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आधुनिक लुक में ठाकुरजी की ऊनी पोशाक बाजार में छाई

अरी चल गोपाल कूं सूटर (स्वेटर) लै आवें.। लाड़ले लड्डू गोपाल को ठंड न लगे, इसलिये वृंदावन की कुंज गलियों में श्रद्धालु महिलाएं पोशाक की दुकानों पर खरीदारी कर रहीं हैं। ऊनी वस्त्रों की खरीद बिना मोलभाव के हो रही है। आधुनिक लुक के लिए बाजार में आकर्षक ऊनी पोशाक बड़ी संख्या में दुकानों पर आ चुकी हैं। इन पोशाकों

By Edited By: Updated: Tue, 12 Nov 2013 01:06 PM (IST)

वृंदावन। अरी चल गोपाल कूं सूटर (स्वेटर) लै आवें.। लाड़ले लड्डू गोपाल को ठंड न लगे, इसलिये वृंदावन की कुंज गलियों में श्रद्धालु महिलाएं पोशाक की दुकानों पर खरीदारी कर रहीं हैं। ऊनी वस्त्रों की खरीद बिना मोलभाव के हो रही है। आधुनिक लुक के लिए बाजार में आकर्षक ऊनी पोशाक बड़ी संख्या में दुकानों पर आ चुकी हैं। इन पोशाकों को देश-विदेश के श्रद्धालु भी खरीद रहे हैं।

सर्दी के मौसम में ठाकुरजी का रहन-सहन, वस्त्र और खाना-पीना सब कुछ बदला जाता है। लड्डू गोपाल की पूजा वृंदावन में बाल रूप में पाल्य की तरह की जाती है।

जैसे घर के छोटे बच्चे की देखभाल होती और भोजन का ख्याल रखा जाता है, ठीक वैसे ही लड्डू गोपाल के लिये भी स्थानीय श्रद्धालु भाव सेवा कर अपने को धन्य मानते हैं। जहां तक स्थानीय बृजवासियों के सेवाभाव की बात है, तो वे ठाकुरजी को परिवार का सदस्य मानते हैं। वे जो कुछ खाते-पीते हैं, या पहनते हैं, पहले लड्डू गोपाल को अर्पित कर देते हैं और बाद में उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।

इस विषय में वयोवृद्ध आचार्य रामगोपाल गोस्वामी और शंभूनाथ शुक्ल बृजवासी बताते हैं कि वृंदावन का हर बृजवासी सैकड़ों वर्षो से लड्डू गोपाल को प्रत्येक वस्तु अर्पित करने के बाद ही उसे प्रसादी के रूप में उनसे मांग कर लेता है।

लड्डू गोपाल के पहनावे के बारे में पोशाक विक्त्रेताओं ने बताया कि गृहणियां समय-समय पर ठाकुरजी की पोशाक में बदलाव कर देती हैं। सर्दी के मौसम में ठाकुरजी को गर्म और ऊनी वस्त्र पहनाया जाना शुरू हो चुका है। रात में उन्हें रजाई ओढ़ाई जाती है। खाने और दूध में मेवा, केसर अधिक परोसी जाती है। छोटे बच्चे की लालसा के अनुरूप लड्डू गोपाल की इच्छा भी यहां भाव सेवा में पूरी की जाती है। अगर लड्डू गोपाल हठ पर आ गये तो उन्हें मनाना आसान न होगा, ऐसा मानना है बृजवासियों का।

आकर्षक और आधुनिक लुक में ठाकुरजी की ऊनी पोशाक बाजार में छाईलड्डू गोपाल के लिये बाजार में नई और आकर्षक वैरायटी की ऊनी पोशाक, रजाई, कंबल, मुकुट आदि बनखंडी, अठखंभा, बिहारी मार्केट, लोई बाजार और रेतिया बाजार के प्रमुख बाजारों में उपलब्ध है। पोशाक व्यापारी पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि सर्दी शुरू होते ही ठाकुरजी की ऊनी पोशाक की बिक्त्री अचानक बढ़ गई है। पोशाक बनाने में आधुनिकता का लुक भी कारीगरों द्वारा दिया जा रहा है।

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