जानें शक्ति पीठों में कामाख्या देवी का मंदिर क्यों है खास, तांत्रिक करते हैं अनुष्ठान
असम में स्िथत कामाख्या देवी का मंदिर थोड़ा अलग है। क्योंकि यहां पूजा-अर्चना के साथ तंत्र-मंत्र अनुष्ठान भी होते रहते हैं। जानें क्या है इसकी वजह...
कामाख्या देवी की अलग है महिमा
नवरात्र में देवी मां की पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। सभी भक्त नौ दिन तक व्रत रखते हैं और मां की पूजा करने मंदिर जाते हैं। नवरात्र में शक्ित पीठ के दर्शन करना शुभ माना जाता है। देवी मां के कुल 51 शक्ितपीठ है, सब की अलग-अलग महिमा है। इसमें एक खास है कामाख्या देवी का मंदिर। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है। बताते हैं यह मंदिर देवी के अन्य शक्ितपीठों से अलग है। क्योंकि यहां भक्तों के साथ-साथ तांत्रिकों का भी हुजूम उमड़ता है।
क्या है कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ किया। इस यज्ञ में देवी सती के पति भगवान शिव को नहीं बुलाया गया। यह बात सती माता को बुरी लग गई। वह अपने पति शिव जी का अपमान सह न सकीं और अग्निकुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया। जिसके बाद शिव जी ने सती का शव लेकर खूब तांडव किया। चारों ओर हाहाकार मच उठा, आखिर में भगवान विष्णु ने शिव के क्रोध को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। देवी के सभी अंग अलग-अलग जगहों पर गिरे, ये ही शक्ितपीठ कहलाए। कामाख्या मंदिर में देवी सती की योनि और गर्भ गिरे थे, इसलिए यहां देवी मां रजस्वला होती हैं।
इसलिए आते हैं तांत्रिक
मंदिर के मुख्य प्रांगण में मां कामाख्या के अलावा अन्य देवियों के भी मंदिर हैं। इसमें काली, तारा, सोदशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमवती, बगलामुखी, मतंगी और कमला देवी के मंदिर शामिल हैं। कहते हैं कि इन देवियों के पास महाविद्या है। इसीलिए तांत्रिक यहां आकर अनुष्ठान करके सिद्धी प्राप्त करते हैं।