Cluster Development Programme: कुम्हारों का जीवन संवारेगा 'घड़ा कलस्टर योजना', दो साल की कड़ी मेहनत के बाद मोगा में होगा स्थापित
Cluster Development Programme मिट्टी के बर्तन बनाने वाले एक हजार कुम्हारों का जीवन घड़ा कलस्टर योजना से संवरने वाला है। इसके तहत अत्याधुनिक तकनीक से बनने वाले मिट्टी के बर्तन ना सिर्फ देश के कई राज्यों में बिकेंगे बल्कि दुनिया में भी इनका निर्यात होगा। पिछले दो साल से मोगा जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से कुम्हारों को जागरूक और प्रशिक्षित किया जा रहा है।
सत्येन ओझा, मोगा।Cluster Development Programme मिट्टी का आकार बदलकर गुजारा कर रहे लगभग एक हजार कुम्हारों का जीवन घड़ा कलस्टर योजना से संवरने वाला है। इसके तहत अत्याधुनिक तकनीक से बनने वाले मिट्टी के बर्तन देश के विभिन्न राज्यों में ही नहीं बिकेंगे, बल्कि दुनिया में भी इनका निर्यात होगा। भारत सरकार दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब कारीगरों के जीवन स्तर में सुधार लाने और उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
बीते दो सालों से जिला उद्योग केन्द्र द्वारा किया जा रहा प्रशिक्षित
घड़ा कलस्टर योजना इसी का अंग है, जिसके तहत पिछले दो साल से जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से कुम्हारों को जागरूक और प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस योजना के तहत मिट्टी के बर्तन अत्याधुनिक मशीन से तैयार किए जाएंगे। इससे मिट्टी के डिजायनर बर्तन कम समय में अधिक गुणवत्ता के साथ तैयार होंगे।
पहले चरण में 80 लोगों का प्रशिक्षण के लिए हुआ चयन
आकांक्षी जिला होने के कारण मोगा में इस योजना को बल मिला और जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव योजना की घोषणा की तो मोगा का घड़ा कलस्टर भी इस योजना में शामिल कर लिया गया। अब सरकार ने कुम्हारों को प्रशिक्षण देने के लिए अत्याधुनिक मशीन को जिला उद्योग केन्द्र में स्थापित किया है। पहले चरण में 80 लोगों का चयन प्रशिक्षण के लिए किया गया और छह माह से इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
घड़ा कलस्टर के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं मोगा की रजनी बताती हैं कि अब नए तरीके से बर्तन या मिट्टी की अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं। पहले जिस बर्तन के 20 रुपये मिलते थे वह अब 40 रुपये में बिक रहा है। जागरण
कारीगरों को सरकारी योजनाओं के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है ताकि वे प्रशिक्षण के पश्चात आर्थिक सहायता प्राप्त कर अत्याधुनिक मशीन के साथ अपना काम शुरू कर सकें। सरकार की तरफ से परंपरागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना के तहत लाभार्थियों को 80 प्रतिशत तक अनुदान (सब्सिडी) पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
यह भी पढ़ें: Punjab News: आज से शुरू हो रहा 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम, CM मान सहित मंत्री व विधायक सुनेंगे लोगों की समस्याएं
इस तरह मिलेगा योजना का लाभ
योजना के अनुसार कम से कम 100 व्यक्तियों (अधिकतम 500 व्यक्तियों तक) का एक कलस्टर 2.5 करोड़ रुपये की ग्रांट का लाभ ले सकता है। इस राशि में से कलस्टर में शामिल होने वाले कारीगरों को कुल लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा देना होगा, शेष 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार सहायता के रूप में देगी।
हर कलस्टर को सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा। योजना के लाभार्थियों को बैंक से कर्ज दिलाने के साथ ही सरकार मिट्टी के बर्तनों के बाजारीकरण और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले ट्रेड फेयर में उत्पादों के प्रदर्शन में भी हर कलस्टर की सहायता करेगी।
पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद होंगे तैयार
इसके तहत मिट्टी से ऐसी पानी की टंकियां तैयार की सकेंगी जो मौसम के अनुसार पानी के तापमान को नियंत्रित कर सकती हैं। साथ ही मिट्टी के बर्तन, डिजायनर खिलौने, कूलर के अंदर पानी को ठंडा रखने के लिए मिट्टी का स्टैंड जैसे कई उत्पाद तैयार होंगे, जो ईको पर्यावरण के भी अनुकूल होंगे। अत्याधुनिक मशीनों से तैयार होने के कारण ये आकर्षक भी होंगे।
इस तरह मिलेगा योजना का लाभ
अगर 100 सदस्यों वाला कलस्टर एक करोड़ रुपये की लागत से कारोबार शुरू करना चाहता है तो कलस्टर के सदस्यों को अपने हिस्से की सिर्फ 10 लाख रुपये की राशि जमा करनी होगी। अर्थात हर सदस्य के हिस्से में सिर्फ दस हजार रुपये की लागत आएगी। लगातार जागरूकता और सेमिनार के माध्यम से पिछले एक साल के प्रयास के बाद कारीगर कलस्टर में रुचि दिखाने लगे हैं।
'घड़ा कलस्टर योजना सिर्फ यहां के कुम्हारों की ही जिंदगी नहीं बदलेगी, बल्कि मोगा की आर्थिक समृद्धि की नई कहानी भी गढ़ेगी। इस समय योजना में शामिल होने के इच्छुक लाभार्थियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही कलस्टर के रूप में उनका रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया गया है। योजना के तहत लाभार्थियों से कुल लागत की 10 प्रतिशत राशि जमा करवाई जा रही है, ताकि इसमें शामिल होने वाले लाभार्थी काम के प्रति गंभीर रहें।'
-सुखमंदर सिंह रेखी, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र
यह भी पढ़ें: Punjab Weather Update: ठंड से राहत नहीं, पंजाब का यह शहर रहा सबसे ठंडा; इस हफ्ते कैसा रहेगा मौसम का हाल