यहां हुआ था श्रीराम-रावण का युद्ध, ये हैं श्रीलंका में रामायण काल के 5 स्थल
लंका जो कभी दशानन रावण की नगरी हुआ करती थी अब श्रीलंका के नाम से प्रसिद्ध है। हम आप को उन पांच जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी रामायण्ा की निशानियां मिलती है।
By Prabhapunj MishraEdited By: Updated: Fri, 22 Sep 2017 01:02 PM (IST)
यहां हुआ था राम और रावण में युद्ध
श्रीलंका की रामायण रिसर्च कमेटी की जानकारी की मानें तो अबतक हुए अनुसंधान में भगवान हनुमान का श्रीलंका में प्रवेश के लिए उत्तर दिशा में नागदीप पर निशान मिले हैं। अनुसंधान के दौरान उस स्थान की भी तलाश पुरी कर ली गई है, जिस जगह पर राम व रावण के बीच भीषण व निर्णायक युद्घ हुआ था। श्रीलंका में आज भी उस युद्घ-स्थान को युद्घगनावा नाम से जाना जाता है जहां पर रावण का भगवान राम ने वध किया था।
लंका में यहां रुकी थी माता सीतामाता सीता का हरण करने के बाद अशोक वाटिका वो जगह है जहां रावण ने माता सीता को रखा था। अब इस जगह को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है। ये नूवरा एलिया नामक जगह के पास है। यहां सीता जी का एक मंदिर है। पास में एक झरना भी बहता है। मान्यता है कि देवी सीता यहां स्नान किया करती थीं। इस झरने के आसपास की चट्टानों पर हनुमान जी के पैरों के निशान भी मिलते हैं। यही वो पर्वत है जहां हनुमान जी ने पहली बार कदम रखा था। इसे पवाला मलाई कहते हैं। ये पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में है।
यहां गिरे थे माता सीता के अश्रु रावण जब सीता माता को हरण करके ले जा रहा था इस जगह सीता जी के आंसू गिरे थे। तब से इस जगह को सीता अश्रु ताल कहा जाता है। श्रीलंका में कैंडी से लगभग 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर एक तालाब मौजूद है। इसे सीता टियर तालाब कहते हैं। बेहद गर्मी के दिनों में जब आसपास के कई तालाब सूख जाते हैं पर ये कभी नहीं सूखता है। आसपास के अन्य तालाबों का पानी मीठा है पर इस तालाब का पानी खारा है। माता सीता ने यहां दी थी अग्नि परीक्षाश्रीलंका में वेलीमड़ा नामक जगह पर डिवाउरूम्पाला मंदिर है। यहां पर माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। स्थानीय लोग इस जगह पर सुनवाई करके न्याय करने का काम करते हैं। मान्यता है कि जिस तरह इस जगह पर देवी सीता ने सच्चाई साबित की थी उसी तरह यहां लिया गया हर फैसला सही साबित होता है।यहां उतरता था पुष्पक विमानश्रीलंका में एक शहर है जिसका नाम सिन्हाला है। यहां एक वेरागनटोटा नाम की जगह है जिसका मतलब होता है विमान उतरने की जगह। कहते हैं कि यही वो जगह है जहां दशानन अपना पुष्पक विमान उतरता था।