मखमली रजाई ओढ़ने लगे प्रभु
गोवर्धन। श्रद्धा के अनमोल मोतियों से सजी आस्था की माला भक्त की प्रेम डोरी से बनी होती है। प्रभु को भाव का भूखा बताया जाता है, इसीलिए प्रभु की सेवा उनके भक्त निराले ढंग से करते रहते हैं। सर्दी के बढ़ते कदमों को देखकर गिरिराज भक्तों को प्रभु के स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है। सर्दी से कहीं सात कोस गिरिराज बीमार न पड़ जाये इसके लिए भक्तों
By Edited By: Updated: Wed, 11 Dec 2013 01:03 PM (IST)
गोवर्धन। श्रद्धा के अनमोल मोतियों से सजी आस्था की माला भक्त की प्रेम डोरी से बनी होती है। प्रभु को भाव का भूखा बताया जाता है, इसीलिए प्रभु की सेवा उनके भक्त निराले ढंग से करते रहते हैं। सर्दी के बढ़ते कदमों को देखकर गिरिराज भक्तों को प्रभु के स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है। सर्दी से कहीं सात कोस गिरिराज बीमार न पड़ जाये इसके लिए भक्तों ने सर्दी से बचाव के इंतजाम कर लिए हैं।
ब्रज के प्रसिद्ध मंदिरों में शयन के समय मखमली रजाई का प्रयोग किया जा रहा है। तथा सुबह लगने वाली ठंड से बचाव को प्रभु की सेवा में देशी नुस्खा सुहाग सोंठ का सेवन कराया जा रहा है। प्रसिद्ध मंदिरों में मंगला आरती के समय प्रभु को सुहाग सोंठ का भोग लगाया जाता है। मंगला के बाद मेवा युक्त गरम खिचड़ी बाल भोग में शामिल की गयी है। प्रभु के प्रसाद में आने वाले पदाथरें की सूची बदल दी गयी है। सुबह अगर कोहरा दिखाई पड़ता है तो तुरंत गर्म कोयलों से सजी अंगीठी से गिरिराज प्रभु को गरमाई दी जाती है। भाव की दुनिया में श्रद्धा के निराले अंदाज भक्ति की पराकाष्ठा के दर्शन श्रद्धालुओं भाव विभोर कर रहे हैं। गिरिराज प्रभु को सर्दी से बचाव के लिए बनाई जाने वाली सुहाग सोंठ में कई सामग्री मिलाकर बनाई जाती है। जतीपुरा मुखारविंद मंदिर के सेवायत सुरेश पुरोहित के अनुसार सुहाग सोंठ में मुख्यत: केशर, कस्तूरी, जावित्री, काली मिर्च, लोंग, सोंठ, जायफल, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, खोवा, चीनी आदि का प्रयोग किया जाता है।
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