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Rajasthan: फर्जी एनओसी मामले में दो लोगों को इस्तीफा देने के निर्देश, अंग प्रत्यारोपण से जुड़ा है मुद्दा; पढ़ें अन्य खबरें

राजस्थान में अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी और किडनी प्रत्यारोपण के मामले में गड़बड़ी मिलने पर राज्य सरकार ने एसएमएस मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.राजीव बगरहट्टा और अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा है। साथ ही इस मामले में तीन अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों से जवाब मांगा गया है। इस मामले में पुलिस तह तक जाने के लिए जांच कर रही है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Published: Sun, 05 May 2024 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2024 04:00 AM (IST)
फर्जी एनओसी मामले में दो लोगों को इस्तीफा देने के निर्देश

 जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी और किडनी प्रत्यारोपण के मामले में गड़बड़ी मिलने पर राज्य सरकार ने एसएमएस मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.राजीव बगरहट्टा और अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा है। साथ ही इस मामले में तीन अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों से जवाब मांगा गया है।

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सूत्रों के अनुसार राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी),जयपुर पुलिस और चिकित्सा विभाग की जांच में एसएमएस अस्प्ताल प्रशासन और मेडिकल कालेज के प्राचार्य के स्तर पर गड़बड़ी की जानकारी सामने आई है। इस कारण सरकार ने दोनों प्रमुख जिम्मेदारों को इस्तीफा देने के लिए कहा है।

दोनों अस्पतालों का रिकार्ड जब्त किया

अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी मामले में एसीबी ने अब तक फोर्टिस और ईएचसीसी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपित करने वाले चिकित्सकों एवं उनकी टीम से पूछताछ की है। दोनों अस्पतालों का रिकार्ड जब्त किया है।

पैसे लेकर फर्जी एनओसी जारी करने वाले एसएमएस के तत्कालीन सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह,फोर्टिस अस्पताल के समन्वयक विनोद सिंह,गिरिराज शर्मा,ईएचसीसी अस्पताल के समन्वयक अनिल कुमार जोशी के साथ ही गुरूग्राम में पकड़े गए किड़नी देने वाले और जिन्हे प्रत्यारोपित की गई है,उन सभी से पूछताछ में सामने आया कि बांग्लादेश,नेपाल एवं कंबोडिया से गरीबों को पैसों के लालच में यहां लाकर जरूरतमंदों को किड़नी प्रत्यारोपित की जाती थी।

गरीबों को पैसों का लालच देकर किड़नी दान करने के लिए प्रेरित किया

बिना आवश्यक दस्तावेजों की पूर्ति किए गरीबों को पैसों का लालच देकर किड़नी दान करने के लिए प्रेरित किया जाता था और फिर जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित की जाती थी। पुलिस ने इस मामले में दिल्ली स्थित मैडी सफर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक सुखमय और सुमन जाना को गिरफ्तार किया है। दोनों से अभी पूछताछ जारी है।

जांच के नाम पर महिला के अंडाणु बेचने का मामला सामने आया

राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक महिला की जांच के नाम पर उसके अंडाणु (एग)बेचने का मामला सामने आया है। महिला ने अपने ससुराल पक्ष पर 25 हजार रूपए में अंडाणु एक निजी अस्पताल को बेचने के प्रयास का आरोप लगाया है।

महिला ने जयपुर के सांगानेर सदर पुलिस थाने में इस मामले में ससुराल पक्ष और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है। 20 साल की महिला ने पुलिस में रिपोर्ट दी है कि मई,2022 में उसका विवाह सांगानेर के एक युवक से हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद सास ने उसे दहेज को लेकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

इस बीच सास का परिचय सोनिया नाम की एक महिला से हुआ । सोनिया ने सांस को पीड़िता के अंडाणु बेचने के बदले 25 हजार रूपए एक निजी अस्पताल से दिलवाने की बात कही। इस साल 29 मार्च को सास ने दबाव बनाकर सोनिया के साथ पीड़िता को अस्पताल में भेज दिया। सोनिया ने निजी अस्पताल में ले जाकर चिकित्सक से मिलवाया । चिकित्सक ने जांचके लिए खून के सैंपल लिए । सोनोग्राफी की गई। चिकित्सक ने लगातार 12 दिन तक अस्पताल बुलाया ।

पीड़िता से कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए

एक अप्रैल को चिकित्सक ने पीड़िता से कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए । पीड़िता का कहना है कि दस्तावेज उसे पढ़ने नहीं दिए गए । इसी दिन चिकित्सक ने पेट में इंजेक्शन लगाया और एक गोली खाने को दी। गोली खाने पर पीड़िता को बेहोशी छाने लगी। चार अप्रैल तक सोनिया पीड़िता को प्रतिदिन अस्पताल लेकर जाती रही। प्रतिदिन पेट में इंजेक्शन लगाया गया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि पांच अप्रैल को अस्पताल की एक नर्स उसके घर आई और अस्पताल लेकर जाने लगी।

नर्स ने 25 हजार रूपए में अंडाणु का सौदा करने की जानकारी दी

पीड़िता ने इनकार किया तो नर्स ने 25 हजार रूपए में अंडाणु का सौदा करने की जानकारी दी। नर्स ने बताया कि अंडाणु के बदले सास को 25 हजार रूपए दिए गए हैं। पीड़िता का कहना है कि दो दिन पहले वह मौका देखकर ससुराल से अपने मायके पहुंची और फिर रिपोर्ट दर्ज करवाई । उधर जिस ईश्वा अस्पताल पर पीड़िता ने आरोप लगाया है वहां से इस तरह के घटनाक्रम से इनकार किया गया है।

अस्पताल की तरफ से कहा गया कि हमारे यहां अंडाणु डोनर सरकार द्वारा पंजिकृत बैंक से ही लिए जाते हैं। डोनर की सहमति से ही ऐसा हो सकता है। जिस महिला ने आरोप लगाया है उसके अंडाणु कभी नहीं निकाले गए । पुलिस ने महिला,उसके पति व सास के नाम फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए हैं।


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