अदभुत, रहा है शिवाजी महाराज का इतिहास
शिवाजी ने अपने गुरु की चरण पादुका रखकर शासन किया और अपने गुरु के नाम पर ही सिक्के बनवाये | 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |
By Preeti jhaEdited By: Updated: Sat, 18 Feb 2017 03:20 PM (IST)
शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे।
शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराजका जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी का दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी। उनके पिता अप्रतिम शूरवीर थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को समझने लगे थे।मराठा राज्य के प्रथम शासक थे शिवाजी महाराज । शाहजी भसले पहले अहमदनगर के निजाम थे और बाद में बीजापुर के दरबार में नौकरी करने लगे | शिवाजी के पालन पोषण का दायित्व पूरा उनकी माता जीजाबाई पर था | शिवाजी बचपन से ही बहुत साहसी थे | कहा जाता है उनकी माता बहुत धार्मिक प्रवर्ति की थी , जिनका प्रभाव भी शिवाजी पर पढ़ा | माता जीजाबाई बचपन में शिवानी को वीरता की कहानिया सुनाया करती , जिसका प्रब्भाव शिवाजी पर पढ़ | शिवाजी के गुरु थे स्वामी रामदास जिन्होंने शिवाजी की निर्भीकता , अन्याय से जूझने की सामर्थ्य और संगठनात्मक योगदान का विकास किया |
शिबवाजी का सपना था मराठो का अलग राज्य हो , इसी सपने को लेकर शिवाजी 18 साल की उम्र से ही सेना इकठा करने लगे| धीरे धीरे एक अलग मराठा राज्य बनाने के उद्देश्य से शिवाजी ने आस पास के छोटे छोटे राज्यो पर आक्रमण करना शुरू कर दिया और उन्हें जीत लिया | शिवाजी ने पुणे के आस पास के कई किलो को जीत लिया और नए किलों का निर्माण भी कराया |
शिवाजी को मारने के लिए बीजापुर के सुल्तान ने अपने प्रमुख सेनापति अफजल को एक विशाल सेना के साथ पुणे की तरफ भेजा | अफजल खान ने शिवाजी को मारने के लिए चालाकी से उन्हें अपने तम्बू में संधि करने बुलाया | शिवाजी अपने कुछ सिपाहियों के साथ अफजल से मिलने गए | उसने जैसे ही शिवाजी को मारने के लिए कंजर उठाया शिवाजी ने उसे एक ही वार में मार गिराया |शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के कुछ दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया | शिवाजी का राज्य उत्तर में रामनगर से लेकर दक्षिण में कारवार तक फ़ैल गया | शिवाजी ने अपने गुरु की चरण पादुका रखकर शासन किया और अपने गुरु के नाम पर ही सिक्के बनवाये | 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |शिवाजी एक कुशल शासक, योग्य सेनापति थे , शिवाजी ने अपनी योग्यता के बल पर मराठो को संगठित करके अलग मराठा साम्राज्य की स्थापना की .शिवाजी ने अपनी राज्य व्यवस्था के लिए 8 मंत्री नियुक्त किये | उन्हें अष्ट प्रधान खा जाता था | जिसमे पेशवा का पद सबसे महत्वपूर्ण होता था |मराठा राज्य की आय का मुख्य स्रोत्र था भूमि कर|मराठा प्रणाली के अष्ट प्रधान1. पेशवा (प्रधानमंत्री ), 2.अमात्य ( मजूमदार ), 3.मंत्री ,4.सचिव, 5.सुमंत, 6.सेनापति, 7.पंडित राव8.न्यायधीशशिवाजी महाराज की विशेषता1. अच्छी संगठन शक्ति का होना- शिवाजी ने बिक्री हुए मराठाओ को इक्कठा करके उनकी शक्ति को एक जुट कर एक महान मराठा राज्य की स्थापना की |2. वीर सैनिक-शिवाजी जैसे वीर भारत देश में बहुत कम हुए हैं , आज भी उनकी वीरता की कहानियो लोगो के उत्साह को बढ़ा देती हैं |3. महान मार्गदर्शक -शिवाजी ने मुगलो के राज्य में हिन्दू साम्राज्य स्थापित करने वाले एक मात्र राजा थे , उन्होंने केवल मराठाओ को ही नहीं वल्कि सभी भारतवासियो को भी नयी दिशा दिखाई|4.आज्ञाकारी पुत्र और शिष्य-कहा जाता है शिवाजी अपनी माता की हर आज्ञा का पालन करते थे|1. उनका जन्म 6 अप्रैल 1627 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था |2. शिवाजी की पत्नी का नाम सइबाई था|3. उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में मराठा सेना बनाकर स्वत्रंत मराठा राज्य बनाना प्रारम्भ कर दिया|4. 1674 में उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गयी|5. 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |