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Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर जरूर करें बजरंगबली की ये आरती, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

हनुमान जयंती आज यानी 23 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस अवसर पर हनुमान जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से इंसान को जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। अगर आप हनुमान जयंती पर प्रभु को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन पूजा के दौरान हनुमान जी की आरती अवश्य करें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Tue, 23 Apr 2024 06:15 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 06:15 AM (IST)
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर जरूर करें बजरंगबली की ये आरती, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Ji Ki Aarti: भगवान हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है क्योंकि प्रभु अपने भक्तों के सभी संकट हर लेते हैं। राम नवमी के बाद हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है इसी दिन बजरंगबली जी का जन्म हुआ था। इस बार हनुमान जयंती आज यानी 23 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस अवसर पर हनुमान जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से इंसान को जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। अगर आप हनुमान जयंती पर प्रभु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन पूजा के दौरान हनुमान जी की आरती अवश्य करें। माना जाता है कि इससे पूजा सफल होगी और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। आइए पढ़ते हैं हनुमान जी की आरती।

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हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics)

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।

लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।

पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।

हनुमान जी के मंत्र

1.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर

शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।

2.ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय

सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

3.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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