पाकिस्तान में पूजा-पाठ भी मुश्किल
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के एक कस्बे में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने से रोके जाने का मामला सामने आया है। स्थानीय मुस्लिम कबीला हालेपोटा के सदस्य मेहराबपुर में धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करने से लोगों को रोक रहे हैं। इतना ही नहीं हिंदू नेताओं और मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को
By Preeti jhaEdited By: Updated: Sat, 09 May 2015 01:30 PM (IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के एक कस्बे में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने से रोके जाने का मामला सामने आया है। स्थानीय मुस्लिम कबीला हालेपोटा के सदस्य मेहराबपुर में धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करने से लोगों को रोक रहे हैं। इतना ही नहीं हिंदू नेताओं और मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है। उत्पीडऩ के खिलाफ हिंदुओं को सड़क पर उतरना पड़ा है।
डॉन के अनुसार कस्बे के मुख्य मंदिर के न्यासी बाबा सरूप के नेतृत्व में हिंदुओं ने गुरुवार को मेहराबपुर-हलानीसड़क पर प्रदर्शन किया और सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की। सरूप ने बताया कि मंदिर प्रतिवर्ष धार्मिक उत्सव का आयोजन करता रहा है। भारत के कई हिस्सों से भी लोग इस उत्सव में भाग लेने आते रहे हैं। लेकिन, कबीले के लोगों की गतिविधियों के कारण मंदिर को आयोजन में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कार्रवाई से बच रही पुलिस-हिंदुओं का कहना है कि पुलिस कबीले पर कार्रवाई करने से बच रही है। सरूप ने बताया कि वह स्थानीय पुलिस थाने में मामला लेकर गए थे। लेकिन, उन्हें बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की सलाह दी गई। दूसरी ओर, पुलिस अधीक्षक नियाज अहम चांडियो ने बताया कि मंदिर के ट्रस्टी ने शुरू में प्राथमिक दर्ज कराने की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना विचार बदल लिया।
राम मंदिर और भगवान राम के जन्म को लेकर एक विवादास्पद बयान सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) के एक सदस्य ने दावा किया है कि भगवान राम की अयोध्या उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि पाकिस्तान में है।एआइएमपीएलबी के सहायक महासचिव अब्दुल रहीम कुरैशी ने अपनी किताब 'फैक्ट्स ऑफ अयोध्या एपीसोडÓ में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में स्थित अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि नहीं है। इस शहर को 700 ईसा पूर्व बसाया गया था, जबकि राम का जन्म 1.8 करोड़ साल पहले माना जाता है। कुरैशी ने अपनी किताब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविद जस्सू राम और अन्य के शोधपत्रों को शामिल किया है। इस किताब में राम के परदादा राज रघु द्वारा स्थापित और स्वयं भगवान राम द्वारा स्थापित दो अयोध्या का जिक्र है। कुरैशी ने कहा कि जस्सू ने अपने शोधपत्र 'रामायण का प्राचीन भूगोलÓ में लिखा है कि दोनों अयोध्या पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत (वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा) के डेरा इस्माइल जिले में हैं। एआइएमपीएलबी की ओर से अदालत में अयोध्या मामले को लड़ रही कमेटी के अहम सदस्य कुरैशी ने कहा कि फैजाबाद जिले में स्थित अयोध्या को 7वीं सदी ईसा पूर्व में साकेत कहा जाता था। संभव है कि 11वीं सदी में हिंदुओं ने इसका नाम अयोध्या रखा हो। कुरैशी ने कहा कि अगर फैजाबाद स्थित अयोध्या ही राम की जन्मस्थली होती तो मुगल बादशाह अकबर के काल में रामायण लिखने वाले तुलसीदास मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का जिक्र अवश्य करते। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों को अदालत के समक्ष रखा जाएगा।