पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था
क्रिसमस ईसाईयों का सबसे बड़ा त्योहार है। क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राईस्टेस माइसे यानी 'क्राइस्टस्' मास शब्द से हुई है। कहते हैं पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। इसके बाद पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2015 03:11 PM (IST)
क्रिसमस ईसाईयों का सबसे बड़ा त्योहार है। क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राईस्टेस माइसे यानी 'क्राइस्टस्' मास शब्द से हुई है। कहते हैं पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। इसके बाद पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा।
दुनिया भर में ईसाई धर्म के अनुयायी क्रिसमस के इस पवित्र त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन विशेष तौर पर साज सज्जा की जाती है। घर को रोशिनी और रंगबिरंगे फूलों और क्रिसमस ट्री से सजाया जाता है।क्या होता है क्रिसमस ट्री क्रिसमस ट्री डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे।
उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। प्राचीन रोमनवासी फर के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। लेकिन जीसस को मानने वाले लोग इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत की एकदम सही-सही जानकारी नहीं मिलती है।ऐसे सजाते हैं क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरुआत हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप से हुई। पहले के समय में क्रिसमस ट्री गमले में रखने की जगह घर की सीलिंग से लटकाए जाते थे। फर के अलावा लोग चैरी के वृक्ष को भी क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते थे।ऐसे शुरू हुई यह परंपरा ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कटवा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायियों ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है।