ब्रज में अगले चालीस दिन तक नियम-संयम बरत कर चौरासी कोस यात्रा करने का अनुष्ठान सोमवार से शुरू हो रहा है। इस बार तीन बड़ी यात्राएं होंगी। एक यात्रा अक्टूबर माह में निकलेगी। देवोत्थान एकादशी तक पूर्ण होने वाली 40 दिवसीय चौरासी कोस यात्राओं में हजारों वैष्णव भक्त ब्रज रज के महात्म्य को शीर्ष पर रखते हुए पुण्य प्राप्त करेंगे। तीन
By Edited By: Updated: Mon, 02 Sep 2013 12:45 PM (IST)
मथुरा। ब्रज में अगले चालीस दिन तक नियम-संयम बरत कर चौरासी कोस यात्रा करने का अनुष्ठान सोमवार से शुरू हो रहा है। इस बार तीन बड़ी यात्राएं होंगी। एक यात्रा अक्टूबर माह में निकलेगी। देवोत्थान एकादशी तक पूर्ण होने वाली 40 दिवसीय चौरासी कोस यात्राओं में हजारों वैष्णव भक्त ब्रज रज के महात्म्य को शीर्ष पर रखते हुए पुण्य प्राप्त करेंगे। तीनों यात्राओं में करीब छह हजार वैष्णव श्रद्धालु भाग लेंगे। पहली यात्रा तीन सितंबर को मथुरा के विश्रम घाट से शुरू होगी।
सूरत के वल्लभ महाराज के नेतृत्व में इस यात्रा में डेढ़ हजार से ज्यादा श्रद्धालु भाग लेंगे। यात्रियों के आने का क्रम रविवार से शुरू हो गया। दूसरी चौरासी कोस यात्रा दस सितंबर को निकलेगी। जूनागढ़ के महाराज विट्ठल बाबा के सानिध्य में निकलने वाली इस यात्रा में भी डेढ़ हजार से ज्यादा भक्त लेने आ सकते हैं। तीसरी यात्रा दस अक्टूबर को निकलेगी, जिसमें अभी तक ढाई हजार से लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया गया है। यह यात्रा राजकोट वाले महाराज के नेतृत्व में निकलेगी।
श्री ब्रजवासी पंडा तीर्थ पुरोहित सभा के बैनर तले श्री रामदल ब्रज चौरासी कोस यात्रा सोमवार प्रात: यमुना पूजन व संकल्प लेने के साथ वृंदावन में शुरू होगी। श्रद्धालु सप्त देवालयों के प्रमुख गोविंददेव मंदिर पहुंचेंगे। यहां से शुरू होकर परिक्रमा यात्रा का पहला पड़ाव मथुरा के भूतेश्वर मंदिर के निकट होगा। इसके बाद मधुवन, कुमुद वन, शांतनु वन, राधाकुंड, गोवर्धन, डीग, खोह, बद्री नारायण, केदारनाथ, कामवन, बरसाना, नंदगांव, कोसी, शेरगढ़, वृंदावन के चीर घाट, मांट, राया, बल्देव के अनेक तीर्थस्थानों के दर्शन करने के बाद पुन: वृंदावन पहुंचेगी। परिक्रमा यात्रा आयोजन समिति के गिरधारी ब्रजवासी के अनुसार सोमवार की प्रात: यमुना पूजन के दौरान श्रद्धालुओं को सत्य भाषण, ब्रह्मचर्य, भूमि शयन, अक्त्रोध, जीव रक्षा, बिना चप्पल के चलने का संकल्प दिलाया जाएगा। संकल्प लेने के बाद ही यात्री परिक्रमा में शिरकत कर सकेंगे।
अयोध्या 84 कोसी परिक्त्रमा पर प्रतिबंध के मामले में प्रदेश सरकार का रूख नरम देख विश्व हिंदू परिषद का जोश भी ठंडा पड़ गया है। संतों को अयोध्या भेजने के मामले में अब विहिप अधिक दिलचस्पी नहीं दिखा रही। संत बेरोकटोक अपने साधनों से अयोध्या पहुंच कर परिक्त्रमा दे रहे हैं। विहिप का मानना है कि सरकार अब इस मुद्दे को तूल नहीं दे रही है। पुलिस-प्रशासन का परिक्त्रमा लगाने वाले संतों के प्रति रवैया नरम है। कोई गिरफ्तारी भी नहीं हो रही है, इसलिए ताकत दिखाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही। विहिप के ब्रज प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख कैप्टन हरिहर शर्मा का कहना है कि परिक्त्रमा लगाने के लिए एक-एक, दो-दो संत अपने साधनों या ट्रेन-बसों से अयोध्या जा रहे हैं। कहीं कोई रोकटोक नहीं है। ऐसे में इस मामले में शोरगुल मचाने को कोई तुक नहीं है। 84 कोसी परिक्त्रमा में भाग लेने के इच्छुक संतों की लिस्ट तैयार कर उन्हें पाबंद करने की तैयारी पुलिस प्रशासन कर रहा है। ऐसे साधु-संतों के आश्रम-मठों के नाम-पते भी एकत्र किए जा रहे हैं। एलआइयू की सूचना पर विहिप की तैयारियों का तोड़ निकाला जा रहा है। विहिप के जिलाध्यक्ष बच्चू सिंह का कहना है कि साधु-संत प्रतिदिन अयोध्या के लिए रुख कर रहे हैं। अब तक जनपद से 65 संत अयोध्या परिक्रमा के लिए पहुंच चुके हैं। 200 साधु-संतों को अयोध्या भेजने का लक्ष्य है। वहीं, कोतवाली प्रभारी संजय जायसवाल का कहना है कि अयोध्या जाने वाले संभावित लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के क्रम में कोई कार्य होगा, तो कार्रवाई की जाएगी।
जन्माष्टमी पर वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर की देहरी पूजने के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजन के बाद उमा भारती यहां से चली गई थीं। रविवार को वह फिर आईं लेकिन चर्चा का विषय यह इतना नहीं रहा, जितना कि निकुंजवन में उनकी साधना। भाजपा की वरिष्ठ नेता साध्वी उमा भारती रविवार सुबह वृंदावन के परिक्त्रमा मार्ग स्थित विजय कौशल महाराज के आश्रम निकुंजवन पहुंचीं। उनके आगमन की सूचना मिलते ही मीडिया के साथ ही भाजपा नेता भी पहुंचना शुरू हो गए, लेकिन वे किसी से नहीं मिलीं। आश्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री यहां राधाष्टमी तक साधना करेंगी। देर शाम तक भाजपा के तमाम पदाधिकारी भी आश्रम पहुंचे, मगर सुरक्षा गार्डो ने मुलाकात नहीं करने दी। उन्हें बताया गया कि साध्वी साधना में लीन हैं और उन्होंने किसी से भी मिलने से मना कर दिया है। बता दें कि इससे पूर्व जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर उमा वृंदावन पहुंची थीं। यहां उन्होंने बांकेबिहारी मंदिर के साथ ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन को पहुंची थीं।
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