ब्लूव्हेल चैलेंज पर सरकार सतर्क, सभी वेबसाइट्स को दिए लिंक हटाने के आदेश
मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि ब्लूव्हेल या इससे मिलते जुलते या इस तरह के अन्य खेलों के लिंक अपने प्लेटफार्म से तुरंत हटा लें
नई दिल्ली (साक्षी पंड्या)। पिछले दो महीनों से चर्चा में आया ब्लू व्हेल गेम पूरी दुनिया में बच्चों को अपना टारगेट बना, उनकी जान ले रहा है। इस गेम का असर कुछ समय पहले भारत में भी देखने को मिला। टीनएजर्स इस गेम का बहुत आसानी से शिकार बन रहे हैं। यही कारण है की सरकार ने इस गेम को सभी मुख्य वेबसाइट्स से इस गेम के लिंक हटाने के निर्देश दिए हैं। पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं हुई है, जिसके चलते सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला लिया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिंक हटाने के आदेश:
भारत में इस गेम से संबंधित खबर आते ही, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक बैठक कर सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को तुरंत प्रभाव से इस पर कदम उठाने को कहा। इसके बाद विभाग ने 11 अगस्त को सभी प्रमुख वेबसाइटों को पत्र लिखकर इस खेल के लिंक तुरंत प्रभाव से हटा लेने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, माइक्रोसॉफ्ट और याहू को लिखे इस पत्र में कहा है कि ब्लूव्हेल या इससे मिलते जुलते या इस तरह के अन्य खेलों के लिंक अपने प्लेटफार्म से तुरंत हटा लें।
चिंता जताते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि ऐसा समझा गया है कि इस गेम का एडमिनिस्ट्रेटर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर बच्चों को इसे खेलने के लिए आमंत्रित करता है। यही आगे चलकर बच्चों के लिए जानलेवा बन जाता है। मंत्रालय का कहना है कि ब्लूव्हेल गेम का समर्थन करने वालों के बारे में पुलिस को सूचना दी जानी चाहिए। मालूम हो कि इस गेम की वजह से भारत में दो बच्चों के आत्महत्या करने के मामले सामने आ चुके हैं।
अन्य मंत्रालयों की भी नजर:
आईटी मिनिस्ट्री द्वारा याहू, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, माइक्रोसॉफ्ट जैसी सभी सोशल मीडिया साइट्स को निर्देश दिए गए हैं कि वह किसी भी तरह इस जानलेवा गेम ब्लू वेल चैलेंज को फैलने से रोकें। इस निर्देश के बाद महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी होम मिनिस्टर और आई मिनिस्टर को इस गेम के लिंक्स को सोशल मीडिया से हटाने के लिए कड़े उठाने की गुजारिश की है।
क्या है ब्लू व्हेल गेम?
यह गेम पिछले दो महीने में काफी लोकप्रिय हुआ है। इसमें बच्चों को 50 चैलेंस दिए जाते हैँ। इनमें खुद को नुकसान पहुंचाना, डरावनी फिल्में देखना समेत कई टास्क दिए जाते हैं। इन टास्क को करते समय उनसे फोटो भी मांगी जाती है। सबसे अहम बात की इस गेम का आखिरी टास्क सुसाइड होता है। इस चैलेंज ने अब तक कई बच्चों की जान ली है। ऐसा मानना है की इन 50 टास्क में बच्चों के दिमाग से खेला जाता है। उनका ब्रेन-वाश कर दिया जाता है। इस तरह के टास्क कर के बच्चें एक तरह के डिप्रेशन में चले जाते हैं और आखिरी टास्क तक उनमें सही-गलत में फर्क करने की क्षमता नहीं रहती। इसलिए वो सुसाइड को भी गेम और सही समझ कर अपनी ही जान ले लेते हैं।
किसने बनाया यह गेम:
इस गेम को बनाने वाला मनोविज्ञान का स्टूडेंट है। इसका नाम Phillip Budeikin है। 21 वर्षीय Phillip रूस का रहने वाला है। इसे रूस की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। Phillip पुलिस के सामने आपने अपराध कबूल कर चुका है। अपने गुनाह को बुरा ना मानते हुए उसने पुलिस को बताया की उसे नहीं लगता की उसने कुछ गलत किया है। साथ ही उसने बताया की उसने इस गेम को समाज को साफ करने के लिए बनाया है। उसके अनुसार इस गेम से पीड़ित हुए लोग बायोलॉजिकल वेस्ट थे और वे समाज पर बोझ थे। Phillip ने बताया की यह गेम पहले से डिप्रेशन में रहे लोगों को ही निशाना बनता है और इस गेम के शिकार लोग मरते समय खुश थे।
दुनियाभर से सुसाइड के मामले आएं सामने:
- करसुन की एना को मार्च में ब्लू व्हेल गेम के जूनून में लटका हुआ मृत पाया गया था।
- 26 जुलाई को केरल में 16 साल के लड़के ने खुद को फांसी लगा ली थी। उसकी मां के अनुसार उन्हें संदेह था की ऐसा ब्लू व्हेल चैलेंज के कारण हुआ।
- टेक्सन में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। 15 साल की गोन्जेल्स को कपबोर्ड में लटका हुआ पाया गया था। लड़की के परिवार के अनुसार ऐसा ब्लू व्हेल सुसाइड गेम के कारण हुआ।
- दिसंबर में यूक्रेन की 15 साल की विलेना ने 13वीं मंजिल से कूद कर जान दे दी थी। उसकी सहपाठियों के अनुसार स्कूल में उसे हाथ पर कट के निशान के साथ देखा गया था।
- मुंबई के अंधेरी में 14 साल के मनप्रीत ने अपनी सोसायटी से कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस मामले की जांच कर रही है। आत्महत्या के पीछे ‘ब्लू व्हेल गेम’ को वजह बताया जा रहा है।
- इसी तरह इस गेम ने दुनियाभर में करीब 250 बच्चों की जान ली है।
क्या हैं इस गेम के अनोखे चैलेंज?
- इंटरनेट पर खेले जाने वाले इस गेम में 50 दिन तक रोज एक चैलेंज बताया जाता है।
- हर चैलेंज को पूरा करने पर हाथ पर एक कट करने के लिए कहा जाता है।
- चैलेंज पूरे होते-होते आखिर तक हाथ पर व्हेल की आकृति उभरती है।
- चैलेंज के तहत हाथ पर ब्लेड से एफ-57 उकेरकर फोटो भेजने को कहा जाता है।
- सुबह 4.20 बजे उठकर हॉरर वीडियो या फिल्म देखने के लिए और क्यूरेटर को भेजने का भी चैलेंज इसमें है।
- हाथ की 3 नसों को काटकर उसकी फोटो क्यूरेटर को भेजना भी एक चैलेंज है।
- सुबह ऊंची से ऊंची छत पर जाने को इस गेम में कहा जाता है।
- कागज की सीट पर व्हेल बनाकर क्यूरेटर को भेजना होता है।
- चार स्टेज में छत पर जाना होता है।
- क्यूरेटर के द्वारा भेजे गई संगीत को सुनना भी एक चैलेंज है।
- व्हेल बनने के लिए तैयार होने पर अपने पैर में 'यस' उकेरना होता है।
- तैयार होने पर खुद को चाकू से कई बार काटकर सजा देना भी चैलेंज का हिस्सा है।
- सभी चैलेंज पूरे करने वाले को खुदकुशी करनी पड़ती है।
विशेषज्ञ का नजरिया:
इस बारे में मशहूर मनोवैज्ञानिक डॉ. अरुणा ब्रूटा ने खास बातचीत में कहा, ऐसे बच्चों की पर्सनेलिटी चैक करनी होगी, जो इस गेम को ढूंढते हैं क्योंकि सारे बच्चे ऐसा नहीं करते। उन्होंने माता-पिता को हिदायद देते हुए हुए कहा कि इस उम्र में उनकी भूमिका ज्यादा बढ़ जाती है और उन्हें बच्चों का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। जब बच्चा ऐसी गेम डाउनलोड करता है तो वह उसे ज्यादा वक्त देगा। वह परिवार के साथ वक्त नहीं बिताएगा, वह बाहर खेलने नहीं जाएगा और खुद को दोस्तों से भी अलग कर लेगा। ऐसे वक्त में घरवालों को सचेत हो जाना चाहिए और बच्चे को तुरंत किसी मनोवैज्ञानिक के पास लेकर जाना चाहिए।
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