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गंगा में बांधों पर असहमति

गंगा के अविरल प्रवाह पर विचार के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर बनी चतुर्वेदी समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति ने यह तो माना है कि गंगा पर बड़ी संख्या में बन रहे बांध इसका प्रवाह पूरी तरह कुंद कर रहे हैं, मगर इनके निर्माण को रोकने को इसने जरूरी नहीं माना है। अधिकांश गैर सरकारी सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए इसे पीएम को सौंपे जाने से पहले ही अस्वीकार कर दिया है।

By Edited By: Updated: Fri, 12 Apr 2013 11:47 AM (IST)
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नई दिल्ली। गंगा के अविरल प्रवाह पर विचार के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर बनी चतुर्वेदी समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति ने यह तो माना है कि गंगा पर बड़ी संख्या में बन रहे बांध इसका प्रवाह पूरी तरह कुंद कर रहे हैं, मगर इनके निर्माण को रोकने को इसने जरूरी नहीं माना है। अधिकांश गैर सरकारी सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए इसे पीएम को सौंपे जाने से पहले ही अस्वीकार कर दिया है।

योजना आयोग सदस्य बीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता में बनी अंतर मंत्रालयी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गंगा के प्रवाह को बचाए रखने के लिए इस पर बन रहे बांधों का काम रोकने की बजाय इनके डिजाइन में बदलाव की जरूरत है। जो बांध अभी बन रहे हैं, उनके इंजीनियरिंग डिजाइन में मामूली बदलाव कर गंगा के प्रवाह को सुनिश्चित किया जा सकता है। जबकि गंगा के लिए आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन बांध को रोके बिना यह मुमकिन नहीं। समिति के मुताबिक, न्यूनतम प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए बांधों का डिजाइन बदलने से परियोजनाओं के खर्च में इजाफा हो सकता है। इसके मद्देनजर परियोजनाओं की लागत नए सिरे से तय की जा सकती है। विवाद के केंद्र में सबसे ऊपर रहने वाले उत्तराखंड के श्रीनगर बांध के बारे में समिति ने कुछ नहीं कहा है।

समिति ने निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता कम करने पर भी कुछ नहीं कहा है। इसके मुताबिक, उत्पादन क्षमता तय करने के लिए विभिन्न आइआइटी की ओर से किए जा रहे संयुक्त अध्ययन के पूरा होने का इंतजार किया जा सकता है। इस समय गंगा पर 17 बांधों का काम चल रहा है।

वहीं, वन और पर्यावरण मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न सरकारी सदस्यों ने रिपोर्ट को अपनी सहमति दी है।

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