1455 करोड़ रुपये में बने चंबल रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप, होगी जांच; पूर्व मंत्री धारीवाल पर आई जांच की आंच
राजस्थान के कोटा में चंबल नदी के तट पर तैयार किए गए चंबल रिवर फ्रंट को लेकर विवाद हो गया है। विपक्ष में रहते हुए 1455 करोड़ रुपये की लागत से बने रिवर फ्रंट में घोटाला का आरोप लगा रही भाजपा ने अब इस मामले की जांच करवाने का फैसला किया है। आरोप है कि पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने खुद और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मृर्तियां बनवाई थीं।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान के कोटा में चंबल नदी के तट पर तैयार किए गए चंबल रिवर फ्रंट को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। विपक्ष में रहते हुए 1455 करोड़ रुपये की लागत से बने रिवर फ्रंट में घोटाला का आरोप लगा रही भाजपा ने अब इस मामले की जांच करवाने का फैसला किया है।
घोटाले के आरोपों के बीच एक नया मामला भी सामने आया है, जिसमें अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे शांति धारीवाल ने खुद की तीन और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दो मृर्तियां बनवाई थीं। धारीवाल ने इन मूर्तियों को रिवर फ्रंट में लगवाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन इस बीच सरकार बदल गई। बताया जाता है कि भाजपा के सत्ता में आते ही अधिकारियों ने गहलोत और धारीवाल की मूर्तियो को संग्रहालय के अंदर छिपा दिया, जिससे किसी की नजर नहीं पड़े।
मूर्तियों को मौका मिलते ही नष्ट करवाने की थी तैयारी
अधिकारी इन मूर्तियों को मौका मिलते ही नष्ट करवाने की तैयारी कर रहे थे। इस बीच नए स्वायत्त शासन मंत्री हरलाल सिंह खर्रा को रिवर फ्रंट में भ्रष्टाचार, गहलोत व धारीवाल की मूर्तियों के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि धारीवाल ने पूरे प्रदेश के विकास का सरकारी पैसा कोटा में खर्च कर दिया, जिसकी जांच होगी।
रिवर फ्रंट लूट का अड्डा बना हुआ था- भाजपा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गहलोत व धारीवाल की मृर्तियां बनवाने और रिवर फ्रंट के निर्माण की जांच करवाने का निर्णय लिया गया। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रहलाद गुंजल ने कहा कि गहलोत व धारीवाल इतिहास पुरुष बनना चाहते थे। खुद को अजर-अमर करना चाहते थे। रिवर फ्रंट लूट का अड्डा बना हुआ था।
दो करोड़ में बनी मूर्तियां
कोटा के मूल निवासी धारीवाल ने खुद की तीन और गहलोत की दो मूर्तियां बनवाई थीं। एक मूर्ति में गहलोत और धारीवाल कुर्सी पर बैठे हुए हैं। दूसरी में गहलोत, धारीवाल, रिवर फ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया और कोटा नगर विकास न्यास के पूर्व सलाहकार आरडी मीणा खड़े हुए रिवर फ्रंट को निहार रहे हैं। तीसरी मूर्ति में धारीवाल को भरतरिया कुछ समझा रहे हैं।
मूर्तियों के निर्माण पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च
अधिकारियों ने बताया कि इन मूर्तियों का निर्माण करीब दो करोड़ रुपये खर्च कर के करवाया गया था। ये मूर्तियां रिवर फ्रंट के मध्य में लगनी थीं, लेकिन इस बीच विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई और अधिकारियों ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के आदेश मानना बंद कर दिया। धारीवाल और अधिकारियों के बीच इस बात पर सहमति हुई थी कि यदि कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटती है तो मूर्तियां लगाई जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
आदेश उच्च स्तर से मिलते थे- अभियंता
कांग्रेस चुनाव हार गई। कोटा नगर विकास न्यास के अधिशासी अभियंता अंकित अग्रवाल का कहना है कि निर्माण मेरी देखरेख में हुआ था, लेकिन आदेश उच्च स्तर से मिलते थे। उच्च स्तर से ही मुझे आदेश मिलते थे, जिन्हें लागू करना आवश्यक बताया गया था। धारीवाल से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
पीएम से लेकर प्रदेश तक के नेताओं ने लगाए थे आरोप
विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिवर फ्रंट के निर्माण में घोटाले के आरोप लगाए थे। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने सत्ता में आने पर एसआईटी से जांच करवाने की बात कही थी। उल्लेखनीय है कि रिवर फ्रंट का निर्माण करीब छह किलोमीटर क्षेत्र में करवाया गया था, जिसमें गार्डन, अलग-अलग स्मारक, मूर्तियां और अन्य चीजें लगवाई गई थीं।
एनजीटी ने गलत माना
पिछले साल बनकर तैयार हुए रिवर फ्रंट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नियम विरुद्ध माना था। एनजीटी का कहना है कि इसके निर्माण के लिए राज्य सरकार ने पर्यावरण से जुड़ी स्वीकृति नहीं ली और इसके बनने से जलीय जीवों का जीवन संकट में हो सकता है। एनजीटी की कमेटी ने जांच भी की है। टीम ने माना था इसका निर्माण घडियाल अभयारण्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
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