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लक्ष्‍य हासिल करने के लिए इच्छा और परिश्रम ही नहीं दृढ़ता भी जरूरी : संत एकनाथ

संत एकनाथ के मुताबि‍क लक्ष्‍य की प्राप्‍ति‍ में इच्छा और परिश्रम के साथ दृढ़ता भी बहुत जरूरी है। इसके बि‍ना लक्ष्‍य पाना अंसभव है। आइए यहां पढ़ें इसका एक प्रमाण...

By shweta.mishraEdited By: Updated: Wed, 07 Jun 2017 03:55 PM (IST)
लक्ष्‍य हासिल करने के लिए इच्छा और परिश्रम ही नहीं दृढ़ता भी जरूरी : संत एकनाथ
दीवार बनाने का आदेश
एक बार संत एकनाथ ने अपना एक उत्तराधिकारी घोष‍ित करने का न‍िर्णय ल‍िया। इस दौरान उन्‍हें कि‍सी ऐसे इंसान की जरूरत थी जो उस पद के ब‍िल्‍कुल उपयुक्‍त हो। ऐसे में उन्‍होंने एक द‍िन अपने कुछ श‍िष्‍यों को बुलाया और उनकी परीक्षा लेने का न‍िश्‍चय क‍िया। उन्‍होंने सभी शि‍ष्‍यों को आदेश क‍िया क‍ि वे दीवार का न‍िर्माण्‍ा करें। गुरू का आदेश पाकर सभी श‍िष्‍य इस काम में जुट गए। जैसे ही सबने दीवार तैयार की गुरू जी ने उसे तोड़ने का आदेश दे द‍िया। इसके बाद फ‍िर सबको दीवार बनाने का आदेश द‍िया। ऐसे में कुछ शि‍ष्‍य नाराज हो गए लेक‍िन गुस्‍से में फ‍िर से दीवार बनाई। 

गुरू जी काफी खुश हुए

गुरू जी के आदेश से फ‍िर दीवार तोड़ दी गई। दीवार बनाने और तोड़ने के इस लंबे सि‍लस‍िले से एक श‍िष्‍य च‍ित्रभानु को छोड़कर लगभग सारे श‍िष्‍य नाराज हो गए। इतना ही नहीं सबने काम भी बंद कर द‍िया। हालांक‍ि चित्रभानु पूरी लगन और तन्मयता के साथ अपने काम में जुटा रहा। वह गुरू की आज्ञा के मुताब‍िक ही काम करता रहा। उसकी लगन और दृढता देखकर गुरू जी उस पर काफी खुश हुए और उसके पास गए। उन्‍होंने उसे कहा क‍ि तुम्‍हारे सारे म‍ित्र काम छोड़कर बैठ गए लेक‍िन तुमने काम को क्‍यों नहीं रोका। 


दृढ़ता भी बहुत जरूरी 

आखि‍र तुम यहां पर कब तक यह करते रहोगे। इस पर चित्रभानु का कहना था क‍ि जब तक आप नहीं कहेंगे मैं नहीं हटूंगा। गुरू का आदेश मानना श‍िष्‍य का फर्ज है। ऐसे में च‍ित्रभानु की ये बात सुनने के बाद गुरू जी को अहसास हुआ क‍ि यही उनका असली उत्‍तराध‍िकारी हो सकता है। उसे उत्‍ताध‍िकारी घोषि‍त करने के बाद अपने दूसरे श‍िष्‍यों से कहा क‍ि जीवन में ऊंची आकांक्षाएं तो रखना आसान होता है लेक‍िन एक उच्‍च पद पर पंहुचने के ल‍िए पात्रता होना भी जरूरी है। लक्ष्‍य प्राप्‍त‍ि के ल‍िए इच्छा और परिश्रम के साथ दृढ़ता भी बहुत जरूरी है।