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गुरु ग्रंथ साहिब: मानवीय अधिकारों का प्रकाश

देश के 36 महापुरुषों की वाणी के संकलन आध्यात्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में मानवीय अधिकारों से संबंधित स्पष्ट चर्चा मिलती है। गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश पर्व (1 सितंबर) पर विशेष.. हर मनुष्य को जो बुनियादी हक प्राप्त होते हैं, वे मानवीय अधिकार कहलाते हैं। इनके बिना मन

By Edited By: Updated: Sat, 31 Aug 2013 03:00 PM (IST)
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देश के 36 महापुरुषों की वाणी के संकलन आध्यात्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में मानवीय अधिकारों से संबंधित स्पष्ट चर्चा मिलती है। गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश पर्व (1 सितंबर) पर विशेष..

हर मनुष्य को जो बुनियादी हक प्राप्त होते हैं, वे मानवीय अधिकार कहलाते हैं। इनके बिना मनुष्य का आत्मनिर्भर एवं स्वतंत्र अस्तित्व कायम ही नहीं रह सकता। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवीय अधिकारों से संबंधित एक विश्वव्यापी घोषणा-पत्र भी जारी किया है, जिसमें हर संभव सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक अधिकार सूचीबद्ध किए गए हैं। सुखद आश्चर्य की बात है कि मानवीय अधिकारों से संबंधित इस घोषणा-पत्र में दर्ज हर मानवीय अधिकार को लेकर गुरु ग्रंथ साहिब में स्पष्ट चर्चा मिलती है।

मानवीय समता की स्थापना : भारत में यह भेदभाव जाति-प्रथा के रूप में प्रचलित रहा है। गुरु ग्रंथ साहिब में 'एकु पिता एकसु के हम बारिक..' (पन्ना 611 एवं 'अवलि अलह नूरु उपाइआ कुदरति के सभ बंदे..' (पन्ना 1349) कहकर सभी मनुष्यों को एक ही ईश्वर की संतान मानते हुए समान माना गया है। व्यावहारिक स्तर पर भी गुरु साहिबान ने संगत-पंगत, सांझे लंगर और सांझे सरोवरों की रीत चलाई जहां सभी मनुष्यों को समान माना जाता है।

स्त्री-पुरुष समानता : गुरु ग्रंथ साहिब में 'सो किउ मंदा आखिअै जितु जंमहि राजानु' (पन्ना 473) कहकर स्त्री के सम्मान की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की गई है। इसमें नारी को पुरुष के समान माना है- 'एक जोति दुइ मूरती धन पिरु कहीअै सोइ।।' (पन्ना 788)

आर्थिक अधिकारों की रक्षा : गुरु ग्रंथ साहिब में 'हक पराइआ नानका उसु सूअर उसु गाई' (पन्ना 141) कहकर आर्थिक शोषण का जोरदार खंडन किया गया है। गुरु नानक देव का कथन है कि यदि खून लगने से कपड़े गंदे हो जाते हैं, तो खून चूसने वाले का मन कैसे निर्मल हो सकता है : 'जे रतु लागै कपड़ै जामा होइ पलीतु।। जो रतु पीवहि माणसा, तिन किउ निरमल चीतु।।' (पन्ना 141) इसलिए गुरु ग्रंथ साहिब में 'किरत' (परिश्रम) करने और 'वंड छकने' (बांट कर खाने) का आदेश दिया गया है।

धार्मिक भेदभाव का निषेध : गुरु ग्रंथ साहिब में मनुष्य के धार्मिक एवं सांस्कृतिक अधिकार को सम्मान देने की बात की गई है : 'कोइ बोलै राम राम कोई खुदाए।। कोई सेवै गुसईआ कोई अलाए।।' (पन्ना 885)

राजनीतिक अधिकार : इस महान ग्रंथ में 'राजे सींह मुकदम कुत्ते' (पन्ना 1288) कहकर राजनीतिक शोषण का विरोध किया गया है और जनता को अपने राजनीतिक अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया है। गुरु नानक जी कहते हैं कि तख्त पर वही राजा टिक सकता है, जो लोक राय के अनुसार राज का प्रबंध करता है : 'राजा तखति टिकै गुणी भै पंचाइण रतु।।' (पन्ना (992)

गुरु ग्रंथ साहिब में जीवन के सभी पक्षों से संबंधित मानवीय अधिकारों की स्पष्ट चर्चा हुई है। यह ग्रंथ मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए उठी एक निडर, बुलंद और प्रभावशाली आवाज है। स्पष्ट दिखता है कि मानवीय अधिकारों संबंधी घोषणा-पत्र तैयार करने वालों ने गुरु ग्रंथ साहिब का अध्ययन अवश्य किया होगा।

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