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रहीम के इस दोहे में छिपा है सुखी जीवन का मंत्र

खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीति, मदपान । रहिमन दाबे ना दबे जानत सकल जहान। मुगलकाल के कवि रहीम के इस दोहे में जीवन का वोसच छुपा है जिसे हर कोई जानना चाहता है।

By prabhapunj.mishraEdited By: Updated: Wed, 17 May 2017 01:16 PM (IST)
रहीम के इस दोहे में छिपा है सुखी जीवन का मंत्र
1- रहीम कहते हैं कि खैर यानी खैरियत या सेहत। यदि कोई व्‍यक्ति बीमार है तो वो अधिक दिनों तक अपनी सेहत दूसरों से छिपा नहीं सकता है। 

 

2- रहीम कहते हैं कि कोई व्‍यक्ति चाहें कितनी भी चालाकी से किसी का खून कर दे। पर एक ना एक दिन वह पकड़ा जरूर जाता है। 

 

3- खांसी तीसरी ऐसी चीज है जिसे कोई रोक नहीं सकता है। रहीम कहते हैं कि यद‍ि किसी को खांसी है तो वो किसी स्थिति में रोक नहीं सकता है। 

 

4- रहीम कहते हैं यदि कोई खुश है तो यह बात भी किसी ने किसी तरीके से पता चल ही जाती है। चेहरा और हाव-भाव खुशी बता देता है। 

 

5- यद‍ि आप के मन में किसी को लेकर बैर या ईष्‍या है तो यह बात भी किसी से छुप नहीं सकती है। किसी ना किसी तरीके से पता चल ही जाती है। 

 

6- प्रेम को भी रहीम ने परिभाषित किया है। रहीम ने कहा है कि प्रेम का भाव भी बहुत ज्‍यादा दिनो तक छिप नहीं सकता है। प्रेम प्रकट हो ही जाता है। 

 

7- रहीम ने कहा है यदि कोई छिप कर नशा या मदपान करता है तो यह भी बहुत दिनो तक छिप नहीं सकता है। किसी ना किसी तरीके यह पता चल ही जाता है।