प्रदूषण का लॉकडाउन, वातावरण में कम हुई Nitrogen dioxide की मात्रा, शुद्ध हवा में सांस ले रहे आप
कर्फ्यू के कारण औद्योगिक व सामाजिक गतिविधियां ठप हैं लेकिन यह वातावरण के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Tue, 05 May 2020 05:46 PM (IST)
जेएनएन, लुधियाना। Coronavirus COVID_19 संक्रमण के लिए पंजाब में कर्फ्यू जारी है। कर्फ्यू के कारण भले ही राज्य की औद्योगिक व सामाजिक गतिविधियां पूरी तरह से रुक गई हैं, लेकिन वातावरण के लिए यह शुभ रहा। राज्य में हवा की गुणवत्ता में सुधार आया हैै। हाल ही में पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (Punjab Remote Sensing Center) की ओर से की गई स्टडी में 22 मार्च से 20 अप्रैल के दौरान लुधियाना, अमृतसर व जालंधर सहित कई अन्य शहरों में नाइट्रोजन डाइक्साइड (Nitrogen dioxide) का स्तर चालीस से पचास फीसद तक कम पाया गया।
नाइट्रोजन डाइक्साइड एक ऐसी जहरीली गैस है, जिससे श्वास से संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैंं। वातावरण में आए बदलाव का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी दिखाई दे रहा है। खासकर, अस्थमा व श्वास रोगियों पर। विभिन्न अस्पतालों के मेडिसन विशेषज्ञ व छाती रोग विशेषज्ञों के अनुसार कर्फ्यू/लॉकडाउन ने पर्यावरण को इतना स्वच्छ कर दिया है कि अब श्वास रोग से संबंधित मरीजों की संख्या कम हो गई है।
मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कपूर कहते हैं कि अप्रैल में तो गेहूं की कटाई, मौसम में बदलाव, व्हीकल व कारखानों से निकलने वाले धुएं की वजह से श्वास रोगियों की अस्पताल में लाइन लगी रहती थी। ज्यादातर तो बेहद गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते थे। मरीजों को अस्थमा के अटैक तक आ जाते थे, लेकिन पिछले एक महीने में कर्फ्यू के कारण वातावरण स्वच्छ है। प्रदूषण न के बराबर है। यही वजह है कि श्वास रोगी बिल्कुल घट गए हैं।
ओपीडी में तो दूर इमरजेंसी में भी मरीज नहीं आ रहे
डीएमसीएच के मेडिसन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राजेश महाजन ने कहा कि डेढ़ महीने से फसलों के अवशेष नहीं जल रहे। व्हीकल, इंडस्ट्री व कंस्ट्रक्शन बंद है। इसकी वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत अच्छा चल रहा है। ऐसे में ओपीडी में तो दूर इमरजेंसी में भी मरीज नहीं आ रहे। फिर भी श्वास रोगियों को ध्यान रखना चाहिए और समय पर दवाएं लेनी चाहिए।
नाइट्रोजन डाइक्साइड में कमी आना अच्छा संकेतपंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. आरके सेतिया ने बताया, शोधकर्ताओं द्वारा एक से 22 मार्च और फिर 22 से 20 अप्रैल तक नाइट्रोजन डाइक्साइड गैस की वातावरण में मौजूदगी की सेटेलाइट तस्वीरें ली गई। इसके साथ ही 2019 में 22 मार्च से 20 अप्रैल तक की सेटेलाइट तस्वीरें निकालवाई। जिसमें सामने आया कि पिछले साल की तुलना में इस साल 22 मार्च से 20 अप्रैल के दौरान लुधियाना, अमृतसर व जालंधर सहित कई अन्य शहरों में नाइट्रोजन डाइक्साइड का स्तर चालीस से पचास प्रतिशत कम रहा। यह अच्छा संकेत है। क्योंकि इस गैस का स्तर जितना कम होगा, उतना ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा।
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