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'जहां कोई नहीं जाना चाहता, वहां करें सेवा', एम्स जोधपुर के दीक्षांत समारोह में मनसुख मांडविया ने डॉक्टरों से की अपील

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एम्स जोधपुर के चौथे दीक्षांत समारोह में कहा कि मेडिकल प्रोफेशन एक कॉर्मस नहीं बल्कि एक सेवा है। उन्होंने मेडिकल की परीक्षा पूरी करने वाले डॉक्टरों से यह प्रतिज्ञा लेने की अपील की कि वह सुदूर रेगिस्तानी इलाकों में उन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कम से कम दो साल तक सरकारी डॉक्टर के रूप में काम करेंगे जहां कोई डॉक्टर जाना नहीं चाहता।

By Agency Edited By: Anurag GuptaPublished: Sat, 03 Feb 2024 06:20 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2024 06:20 PM (IST)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (फोटो: @mansukhmandviya)

पीटीआई, जोधपुर। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को एम्स जोधपुर के चौथे दीक्षांत समारोह में कहा कि मेडिकल प्रोफेशन एक 'कॉर्मस' नहीं, बल्कि एक सेवा है। साथ ही उन्होंने एक डॉक्टर की भूमिका की तुलना एक मंदिर के पुजारी से की गई, जो एक मरीज और अस्पताल के प्रति कर्तव्यनिष्ठ है।

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दीक्षांत समारोह में CM भजनलाल भी हुए शामिल

इस समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई लोग शामिल हुए। इस दौरान 22 छात्रों को पदक दिए गए, जबकि तकरीबन 780 यूजी, पीजी, नर्सिंग और सुपर-स्पेशियलिटी छात्रों को डिग्री दी गई।

इस अवसर पर मनसुख मांडविया ने एम्स जोधपुर और छह अन्य एम्स बिलासपुर, भुवनेश्वर, नागपुर, देवघर, गोरखपुर और ऋषिकेश में कई सुविधाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।

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क्या कुछ बोले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री?

दीक्षांत समारोह में मनसुख मांडविया ने कहा कि हमारे देश में डॉक्टर एक 'कॉर्मस' नहीं, बल्कि एक सेवा है। हमारे देश में मरीजों के प्रति कमर्शियल व्यवहार नहीं होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छात्रों से अपील की कि वह स्वेच्छा से दूरदराज के इलाकों में सेवा करें, इसके लिए सरकार को उनसे कोई बॉन्ड भरवाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा,

मेरे देश में डॉक्टरों को बॉन्ड भरने की कोई जरूरत नहीं है और उन्हें अहसास है कि जब तक सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी, मैं जहां भी ड्यूटी दी जाएगी वहां सेवा करूंगा।

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डॉक्टरों से मनसुख मांडविया ने की यह अपील

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मेडिकल की परीक्षा पूरी करने वाले डॉक्टरों से यह प्रतिज्ञा लेने की अपील की कि वह इस राज्य के सुदूर रेगिस्तानी इलाकों में उन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में कम से कम दो साल तक सरकारी डॉक्टर के रूप में काम करेंगे, जहां कोई डॉक्टर जाना नहीं चाहता है। उन्होंने कहा,

अगर हम इस दृष्टिकोण के साथ काम करेंगे, तभी हम 2047 तक एक विकसित देश के सपने को साकार कर पाएंगे।


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