Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

गायब हो गया श्रीकृष्ण का पांचजन्य

योगिराज श्रीकृष्ण का अद्भुत, अनमोल और विश्वप्रसिद्ध शंख पांचजन्य (पंजम) अपने स्थान से गायब है। इसके साथ कई अन्य बहुमूल्य वस्तुएं भी चोरी हो चुकी हैं। ताज्जुब की बात है कि कुरुक्षेत्र के 48 कोस की परिधि में होने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया।

By Edited By: Updated: Sun, 21 Apr 2013 11:50 AM (IST)
Hero Image

करनाल, [कर्मबीर लाठर]। योगिराज श्रीकृष्ण का अद्भुत, अनमोल और विश्वप्रसिद्ध शंख पांचजन्य (पंजम) अपने स्थान से गायब है। इसके साथ कई अन्य बहुमूल्य वस्तुएं भी चोरी हो चुकी हैं। ताज्जुब की बात है कि कुरुक्षेत्र के 48 कोस की परिधि में होने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया।

महाभारत युद्ध में अपनी ध्वनि से पांडव सेना में उत्साह का संचार करने वाले इस शंख को करनाल से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में काछवा व बहलोलपुर गांव के समीप स्थित पाराशर ऋषि के स्थान पर रखा गया था। चोरी हुए शंख को अत्यंत गोपनीय तरीके से इस तीर्थ में बनी एक गुप्त अलमारी में रखा गया था, जो एक कमरे की दीवार में बनाई गई थी। यह अलमारी दीवार में ही चुनी गई थी। करीब 20 साल पहले कमरे की मरम्मत के दौरान यह अलमारी पता चली थी, जिसमें अनेक बेशकीमती वस्तुएं मिली थीं। उनमें श्रीकृष्ण भगवान का पांचजन्य शंख भी था। इसकी बनावट विशेष प्रकार की थी। इसमें फूंक एक तरफ से मारी जाती थी लेकिन आवाज पांच जगहों से निकलती थी। शंख को ग्रामीणों ने बजाने की बहुत कोशिश की किंतु कोई कामयाब नहीं हो सका।

गांव के सरदार अरुढ़ सिंह बताते हैं कि उस शंख को ग्रामीणों ने मंदिर के धुने पर रख दिया था और उसकी पूजा करने लगे। किंतु एक दिन अचानक वह शंख गायब हो गया। अंतिम बार इसे तीन साल पहले देखा गया था।

मान्यता है कि महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शंख पांचजन्य को पाराशर ऋषि तीर्थ पर रखा था। इस घटना से चिंतित तीर्थ के संचालक सवेरा गिरी महाराज ने कहा कि वह शंख पूरे विश्व में अपनी तरह का अनोखा है। उसको ढूंढ़ना देश की बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को ढूंढ़ने के समान है।

यह विडियो भी देखें

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि शंख हर काल में मिलते हैं। वह शंख कौन सा है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाता। उसके आसपास मिले अवशेषों की जांच करके भी कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

कुरुक्षेत्र के 48 कोस की परिधि में तीर्थो की देखभाल कर रहे कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के कार्यालय सचिव राजीव शर्मा का कहना है कि पंजम शंख के लापता होने पर ग्रामीणों को रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए थी। उसे कुरुक्षेत्र म्यूजियम में रखा जा सकता था। ग्रामीण शिकायत दें तो इस बाबत आगे कार्रवाई की जा सकती है। वैसे टीम भेजकर जांच कराई जाएगी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के भारतीय सांस्कृतिक एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. सतदेव और पुरातत्ववेता केसरवाणी का कहना है कि वे इसका अध्ययन करेंगे। पाराशर सरोवर में छुपा था दुर्योधन

इस तीर्थ में वह सरोवर भी है जहां पांडवों से युद्ध में हार के बाद दुर्योधन पानी में छुप गया था। उस समय सरोवर में अनेक कमल के फूल थे। दुर्योधन ने सरोवर की गहराई में बैठकर उन कमल के पुष्पों की नालियों से सांस लेकर समय काटा था, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की नजरों से वह बच नहीं पाया और उसका वध कर दिया गया। यहां तीन शिव मंदिर हैं जिनमें से एक मंदिर पर शिलालेख लगा हुआ है। इससे इसकी प्राचीनता का ज्ञान होता है। यहां एक सुरंग किस्म का स्थान भी है जिसकी ग्रामीण अब खुदाई कराना चाहते हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर