो बेटे बिहार राज्य में हास्टल में रह कर पढ़ रहे हैंं, जबकि बेटी 12वीं पास है और वह यहां पर अब कोर्स कर रही है।
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मालो राम ने बताया कि नंबरदार का पद बेहद जिम्मेदारी भरा है। किसी की जमानत में उनकी गवाही, किसी राजिस्ट्री में उनकी गवाही व किसी की पहचान में उनकी गवाही बेहद अहम होती है। उन्होंने लोगों की सेवा के लिए यह जिम्मेदारी ली है और इसे बेखौफ अंजाम दिया। तहसीलदार परमजीत सिंह बराड़ ने बताया कि फरीदकोट शहर हेतु चार नंबरदार का नियम है। ऐसे में एक नंबरदार की मौत होने से रिक्त पड़े पद हेते मालोराम की नियुक्त की गई है। यह पूरी प्राक्रिया नियमों के तहत हुई है।
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