रामायण में श्रीराम नायक तो खलनायक रावण है
ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में रावण से ज्यादा विद्वान नहीं था। लेकिन रावण का अहंकार उसकी मौत का कारण बना।
श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण में श्रीराम नायक तो खलनायक रावण है। श्रीराम के जीवन चरित्र से हम काफी कुछ सीखते हैं, लेकिन क्या आपने रावण के चरित्र पर गौर किया? दरअसल रावण विद्वान था। लेकिन उसने अपनी जिंदगी में कई गलतियां भी की, यही गलतियां उसकी हार और मृत्यु का कारण बनीं।
नेता बनिए तानाशाह नहीं : जब राम रावण युद्ध हो रहा था तब राम एक सफल नेता की तरह अपने सभी योद्धाओं के साथ रणभूमि में मौजूद थे, जबकि तानाशाह की तरह रावण ने एक -एक करके अपने योद्धाओं को रणभूमि में भेजा। हुआ यूं की रावण के योद्धा जल्द मारे गए। यदि रावण तानाशाही न करता तो युद्ध का परिणात कुछ और होता।
साथियों की सलाह होती है लाभकारी: श्रीराम ने हर मोर्चे पर अपने वरिष्ठ साथियों की सलाह मांगी। यह उनके लिए काफी प्रभावी रहा जब कि रावण ने सीता हरण अपनी मर्जी से किया था। ये उसकी हार का कारण बना।
ज्ञान का घमंड न करें: श्रीराम स्वयं साक्षात् भगवान विष्णु के मानवतार थे। लेकिन उनमें अहंकार नहीं था, लेकिन ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में रावण से ज्यादा विद्वान नहीं था। लेकिन रावण का अहंकार उसकी मौत का कारण बना। जिसके आगे वह अपने साथियों और पत्नी तक की बात को गंभीरता से नहीं लेता था।