JLF 2023: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 19 जनवरी से, शशि थरूर और वरुण गांधी सहित ये वक्ता होंगे शामिल
JLF 2023 जयपुर में 19 से 23 जनवरी 2023 तक आयोजित होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के वक्ताओं की अंतिम सूची बुधवार को जारी की गई है। जयपुर के क्लाक्र्स आमेर होटल में आयोजित जेएलएफ में देश-दुनिया के प्रमुख लेखक साहित्यकार वक्ता सहित विभिन्न विषयों से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होंगे।
By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Wed, 30 Nov 2022 07:57 PM (IST)
जयपुर, जागरण संवाददाता। JLF 2023: राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) में 19 से 23 जनवरी, 2023 तक आयोजित होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के वक्ताओं की अंतिम सूची बुधवार को जारी की गई है। जयपुर के क्लाक्र्स आमेर होटल में आयोजित जेएलएफ में देश-दुनिया के प्रमुख लेखक, साहित्यकार, वक्ता सहित विभिन्न विषयों से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होंगे।
जेएलएफ में इन विषयों पर होगी चर्चा
जेएलएफ में इस दौरान जलवायु संकट, स्वास्थ, अपराध, संगीत और काव्य आदि विषयों पर चर्चा होगी।
जेएलएफ में ये होंगे शामिल
इस बार जेएलएफ में सांसद वरुण गांधी, शशि थारूर, गीतकार जावेद अख्तर, लेखक संजीव सान्याल, सौरभ किरपाल, सिद्धार्थ मुखर्जी, साइमन सेबगर्मोटेफिओ, साइमन सेबगमोंटेफिओर, सुमित, टोबी वाल्श, अक्षय मुकुल, पी.साइनाथ, लेखिका अलका सरावती, मरयम अस्लानी, अमिया श्रीनिवासन, प्रकाशक आनंदा देवी, पुलित्जर पुरस्कार विजेता कैरलाइन एल्किन्स, डेविड वेनग्रोवा, दयानिता सिंह, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता गोर गोपाल दास, बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, जोनाथन फ्रीडलैंड, दुनिया के प्रसिद्ध आर्ट म्यूजियम विजुअल एंड आर्ट के निदेशक त्रिस्तम हंट, उषा उथुप, विद्या कृष्णन शामिल होंगे। जेएलएफ में कई पुरस्कृत इतिहासकार भी शामिल होंगे, जिनमें टाम होलैंड, ऐलेक्स वोन तुंजेलमन, डेविड,एडवर्ड चांसलर और कैटी हैलेस प्रमुख है।रखेंगे अपनी बात
हर साल की तरह इस साल भी जेएलएफ के दौरान कई वक्ता विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखेंगे। गौरतलब है कि मार्च, 2022 में शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को डायनमिक और जबरदस्त बताते हुए कहा था कि उन्होंने बहुत कुछ ऐसा किया है जो इम्प्रेसिव है, लेकिन उनका एक नकारात्मक पहलू यह है कि उन्होंने कुछ लोग ऐसे छोड़ दिए हैं जो समाज को जाति और धर्म के नाम पर खोखला कर रहे हैं। यह देश के लिए खतरनाक है। उनकी कार्यशैली बांटने वाली है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बाहर निकलने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों को उसका कर्तव्य बताते हुए थरूर ने कहा कि इसका श्रेय लेना अनुचित है।
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